Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

गृह राज्य में कैसे फंसे हरीश रावत, कभी सोचा नहीं होगा इस तरह गाली देंगे पार्टी के कार्यकर्ता

Janjwar Desk
24 Dec 2021 5:16 PM IST
गृह राज्य में कैसे फंसे हरीश रावत, कभी सोचा नहीं होगा इस तरह गाली देंगे पार्टी के कार्यकर्ता
x
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव फरवरी 2022 में होना है। उससे ठीक पहले उत्तराखंड की राजनीति ने ऐसी करवट ली कि हरीश रावत की बगावत ने कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।

धीरेंद्र मिश्र/नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान के एक प्रोफेसर ने कहा था - राजनीति का डायनामिक्स हाइड्रोजन बम से भी ज्यादा घातक होता है। यह आपको कब किस स्थिति में लाकर रख दे, इसका अनुमान लगाना सहज नहीं होता। कुछ ऐसा ही उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पंजाब एपिसोड के संकटमोचक कांग्रेस नेता हरीश रावत ( Harish Rawat ) के साथ इन दिनो हो रहा है। उन्होंने कभी सोचा नहीं होगा जिस गृह राज्य के लोगों के लिए पूरी जिंदगी राजनीति करते रहे, वहीं लोग व पार्टी के वर्कर एक दिन गाली भी देंगे। वो भी उत्तराखंड कांग्रेस ( Congress ) के हेडक्वाट्रर में।

लेकिन, ऐसा हुआ है। यह घटना अब हरीश रावत के लिए वो कड़वा घूंट है, जिससे पार पाना उनके वश में नहीं है। दरअसल, उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव फरवरी 2022 ( Uttarakhand Election 2022 ) में होना है। ऐन मौके पर उत्तराखंड की राजनीति ने ऐसी करवट ली कि हरीश रावत की बगावत ने कांग्रेस ( Congress ) के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। बुधवार को रावत ने कई ट्वीट्स कर हाईकमान पर इशारों में ही निशाना साधा और कहा कि जिनके आदेश पर मुझे तैरना है, उनके ही कुछ नुमाइंदे मेरे हाथ-पैर बांध रहे हैं। उन्होंने अपने ट्वीट्स में किसी पर भी सीधे तौर पर निशाना नहीं साधा, लेकिन इशारों में ही सब कुछ कह गए।

अमरिंदर सिंह का तेज - जो बोया था वही काट रहे हैं

वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत के इन ट्वीट्स ने उत्तराखंंड से पंजाब तक उनके विपक्षियों को बड़ा मौका दे दिया। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने रावत की टिप्पणियों पर कहा- आपने जो बोया था, वही काट रहे हैं। बता दें कि हरीश रावत की कैप्टन को सीएम पद से हटाने की मुहिम में अहम भूमिका मानी जा रही थी। खैर, यहां बात हरीश रावत की नाराजगी की हो रही तो आइए जानते हैं।

उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव से नाराज हैं हरीश रावत

हरीश रावत ने अपने ट्वीट में नुमाइंदों का जिक्र किया है। उनके करीबियों का कहना है कि हरीश रावत का इस शब्द के जरिए देवेंद्र यादव पर निशाना था, जो प्रदेश के प्रभारी हैं। हरीश रावत के एक करीबी नेता ने कहा - पार्टी के प्रभारी देवेंद्र यादव 2 से 3 लोगों के जरिए सब चीजें चला रहे हैं। दरबारियों को तवज्जो मिल रही है और राज्य के नेताओं को किनारे लगा दिया गया है। समस्या की जड़ यही है। रावत के समर्थकों का कहना है कि लंबे समय से उन्हें साइडलाइन करने की कोशिश की जा रही है।

चुनाव से ठीक पहले खोला मोर्चा

पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ( Harish Rawat ) के गुट के एक नेता ने कहा कि पंजाब के संकट को जिस तरह से रावत ने संभाला था, उसे देखते हुए उन्हें अपने गृह राज्य में अधिक ताकत देनी चाहिए थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रावत गुट का कहना है कि उनके समर्थकों को टिकट बंटवारे में तवज्जो न मिलने का डर है। ऐसे में पहले ही दबाव बनाने की रणनीति के तहत हरीश रावत ने लीडरशिप के खिलाफ मोर्चा खोला है। रावत को लगता है कि यदि उनके समर्थकों को टिकट कम मिले तो जीत के बाद उनके सीएम बनने की राह में रोड़ा अटक सकता है।

