Dehradun News : मोदी की प्रस्तावित देहरादून रैली के विरोध में उठने लगीं आवाजें, एक्सपर्ट भी नही रैलियों के पक्ष में
(देहरादून के परेड ग्राउंड में 4 दिसंबर को प्रस्तावित है पीएम मोदी की रैली)
सलीम मलिक की रिपोर्ट
Dehradun News : राज्य में बढ़ते कोरोना (Covid 19) मामलों को देखते हुए राज्य सरकार की ओर से नई एसओपी की घोषणा करते हुए इसे बुधवार से ही लागू कर दिया है। दूसरी ओर शनिवार 4 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) की प्रस्तावित रैली के विरोध में विपक्षी नेताओं के सुर उभरने लगे हैं। कई विशेषज्ञ पिछले अनुभव को देखते हुए अब राजनैतिक रैलियों, शादियों और भीड़-भाड़ वाले आयोजनों से फिलहाल किनारा करने की सलाह देने लगे हैं।
देहरादून (Dehradun) में सपा प्रदेश अध्यक्ष डाक्टर एसएन सचान, सीपीएम नेता सुरेन्द्र सिंह सजवाण, सीपीआइ के राज्य सचिव समर भंडारी, ईश्वरपाल, सीपीएम के अनन्त आकाश, सीपीएम (एम एल) के इन्देश मैखुरी, टीएमसी के राकेश पन्त, सपा के डाक्टर आरके पाठक, चेतना के गणेश शंकर आदि ने संयुक्त बैठक में चार दिसम्बर को देहरादून के परेड मैदान (Parade Ground) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली को स्थगित करने की मांग की।
बैठक के बाद वक्तव्य जारी करते हुए वक्ताओं ने कहा कि पीएम को कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुऐ अपनी देहरादून रैली स्थगित करनी चाहिए क्योंकि हाल ही में राष्ट्रपति के ऋषिकेश दौरे के बाद उनकी सुरक्षा में लगे कई पुलिसकर्मी कोविड संक्रमित पाये गये थे।
वक्ताओं ने कहा है कि पीएम के आने से देहरादून शहर में भीड़भाड़ होगी तथा राज्य सहित अन्य प्रदेशों की भीड़ एकत्रित होने से राज्य में कोविड संक्रमण फैलने की सम्भावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। इससें पूर्व भी नमस्ते ट्रम्प तथा देश के अनेक भागों में हुई पीएम आदि की चुनावी रैलियों तथा हरिद्वार कुम्भ का खामियाजा देश की जनता भुगत चुकी है। इसलिए पीएम की राज्य के देहरादून के परेड ग्राउंड में होने वाली रैली स्थगित होनी चाहिए।
विपक्षी दलों के नेताओं ने कहा कि अब अधिकारियों एव सरकार को अपना पूरा ध्यान संक्रमण पर रोकथाम के लिए लगाना चाहिए। क्योंकि राज्य की जनता का इस सन्दर्भ में बहुत ही कड़वा अनुभव रहा है। जब सरकार की विफलता के कारण सैकड़ों लोग असमय जान गवा बैठे थे। वक्ताओं ने राज्य के मुख्यमंत्री से तत्काल उक्त रैली स्थगित करने की मांग की है। साथ ही सलाह दी है कि पीएम वर्चुअल रैली सम्बोधित कर अपनी बात रखें।
दूसरी ओर राज्य भर के तमाम स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने राज्य में तत्काल रैली, समारोह और शादियों में भीड़ जुटाने पर प्रतिबंध लगाए जाने की जरूरत बताई है। विशेषज्ञों का कहना है कि बढ़ते संक्रमण के बीच राजनैतिक दलों को भी अपने कार्यक्रम नियंत्रित करने चाहिए। देश में राजनैतिक आयोजनों, समारोहों को कोरोना की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार माना गया था। अब एक बार फिर देश के कई राज्यों में चुनाव होने हैं।
कोरोना के ओमीक्रॉन स्वरूप को लेकर बढ़ती चिंता और उत्तराखंड में लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए स्वास्थ्य महानिदेशालय ने राज्य में सख्त कोविड प्रतिबंध लागू करने की जरूरत बताई है। स्वास्थ्य महानिदेशालय की ओर से इस संदर्भ में सरकार को राय दी गई है। दरअसल राज्य में तीन सप्ताह से कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। जबकि अब वायरस के एक नए स्वरूप को लेकर भी चिंता है। इसके बाद राज्य में हालत बिगड़ने से बचाने के लिए तत्काल पहली बार जैसे सख्त प्रतिबंधों की सिफारिश की गई है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ तृप्ति बहुगुणा ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में राज्य में संक्रमण बढ़ा है। उन्होंने कहा कि बढ़ते संक्रमण को शुरूआती स्तर पर ही रोकने के लिए सख्ती जरूरी है। उन्होंने कहा कि इसमें सख्ती के साथ ही आम लोगों के सहयोग की भी जरूरत है। स्वास्थ्य महानिदेशालय से पहले राज्य में कोविड कंट्रोल के लिए एचएनबी चिकित्सा विवि के कुलपति प्रो. हेमचंद्रा की अध्यक्षता में गठित एक्सपर्ट कमेटी भी इसी तरह की सिफारिशें कर चुकी है। कमेटी ने भी कहा है कि राज्य में संक्रमण बढ़ रहा है।
