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राजनीति

भाजपा का विधायक तृणमूल में गया तो बिप्लब सरकार ने बौखलाकर विधायक पेंशन के नियमों को ही बदल दिया

Janjwar Desk
4 Nov 2021 7:30 AM GMT
भाजपा का विधायक तृणमूल में गया तो बिप्लब सरकार ने बौखलाकर विधायक पेंशन के नियमों को ही बदल दिया
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त्रिपुरा के सीएम बिप्लब देव।

Biplab dev

वाम मोर्चा युग में विधायकों को सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए कार्यालय में कम से कम चार साल पूरे करने की आवश्यकता होती थी। भाजपा-आईपीएफटी सरकार के गठन के साथ समय अवधि को घटाकर सिर्फ एक दिन कर दिया गया था।

जनज्वार डेस्क। त्रिपुरा के भाजपा विधायक आशीष दास के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के दो दिन बाद राज्य मंत्रिमंडल ने एक विधायक को पेंशन और अन्य भत्तों का लाभ उठाने के लिए कम से कम पांच साल का कार्यकाल अनिवार्य कर दिया है। इससे पहले वाम मोर्चा युग में विधायकों को सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए कार्यालय में कम से कम चार साल पूरे करने की आवश्यकता होती थी। भाजपा-आईपीएफटी सरकार के गठन के साथ समय अवधि को घटाकर सिर्फ एक दिन कर दिया गया था।

अहम फैसला

सूचना एवं सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुशांत चौधरी ने मंगलवार देर शाम इस फैसले की घोषणा करते हुए कहा कि राज्य ने यह फैसला इसलिए किया ताकि विधायकों की जवाबदेही बढ़ाई जा सके।

पेंशन लेने के लिए 5 साल का कार्यकाल जरूरी

विधानसभा के सभी वर्तमान और भविष्य के सदस्यों को विधायकों को प्रदान की जाने वाली सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए कम से कम एक कार्यकाल पूरा करने की आवश्यकता है। यह उन लोगों पर भी लागू होगा जो बाद के कार्यकाल में विधायक नहीं बनते हैं। चौधरी ने सिविल सचिवालय में मीडिया को संबोधित करते हुए ये बात कही। हालांकि, मंत्री ने आशीष दास का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा कि 2018 में चुने गए मौजूदा विधायक और भविष्य के विधायक संशोधित नियमों के दायरे में आएंगे।

पूर्ववर्ती वाम मोर्चा शासन में पूर्व विधायक 17,250 रुपए और पूर्व विधायकों और उनके जीवनसाथी के लिए चिकित्सा खर्च की प्रतिपूर्ति के हकदार थे। 2018 में भाजपा-आईपीएफटी सरकार के सत्ता में आने के बाद पेंशन राशि को दोगुना कर 34,500 रुपए कर दिया गया। जबकि अन्य सभी लाभ समान रहे। हालांकि, इन लाभों का लाभ उठाने की न्यूनतम अवधि जो 2019 तक एक विधायक के पांच साल के कार्यकाल में से न्यूनतम चार वर्ष थी, को किसी भी अवधि में बदल दिया गया था।

कैबिनेट के मंगलवार के फैसले ने न्यूनतम अवधि को अनिवार्य पूर्ण अवधि या पांच साल में बदल दिया। एक चौधरी ने कहा कि हाल ही में पश्चिम और उत्तरी जिलों में कोरोनावायरस की सकारात्मकता दर बढ़ी है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी जिले में सकारात्मकता दर तीन दिनों में 0.72% थी जबकि एक सप्ताह में यह आंकड़ा 0.40% था। उत्तरी जिले में, इसी अवधि में दर 0.21% से बढ़कर 1.04% हो गई थी।

आरटीपीसीआर टेस्ट जरूरी

उन्होंने तृणमूल कांग्रेस पर कोविड की सकारात्मकता दर में वृद्धि का आरोप लगाते हुए कहा कि पार्टी ने रविवार को पश्चिम जिले में एक सार्वजनिक रैली की, जिसमें उसके महासचिव अभिषेक बनर्जी ने भाग लिया। सार्वजनिक रैली में शामिल होने के लिए असम के कछार सहित अन्य राज्यों के कई लोग उत्तरी जिले के चुरैबाड़ी से होते हुए आए। उन्होंने कहा कि हमने पहले ही रेलवे, सड़क और वायुमार्ग के माध्यम से दूसरे राज्यों से आने वाले सभी लोगों के लिए आरटीपीसीआर परीक्षण अनिवार्य कर दिया है। हाईकोर्ट के आदेशों के मुताबिक रैली में केवल 500 लोगों को ही अनुमति देने का प्रावधान है। लेकिन उन्होंने हमें बदनाम करने के लिए इन चीजों का राजनीतिकरण करने की कोशिश की।

बता दें कि अभिषेक बनर्जी ने अपनी पहली सार्वजनिक रैली 31 अक्टूबर को अगरतला के रवींद्र शताबर्षिकी भवन के सामने विवेकानंद मैदान में त्रिपुरा उच्च न्यायालय की अनुमति से की थी। जब राज्य सरकार ने कार्यक्रम से एक दिन पहले इसे रद्द कर दिया था और पार्टी को अपना स्थान बदलने के लिए कहा था।

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