2 बार पहले भी झटके झेल चुके हैं हरदा

हरीश रावत उर्फ हरदा के नाम से लोकप्रिय हमेशा से कांग्रेस और गांधी परिवार के वफादार रहे हैं, लेकिन उन्हें दो झटके झेलने पड़े हैं। 2002 में भी वह पहली बार सीएम बनने की रेस में थे, लेकिन तब पार्टी ने सीनियर लीडर एनडी तिवारी को मौका दिया था। साल 2012 में उन्हें एक बार फिर से सीएम बनने की उम्मीद जगी थी, लेकिन तब काफी जूनियर और कम जनाधार वाले नेता विजय बहुगुणा को मौका दिया गया। 2013 की बाढ़ के संकट से सही ढंग से निपट पाने के आरोपों के बाद बहुगुणा को हटा दिया गया था। तब जाकर रावत को सत्ता मिल पाई थी। उस कार्यकाल में हरीश रावत काफी लोकप्रिय रहे, लेकिन 2017 में सत्ता से ही पार्टी बाहर हो गई। इस बार जीत की स्थिति में वह पूरे 5 साल के कार्यकाल की उम्मीद लगाए बैठे थे, लेकिन फिर से हालात उनके हाथ से बाहर जाते दिख रहे हैं।


इसलिए बगावत पर उतरे हुए हरदा :


सीएम का चेहरा न घोषित होना

उत्तराखंड में 2022 का चुनाव हरीश रावत का अंतिम चुनाव माना जा रहा है। ऐसे में हरीश रावत अपनी लोकप्रियता को देखते हुए अपने नाम को सीएम के तौर पर प्रोजेक्ट करवाने में जुटे हैं। इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने सबसे पहले कर्नल अजय कोठियाल को सीएम प्रत्याशी घोषित कर एक नई पहल शुरू कर दी। इसके बाद भाजपा ने भी सीएम पुष्कर सिंह धामी को अपना चेहरा घोषित कर दिया। लेकिन अब तक कांग्रेस खुलकर किसी नाम पर सहमति नहीं जता रही है। इसके पीछे प्रदेश कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव का हाथ माना जा रहा है।

टिकट बंटवारे में नहीं सुनी गई बात

कांग्रेस आलाकमान ने उत्तराखंड में चुनाव अभियान की कमान हरीश रावत को सौंपी हुई है। ऐसे में हरीश रावत टिकट बंटवारे में अपनी दखल रखना चाह रहे हैं। जिसमें वे अपने तरीके से टिकट बंटवारे का फॉर्मूला चाहते हैं। लेकिन स्क्रीनिंग कमेटी जिस तरह हर जिले में लाकर दावेदारों की लिस्ट तैयार कर अपनी रिपोर्ट बना रही है। साथ ही प्रभारी देवेन्द्र यादव ने पूरी रणनीति अपने हाथ में ले रखी है। उससे हरीश रावत को अपनी पॉजिशन खतरे में लग रही है।

राहुल के मंच पर रावत को जगह न देना

हरीश रावत और प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव के बीच की बॉडिंग को लेकर पहले ही दिन से सवाल उठते आ रहे हैं। इसके बाद देवेन्द्र यादव ने उत्तराखंड के हर जिले में पहुंचकर कार्यकर्ताओं का फीडबैक भी लेकर अपने दांव खेलने शुरू कर दिए हैं। उससे हरीश रावत देवेन्द्र यादव नाराज दिख रहे हैं। साथ ही राहुल गांधी की रैली में देवेन्द्र यादव का हरीश रावत समर्थकों को मंच पर जगह न देना और पूरे कार्यक्रम को अपने हाथों में लेना हरीश रावत के गले नहीं उतरा है। साथ ही प्रभारी देवेन्द्र यादव की नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह से भी नजदीकियां हरदा के टेंशन का कारण हैं।

दरअसल, जब से प्रीतम सिंह को प्रदेश अध्यक्ष से हटाकर नेता प्रतिपक्ष बनाया गया। प्रीतम और हरीश रावत खेमा दो गुटो में बंटा हुआ है। लेकिन चुनाव से पहले प्रीतम खेमा खासा एक्टिव है। इस गुट में हरीश रावत के पुराने करीबी और हरीश रावत से नाराज बड़े नेता भी शामिल हो गए हैं। इतना ही नहीं पुराने कांग्रेसियों की कांग्रेस पार्टी में एंट्री के पीछे प्रीतम सिंह को ही माना जा रहा है। ऐसे में हरीश रावत को यह डर है कि प्रीतम गुट मजबूत होकर चुनाव के बाद उन पर हावी हो सकता है।

जिला स्तर पर हरदा को खास तवज्जो ​न​ मिलना

पंजाब क्राइसिस से पार पाने के बाद से हरीश रावत इन दिनों पूरे प्रदेश में घूम रहे हैं, लेकिन कई जिला संगठनों ने हरीश रावत के कार्यक्रमों में दिलचस्पी नहीं दिखाई। इस घटना से भी हरीश रावत की नाराज हैं। खुद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल मानते हैं कि संगठन में कहीं-कहीं इस तरह की शिकायत आई है, जिसे दूर किया जाएगा।

Next Story

विविध