Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

डिंपल को मैनपुरी जिताने उतरे शिवपाल के पीछे लगी CBI, अखिलेश बोले- BJP के ताबूत में आखिरी कील ठोकेंगे चाचा

Janjwar Desk
29 Nov 2022 2:46 AM GMT
डिंपल को मैनपुरी जिताने उतरे शिवपाल के पीछे लगी CBI, अखिलेश बोले- BJP के ताबूत में आखिरी कील ठोकेंगे चाचा
x
Gomti Rivefront Scam: गोमती रिवर फ्रंट घपले में तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह याद व दो आला अफसरों की भूमिका की पड़ताल शुरू हो गई है। CBI ने उनसे आगे की जांच के लिए पूछताछ की अनुमति मांगी है...

Gomti Rivefront Scam: गोमती रिवर फ्रंट घपले में तत्कालीन सिंचाई मंत्री शिवपाल सिंह याद व दो आला अफसरों की भूमिका की पड़ताल शुरू हो गई है। CBI ने उनसे आगे की जांच के लिए पूछताछ की अनुमति मांगी है। शासन ने निर्णय लेने के लिए सिंचाई विभाग से संबंधित रिकॉर्ड तलब किया है। शासन के एक अधिकारी ने बताया कि रिकॉर्ड के आधार पर प्रकरण में इन लोगों की भूमिका मिलने पर CBI को पूछताछ की अनुमति दी जाएगी।

साल 2017 में प्रदेश के सीएम की कुर्सी संभालते ही योगी आदित्यनाथ ने गोमती रिवर फ्रंट की जांच कराई थी। न्यायिक जांच में भारी घपला सामने आने के बाद सीबीआई को मामला सौंप दिया गया था। CBIकई इंजीनियरों को गिरफ्तार कर चुकी है। वहीं, दो IAS अधिकारी समेत तत्कालीन सिंचाई मंत्री की भूमिका की भी केंद्रीय एजेंसी जांच कर रही है।


क्या है रिवर फ्रंट घोटाला?

गोमती रिवर फ्रंट परियोजना के लिए सपा सरकार ने 2014-15 में 1513 करोड़ रूपये स्वीकृत किये थे। सपा सरकार के कार्यकाल में ही 1437 करोड़ रूपये की राशि जारी कर दी गई थी। स्वीकृत बजट की 95 फीसदी राशि जारी नहीं होने के बावजूद 60 फीसदी काम पूरा नहीं हो पाया। न्यायिक जांच में इस परियोजना को भ्रष्टाचार का पर्याय करार दिया गया। परियोजना के लिए आवंटित राशि को ठिकाने लगाने के लिए इंजीयनियरों और अधिकारियों पर जमकर खेल करने के आरोप लगे।

वहीं, डिफॉल्टर गैमन इंडिया को ठेका देने के लिए टेंडरों की शर्तों में गुपचुप ढ़ंग से बदलाव कर दिया गया। इन बदलावों को फाइलों में दर्ज तो किया गया लेकिन उनका जिक्र कहीं नहीं हुआ। बजट को ना सिर्फ मनमाने ढ़ंग से खर्च किया गया, बल्कि विजन डाक्यूमेंट बनाने तक में करोड़ों का घपला किया गया। इसके लिए न्यायिक जांच रिपोर्ट में परियोजना से जुड़े अधिशासी अभियंता, अधीक्षण अभियंता, मुख्य अभियंता और प्रमुख अभियंता के अलावा कई आला अधिकारियों को सीधे जिम्मेदार ठहराया गया था।

इनके आदेश निर्देश बनेंगे जांच का हिस्सा

शासन के मुताबिक जिन दो IAS अधिकारियों पर मॉनीटरिंग की जिम्मेदारी थी, उनके बारे में यह देखा जा रहा है कि उन्होंने टेंडर की शर्तों में बदलाव के लिए मौखिक या लिखित रूप से कोई आदेश तो नहीं दिया। मौखिक आदेश की बात सामने आने पर यह भी देखा जाएगा कि संबंधित अभियंताओं ने इसका जिक्र फाइल पर किया है या नहीं? फाइल पर मौखिक आदेशों के क्रम में लिए गये फैसले भी CBI की जांच का हिस्सा बनेंगे।

वहीं, शिवपाल के मामले में यह जानकारी जुटाई जा रही है कि गोमती रिवर फ्रंट योजना में अभियंताओं को अतिरिक्त चार्ज देने में उनकी क्या भूमिका रही? बिना टेंडर काम देने या गुपचुप ढ़ंग से टेंडर की शर्तें बदले जाने में भी उनकी भूमिका की पड़ताल हो रही है। किसी भी पूर्व मंत्री ने अपने मंत्री रहते कोई निर्णय लिया हो तो उस अवधि के भ्रष्टाचार से संबंधित मामले में पूछताछ के लिए सरकार से अनुमति आवश्यक होती है। इसी तरह से अधिकारियों के मामले में भी यही प्रावधान है।

Next Story

विविध