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राजनीति

अब किस राजनीति के साथ खड़े होंगे पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के करीबी डॉ राघवेन्द्र प्रताप सिंह, अपना दल (एस) को कहा अलविदा

Janjwar Desk
24 April 2023 12:03 PM GMT
अब किस राजनीति के साथ खड़े होंगे पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के करीबी डॉ राघवेन्द्र प्रताप सिंह, अपना दल (एस) को कहा अलविदा
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अब किस राजनीति के साथ खड़े होंगे पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के करीबी डॉ राघवेन्द्र प्रताप सिंह, अपना दल (एस) को कहा अलविदा 

राघवेन्द्र प्रताप सिंह कहते हैं, सामाजिक न्याय की राजनीति में एक जाति के विकास के पक्षधर भला वह कैसे हो सकते हैं, सामाजिक न्याय में सभी पिछड़ों दलितों-आदिवासियों की वृहत्तर भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए। अपना दल (एस) में इस तरह के माहौल का अभाव था। मैं घुटन महसूस कर रहा था और अब आगे रह सकने में मेरा जमीर तैयार नहीं था....

पूर्व प्रधानमंत्री मंडल मसीहा स्वर्गीय वीपी सिंह के करीबी रहे राघवेंद्र प्रताप सिंह ने अपना दल (एस) को अलविदा कह दिया है। राघवेंद्र ने अपना सियासी सफर इलाहाबाद विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति से किया था। उनकी गिनती 90 के दशक में क्रांतिकारी तेज.तर्रार छात्र नेता की रही।

राघवेंद्र प्रताप सिंह ने किसानों’मजदूरों आदिवासियों के दर्जनों आंदोलनों की अगुवाई की, जिसके चलते कई बार जेल की भी यात्राएं करनी पड़ी।आम आदमी के संघर्ष से अपने को जोड़कर राजनीति करना राघवेंद्र की फितरत में शामिल रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की अगुवाई में चले दादरी किसान आंदोलन में राघवेन्द्र वीपी सिंह के साथ शामिल रहे वीपी सिंह के साथ उनका रिश्ता आखिरी दौर तक बना रहा।

वर्ष 2017 में राघवेंद्र ने अनुप्रिया पटेल की अगुवाई वाले अपना दल (एस) में शामिल हुए थे। पार्टी में कई प्रमुख पदों पर काम करते हुए पिछले समय तक राघवेंद्र पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रभारी रह चुके हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव मे भी वह पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रभारी रहे हैं।

राघवेंद्र का अपनी पार्टी से किनारा करने की कई वजहें हो सकती हैं। बातचीत में राघवेंद्र प्रताप सिंह बताते हैं कि वह जनांदोलनों की राजनीति से आए हैं और मंडल मसीहा वीपी सिंह की सामाजिक न्याय की विचारधारा से प्रभावित रहे हैं। सामाजिक न्याय की राजनीति में एक जाति के विकास के पक्षधर भला वह कैसे हो सकते हैं। सामाजिक न्याय में सभी पिछड़ों दलितों आदिवासियों की वृहत्तर भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए। अपना दल (एस) में इस तरह के माहौल का अभाव था। मैं घुटन महसूस कर रहा था और अब आगे रह सकने में मेरा जमीर तैयार नहीं था।

डॉ राघवेंद्र प्रताप सिंह का अगला सियासी ठिकाना कहाँ होगा, इस पर नजर बनी रहेगी। फिलहाल उनका कहना है कि समर्थकों से रायशुमारी जारी है। मौजूदा दौर में देश में लोकतंत्र और संविधान खतरे में है सामाजिक न्याय की लड़ाई को आगे बढ़ाना है, जो भी दल इन प्रश्नों पर संघर्ष को लेकर आगे बढ़ेगा उससे बात हो सकती है।

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