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lucknow Kisan Mahapanchayat : राकेश टिकैत समेत कई दिग्गज लखनऊ में आयोजित किसान महापंचायत में शामिल

Janjwar Desk
22 Nov 2021 5:39 AM GMT
lucknow Kisan Mahapanchayat : राकेश टिकैत समेत कई दिग्गज लखनऊ में आयोजित किसान महापंचायत में शामिल
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लखनउ किसान महापंचायत : 22 नवंबर को आज होने जा रही है किसान महापंचायत 

lucknow Kisan Mahapanchayat : राकेश टिकैत ने कहा कि 'कृषि कानूनों की वापसी की प्रधानमंत्री की घोषणा तो हो गई मगर अभी बात पूरी नहीं हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चाहिए वह इस पूरे मामले को लेकर एक कमेटी गठित करें और खुद उस कमेटी में शामिल हों।

lucknow Kisan Mahapanchayat : तीन कृषि कानूनों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा वापसी के बाद 40 किसान संगठनों वाले संयुक्त किसान मोर्चे की आज लखनऊ के ईको गार्डन में महापंचायत होगी। बता दें कि इसमें कृषि कानूनों की वापसी के बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी। मिली जानकारी के अनुसार महापंचायत के लिए भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत के साथ-साथ कई अन्य प्रमुख किसान नेता शामिल होंगे।

मालूम हो कि महापंचायत के लिए राकेश टिकैत और अन्य किसान नेता रविवार की देर रात लखनऊ पहुंचे थे। हिंदुस्तान में छपी खबर के अनुसार आयोजन की पूर्व संध्या पर राकेश टिकैत ने कहा कि 'कृषि कानूनों की वापसी की प्रधानमंत्री की घोषणा तो हो गई मगर अभी बात पूरी नहीं हुई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चाहिए वह इस पूरे मामले को लेकर एक कमेटी गठित करें और खुद उस कमेटी में शामिल हों। फिर यह कमेटी पत्र लिखकर किसान नेताओं को वार्ता के लिए आमंत्रित करे।'

नेताओं पर दर्ज मुकदमें रद्द हो

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कृषि कानून वापसी के बाद आन्दोलन वापस न लिए जाने का कारण पूछा गया तो इस पर राकेश टिकैत का कहना था कि 'अभी भी किसानों उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य दिये जाने की गारंटी का मसला हल नहीं हुआ है। किसानों को केन्द्र सरकार से इस बारे में कोई आश्वासन नहीं बल्कि एक्शन चाहिए। यही नहीं आन्दोलन के दौरान जो 750 किसान शहीद हुए उनके परिजनों को समुचित मुआवजा, उनकी स्मृति में एक राष्ट्रीय स्मारक बनाए जाने और आन्दोलन के दौरान किसानों व उनके नेताओं पर दर्ज हुए मुकदमों की वापसी के मुद्दों पर भी केन्द्र सरकार से बात होनी है।'

पराली जलाने के नाम पर उत्पीड़न

आगे राकेश टिकैतने कहा कि 'पराली जलाने के नाम पर किसानों का उत्पीड़न किया जा रहा है। इसमें किसानों की क्या गलती है। सरकार हम किसानों का ऐसा बीज उपलब्ध क्यों नहीं करवाती जिससे पराली के बगैर धान पैदा हो सके। हमें पराली जलाने का शौक नहीं है। इसी तरह बिजली पर यह एक नया कानून ला रहे हैं कि जिसके दो पशु होंगे उसे बिजली का कामर्शियल कनेक्शन लेना होगा। दूध के व्यापार के लिए बाहरी कम्पनियों को यहां ला रहे हैं। जो 22 रूपये लीटर की दर से दूध बेचेंगी तो ऐसे में अपने देश का पशुधन तो खत्म हो जाएगा।'

कृषि कानून वापसी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि हमारी सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला करती है। पीएम के इस फैसले को कृषि सुधारों की दिशा में सबसे बड़ा झटका माना जा रहा है। पीएम मोदी ने किसानों से माफी भी मांगी है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने कृषि कानूनों को लेकर किसानों को समझाने का भरसक प्रयास किया लेकिन हम उन्हें समझाने में विफल रहे। इसलिए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया है।

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