Ajay Mishra Teni : न्यूज चैनलों ने की होती सही रिपोर्टिंग तो टेनी पत्रकारों को गाली देकर नहीं टहल रहा होता संसद में
दिनकर कुमार की रिपोर्ट
Ajay Mishra Teni : गोदी मीडिया को अब अपने कुकर्मों के नतीजे भुगतने पड़ रहे हैं। मोदी सरकार के हाथों अपनी आत्मा को बेचकर और पत्रकारिता के मूल सिद्धांतों का गला घोंटकर गोदी मीडिया के पत्रकारों और एंकरों ने जिस तरह अपने पेशे को घिनौना बना दिया है उसके चलते आम लोगों ने उस पर भरोसा करना छोड़ दिया है और टेनी (Ajay Mishra Teni) टाइप के आपराधिक पृष्ठभूमि वाले नेता तो उनको गाली देकर पीटने के लिए दौड़ रहे हैं। अगर इन लोगों ने किसानों (Farmers) को गाड़ी से कुचलने की सही रिपोर्टिंग की होती तो आज टेनी जेल में बंद होते। लेकिन झूठ परोसकर इन चैनलों ने टेनी को मौका दे दिया कि वह पत्रकारों को गाली देकर भी आराम से संसद में टहल रहा है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने 15 दिसंबर को कथित तौर पर पत्रकारों को कोसा और उनमें से एक को धक्का दिया, जब उन्होंने लखीमपुर खीरी में 3 अक्टूबर की हिंसा के सिलसिले में उत्तर प्रदेश पुलिस की एसआईटी द्वारा जेल में बंद उनके बेटे आशीष पर अतिरिक्त आईपीसी की धाराओं के तहत उनकी टिप्पणी मांगी। जिले के तिकोनिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मामले में गिरफ्तार किए गए 13 लोगों में मिश्रा का बेटा भी शामिल है।
मिश्रा 15 दिसंबर को लखीमपुर खीरी के ओल कस्बे में ऑक्सीजन प्लांट का उद्घाटन कर रहे थे, तभी कथित हाथापाई हुई। घटना के कई वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए।
टीवी पत्रकार नवीन अवस्थी, जो एबीपी न्यूज़ के साथ काम करते हैं और जिनको कथित तौर पर मंत्री द्वारा धक्का दिया गया था, ने कहा, "आज मंत्री अजय मिश्रा टेनी द्वारा उद्घाटन किया गया था। वहां कई पत्रकार मौजूद थे। मैंने उनसे ऑक्सीजन प्लांट के बारे में पूछा, जिसका उन्होंने उद्घाटन किया और उसके बाद मैंने उनसे उनके बेटे के खिलाफ अतिरिक्त आरोपों के बारे में पूछा। जब मैंने उनसे इस बारे में पूछा तो वह भड़क गए और अभद्र भाषा का प्रयोग करने लगे। उन्होंने मेरा माइक्रोफोन छीन लिया और मेरा मोबाइल फोन लेने की कोशिश की। उन्होंने एक साथी टीवी रिपोर्टर का मोबाइल फोन ले लिया, जो वापस नहीं किया गया। उन्होंने पत्रकार को पीटने के लिए उनका पीछा किया। हमने कार्यक्रम स्थल से दूसरे रास्ते से बाहर निकल पाए।"
एक वीडियो में, मिश्रा को कथित तौर पर अवस्थी से कहते हुए सुना जा सकता है, "मुझसे बेवकूफी भरे सवाल मत पूछो। क्या तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है?"
