Big Breaking : सूरत अदालत में राहुल गांधी की सुनवाई करने वाले जज रॉबिन मोगेरा रह चुके हैं अमित शाह के वकील
‘मोदी सरनेम कंट्रोवर्सी’ के जिस मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सांसदी छिनी है और उन्हें सूरत कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनायी है, उस मामले में कभी अमित शाह के वकील रहे रॉबिन मोगेरा अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हैं। राहुल गांधी ने सेशन कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने की अपील की थी, जिस पर आज 13 अप्रैल को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रॉबिन मोगेरा सुनवाई कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक रॉबिन मोगेरा तुलसी प्रजापति फेक एनकाउंटर केस में अमित शाह के वकील रह चुके हैं। वर्ष 2006 में चर्चित तुलसी प्रजापति एनकाउंटर हुआ था। इंडियन एक्सप्रेस में जून 2014 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक अमित शाह का मुकदमा रॉबिन मोगेरा ने सीबीआई कोर्ट में लड़ा था।
सीबीआई अदालत ने गुजरात के पूर्व गृह राज्य मंत्री अमित शाह के वकील रॉबिन मोगेरा को 2014 में अमित शाह के कोर्ट में पेश न होने पर फटकार भी लगायी थी। सीबीबाई के वकील बीपी राजू ने कोर्ट से कहा कि शाह के वकील बिना किसी वजह के अमित शाह को छूट देने के लिए आवेदन कर रहे हैं। इसी दलील के आधार पर विशेष सीबीआई न्यायाधीश जेटी उतपत ने अमित शाह के वकील रॉबिन मोगेरा को फटकार लगाते हुए कहा था, आप हर बार कोई स्पष्ट कारण बताए बिना ही उनकी छूट के लिए आवेदन देते जा रहे हैं। हालांकि तब भी कोर्ट ने उनका आवेदन स्वीकार कर सुनवाई 4 जुलाई 2014 तक के लिए स्थगित कर दी थी।
मोगेरा ने सीबीआई अदालत में आवेदन लगाया था कि शाह इस समय दिल्ली में हैं और राजनीतिक कार्यो में व्यस्त हैं। इसलिए वे कोर्ट की सुनवाई में पेश नहीं हो सकते।
गौरतलब है कि तुलसी प्रजापति 2005 में हुए बहुचर्चित सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर में चश्मदीद गवाह थे। तुलसी प्रजापति और सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर के वक्त अमित शाह गुजरात के तत्कालीन गृहमंत्री थे।
आरोप है कि गुजरात के तत्कालीन गृह राज्यमंत्री शाह पर एनकाउंटर की साजिश रचने का आरोप है। सीबीआई का दावा था कि 2005 में सोहराबुद्दीन शेख और उसकी पत्नी कौसर बी को गुजरात के एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड ने हैदराबाद से पकड़ा और गांधीनगर में मार दिया। इस मामले के गवाह तुलसीराम प्रजापति की भी 2006 में एक एनकाउंटर में हत्या कर दी गयी थी।
गुजरात के इस चर्चित एन्काउंटर में अमित शाह समेत कुल 38 आरोपी बनाये गए थे। अमित शाह के अलावा इस मामले में कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी और गुजरात सरकार के मंत्री भी शामिल थे, लेकिन साल 2014 और 2017 के बीच 38 आरोपियों में से अमित शाह, डीजी बंजारा समेत कुल 16 लोगों को सबूतों के अभाव में सीबीआई कोर्ट ने बरी कर दिया था।
गौरतलब है कि कथित फेक एनकाउंटर मामले की जांच पहले गुजरात सीआईडी कर रही थी, जिसे 2010 में सीबीआर्ठ को सौंप दिया गया था। विशेष सीबीआई कोर्ट में इस केस की सुनवाई में 210 गवाह थे, जिनमे से 92 सीबीआई को दिए गए बयान में अपनी बात से पलट गये।
सीबीआई द्वारा सुप्रीम कोर्ट में की गयी अपील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सितम्बर 2012 में यह केस मुंबई ट्रांसफर किया था और 2013 में सोहराबुद्दीन, उसकी पत्नी कौसर बी और साथी तुलसीराम प्रजापति के मामलों को इकठ्ठा कर मुंबई की विशेष अदालत में सुनवाई शुरू की थी।