डॉ. आरपी भट्ट, पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशक के अनुसार राज्य में संक्रमण के दोबारा बढ़ते स्तर को देखते हुए तत्काल समारोह और राजनैतिक रैलियों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। शादी में भी भीड़ की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। नहीं तो एक बार फिर दूसरी लहर जैसी स्थतियां पैदा होने का खतरा है। सख्त कदम उठाने जरूरी हैं। जबकि डॉ. डीएस रावत, पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशक का कहना है कि संक्रमण के स्तर को बढ़ने से रोकने के लिए शादी, समारोह और रैलियों पर रोक लगाने के साथ ही बाजार में भीड़ को तत्काल नियंत्रित किया जाना चाहिए। एक बार संक्रमण फैल गया तो फिर कोई भी उपाय कारगर नहीं हो पाता। कोविड मानकों का अनिवार्य रूप से पालन किया जाना चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञ अनूप नौटियाल ने राज्य में बढ़ते संक्रमण के बावजूद जांच बहुत कम होनेे पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जिस प्रकार के हालात बन रहे हैं उस हालात में पहले से तय लक्ष्य के अनुरूप प्रतिदिन चालीस हजार तक सैंपलों की जांच की जानी चाहिए। इसके अलावा किसी भी तरह के आयोजन और भीड़ एकत्रित होने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।
पहाड़ पर भी बढ़ा संक्रमण का खतरा
इसी बीच राज्य में कोरोना संक्रमण बढ़ता हुआ दिख रहा है। राज्य में संक्रमण लगातार बढ़ रहा है लेकिन कोरोना जांच में तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है। ऐसे में राज्य में संक्रमण की सही स्थिति का अंदाजा लग पाना बेहद कठिन हो रहा है। चार दिनों से राज्य में हर दिन मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग की चिंता का विषय यह भी है कि राष्ट्रपति ड्यूटी के लिए हुई कोविड जांच में पॉजिटिव पाए गए 19 पुलिस कर्मी व कर्मचारियों में से अधिकांश पहाड़ के अलग अलग जिलों में तैनात थे। ऐसे में पहाड़ में संक्रमण को लेकर चिंता है।
पीएम की रैली के लिए भी आरटीपीसीआर जांच के निर्देश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंच पर और साथ में रहने वाले नेताओं और सुरक्षाकिर्मियों की भी आरटीपीसीआर जांच की जाएगी। निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद ही उन्हें प्रधानमंत्री की रैली में शामिल होने की अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा बाहर से आने वाले सभी कोरोना संक्रमितों की जीनोम सिक्वेंसिंग भी की जाएगी। राजकीय दून मेडिकल कॉलेज की लैब में जीनोम सिक्वेंसिंग शुरू की जा चुकी है। इससे पहले सैंपल जांच के लिए नई दिल्ली भेजने पड़ते थे।
राज्य में हुई एसओपी लागू, सभी सरकारी कर्मचारी गुजरेंगे टेस्ट से, स्कूलों में भी सघन जांच के निर्देश
कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन को लेकर सरकार की ओर से नई एसओपी जारी की गई है। सरकार ने सख्ती करने के फैसले के साथ ही राज्य में एक बार फिर से बुधवार से कोविड प्रतिबंधों की शुरुआत कर दी है। मुख्य सचिव एसएस संधू की ओर से जारी एसओपी के अनुसार कोरोना के नए स्वरूप ओमीक्रोन से बचाव के लिए अब बार्डर, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, भीड़भाड़ वाले स्थानों और पर्यटक स्थलों पर रेंडम जांच की जाएगी। राज्य के सभी विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, मेडिकल कॉलेजों, इंजीनियरिंग संस्थानों, नर्सिंग कॉलेजों, कृषि एवं प्रोद्योगिकी संस्थानों में पढ़ रहे छात्रों की कोरोना जांच की जाएगी। विवि और कॉलेजों में छात्र-छात्राओं की कोविड जांच होगी और किसी छात्र या शिक्षक के पॉजीटिव आने पर उनका अनिवार्य रूप से कोविड प्रोटोकॉल के तहत इलाज होगा। राज्य के सभी फ्रंट लाइन वर्कर की कोविड जांच भी होगी। कमजोर व्यक्तियों की सुरक्षा खासकर 65 साल से अधिक उम्र के व्यक्तियों को आवश्यक और स्वास्थ्य संबंधी कारणों से ही घर से बाहर निकलने की इजाजत होगी। गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं और पहले से ही बीमार लोगों को भी स्वास्थ्य कारण व जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलने की इजाजत होगी।
नेपाल पर खास निगरानी
राज्य सरकार ने अंतरराष्ट्रीय नेपाल सीमा पर चौकसी बरतने की हिदायत देते हुए नेपाल से भारत आने वाले लोगों की विशेष जांच की हिदायत दी है। नई व्यवस्था के अनुसार नेपाल सीमा से भारत में प्रवेश के लिए वैक्सीन की दोनो डोज़ अनिवार्य होंगी।
मोदी की रैली की बाद तूफानी रफ्तार से बढ़ेगी टेस्टिंग ?
राज्य में कोरोना टेस्ट की धीमी गति में चार दिसम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देहरादून की प्रस्तावित रैली निबटने के बाद तेजी आने की संभावना है। माना जा रहा है कि टेस्टिंग की रफ्तार के बाद बढ़े हुए आने वाले स्वभाविक नतीजों को विपक्षी दलों के राजनैतिक कार्यक्रमों में रुकावट के तौर पर प्रयोग किया जाएगा। कोरोना का जोखिम दिखाकर विपक्षी दलों के पांव में बेड़ियां डालने के इस अभिनव प्रयोग का विपक्षी दल चाहकर भी विरोध नहीं कर पाएंगे।