एक अन्य वीडियो में वह पत्रकार पर झपट्टा मारते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस वीडियो में वह मीडिया पर नाराजगी जताते हुए कह रहे हैं कि तुम ही मीडिया वालों के चलते आज एक निर्दोष आदमी जेल में बंद है। जब नाराजगी जाहिर करते आगे बढ़ रहे थे तभी पत्रकार ने कुछ और सवाल दाग दिए, जिससे मंत्री अपना आपा खो बैठे और पत्रकार की तरफ मारने के लिए झपटे लेकिन वहां मौजूद लोगों ने उन्हें रोक लिया।
वीडियो में मंत्री पत्रकारों को धक्का देते भी दिख रहे हैं।
पत्रकारों के एक समूह ने जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा है, जो राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को संबोधित है।
"हमने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा है ताकि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो। ज्ञापन पर लखीमपुर खीरी में सैकड़ों पत्रकारों ने हस्ताक्षर किए हैं।" अवस्थी ने कहा कि अभी तक कोई पुलिस शिकायत दर्ज नहीं की गई है।
ज्ञापन में लिखा गया है, "जब पत्रकार अवस्थी ने मंत्री से तिकोनिया में हिंसा के बारे में सवाल पूछा, तो केंद्रीय राज्य मंत्री ने पत्रकार को धक्का दिया और कहा कि सभी मीडियाकर्मी बदमाश हैं और वे निर्दोष लोगों को फंसाने का काम करते हैं। उन्होंने उन्हें धक्का दिया और एक पत्रकार का मोबाइल फोन छीन लिया। हम आपसे अजय मिश्रा टेनी के खिलाफ कार्रवाई करने और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध करते हैं।"
यूपी के लखीमपुर खीरी हत्याकांड की जांच कर रही एसआईटी की रिपोर्ट सामने आने के बाद विपक्षी दलों और किसान संगठनों ने केंद्र सरकार पर हमला बोल दिया है। सड़क से लेकर संसद तक इस मुद्दे पर बवाल मचा है। कांग्रेस पार्टी के सांसद राहुल गांधी ने लखीमपुर खीरी हत्याकांड को लेकर बुधवार को सदन में नोटिस दिया था। विपक्षी दलों के हंगामे की वजह से लोकसभा की कार्यवाही बाधित हो गई। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सदन की कार्यवाही, दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का आरोप था कि एसआईटी ने लखीमपुर खीरी मामले की जांच में जो खुलासा किया है, वह बहुत गंभीर है। उस पर सदन में चर्चा होनी चाहिए। लखीमपुर खीरी कांड के मुद्दे पर उन्हें लोकसभा में बोलने नहीं दिया जा रहा है। एसआईटी रिपोर्ट में साफ हो गया है कि लखीमपुर खीरी में जो कुछ हुआ है, वह एक सुनियोजित साजिश थी। देश के किसानों को जानबूझकर बदनाम किया गया है।
सोमवार को एसआईटी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में प्रस्तुत किया था कि हत्याएं "लापरवाही या लापरवाही के कारण नहीं हुई" और अभियुक्तों की कार्रवाई "जानबूझकर मारने के इरादे से" थी।
अब तक एसआईटी एक्सीडेंटल केस के साथ ही विकल्प के रूप में हत्या की धाराओं के साथ मैदान में थी, जबकि सोमवार को एसआईटी से जुडे़ मुख्य विवेचक विद्याराम दिवाकर ने साफ कर दिया कि बारीकी से जांच करने पर यह स्पष्ट हुआ है कि लापरवाही और उपेक्षापूर्वक गाड़ी चलाते हुए मृत्यु कारित करने का दुघर्टना मामला नहीं है बल्कि सोची समझी साजिश के चलते भीड़ को कुचलने हत्या करने और हत्या के प्रयत्न के साथ ही अंग भंग करने की साजिश का साफ-साफ मामला है। इसलिए केस को परिवर्तन करते हुए हत्या और हत्या के प्रयास के साथ ही अंग भंग करने की धाराएं लगाई जानी चाहिए।
साथ ही विवेचक ने अपनी रिपोर्ट देते हुए बताया कि एक्सीडेंटल केस से जुड़ी धाराओं को हटाया जा रहा है, इसलिए जेल में बंद आरोपियों पर से धारा 279, 337, 338, 304 ए की धाराएं हटाई जा रही हैं और एकराय होकर जानलेवा हमला करने और अंग भंग करने की धाराएं बढ़ाई जाती हैं, जिनमें 120बी, 307, 34, 326 आईपीसी की धाराएं बढ़ाई गई हैं।