Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

Gujarat Election 2022 : मोदी के हिंदुत्व के बहाव में सियासी खात्मे के कगार पर मुस्लिम समाज

Janjwar Desk
17 Nov 2022 1:10 PM IST
कांग्रेस पर हमला बोलने के लिए चाहिए बहाना, भाजपा ने एक भूल की आड़ में वीडियो वायरल कर राहुल गांधी से पूछे तीखे सवाल
x

file photo

Gujarat Election 2022: 182 विधानसभा सीटों में से 34 पर मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 15 फीसदी से अधिक है। 20 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 20 फीसदी से अधिक है।

गुजरात में सियासी खात्मे की राह पर मुस्लिम समाज, धीरेंद्र मिश्र का विश्लेषण

Gujarat Election 2022 : गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के नामांकन का आज अंतिम दिन है। लगभग सभी पार्टियों ने प्रत्याशियों की सूची जारी भी कर दी हैं। इस बीच प्रत्याशियों के चयन को लेकर प्रमुख पार्टियों से जो रुझान मिले हैं वो चौंकाने वाले हैं। खबर यह है कि मोदी के हिंदुत्व की लहर में भाजपा को तो छोड़िए जो पार्टियां अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को टिकट देती भी थी, वो भी अब मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतारने के नाम पर खानापूर्ति में ही जुटी हैं। भाजपा ने इस बाद भी मुस्लिम प्रत्याशी को मैदान में नहीं उतारा है।

दूसरी तरफ पीएम मोदी के गृह राज्य में चुनाव को लेकर राजनीति चरम पर पहुंच चुका है। चारों तरफ सियासी शोरगुल का असर साफ दिखाई देता है। मोदी और उनकी पार्टी भाजपा दोबारा सत्ता हासिल करने की पूरी कोशिश में है। पिछले 27 साल से गुजरात में बीजेपी की ही सत्ता है और मोदी चाहते हैं कि इस चुनाव में बीजेपी पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दे। रुझान भी ऐसे मिल रहे हैं कि अगर आप की एंट्री का असर नहीं हुआ तो भाजपा के पक्ष में ऐसा परिणाम आ भी सकता है।

क्यों सिमट रहा है मुस्लिम समाज का प्रतिनिधित्व

दरअसल, गुजरात में मुस्लिम आबादी लगभग 58 लाख ( कुल आबादी का 9.67 प्रतिशत) है। राज्य की कई सीटों पर मुस्लिम मत निर्णायक साबित होते हैं। इस चुनाव में खास बात यह कि इस बार मैदान में भाजपा के सामने कांग्रेस के अलावा आम आदमी पार्टी और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) भी है। एआईएमआईएम इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव में 40 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रही है। बताया जा रहा है कि एआईएमआईएम की चुनाव में एंट्री का असर होगा। अधिकांश लोग यही कयास लगा रहे हैं कि इसका नुकसान कांग्रेस को ही होगा।

34 सीटों पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में

गुजरात की कुल 182 विधानसभा सीटों में से 34 विधानसभा सीट ऐसे हैं जहां मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 15 फीसदी से अधिक है। जबकि 20 विधानसभा सीटें ऐसी हैं जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 20 फीसदी से अधिक है। फिर भी प्रमुख राजनीतिक दल और राज्य में सत्ता पर काबिज भाजपा इस बार चुनाव में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को नहीं उतारा है। भाजपा ने आखिरी बात 24 साल पहले एक मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में उतारा था। इस बार अब तक जारी उम्मीदवारों की सूची में बीजेपी ने एक भी मुस्लिम को टिकट नहीं दिया है। भाजपा की ओर से साफ संकेत साफ, आप हमारे साथ नहीं है तो हमसे भी साथ होने की उम्मीद न करें।

कांग्रेस और आप ने भी की मुस्लिम दावेदारोंं की उपेक्षा की

अगर कांग्रेस की बात करें तो उसने अभी तक जारी 140 उम्मीदवारों की सूची में केवल 6 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इस चुनाव में कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग ने मुसलमानों के लिए 11 टिकटों की मांग की थी। पिछले चार दशकों में सबसे अधिक संख्या में कांग्रेस ने 1980 के दशक में 17 मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था।

बात आम आदमी पार्टी की जाए तो उसकी 157 उम्मीदवारों की सूची में सिर्फ दो मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया गया है। जबकि आप को दिल्ली में मुस्लिम समर्थक पार्टी होने का तमगा हासिल है। दिल्ली की सभी सात मुस्लिम प्रभाव वाले सीटों पर आप के ही मुस्लिम विधायक हैं। आप की सरकार मुस्लिम कल्याण को लेकर कई योजनाएं भी चलाई हैं। ओखला से मुस्लिम विधायक अमानतुल्ला खान अकेले पूरी की पूरी भाजपा पर भारी साबित होते हैं। एआईएमआईएम ने मुस्लिमों को टिकट दिया है, लेकिन वो केवल 40 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। फिर एआईएमआईएम द्वारा मुसलमानों को टिकट देने को लेकर ये भी कहा जा रहा है कि उन्होंने भाजपा को लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा किया है।

1980 में 12 सीटों पर जीते थे मुस्लिम प्रत्याशी

मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट देने के मामले में कांग्रेस और भाजपा का कहना है कि वो जीतने की क्षमता रखने वाले उम्मीदवारों को टिकट देते हैं। इसके उलट एक दौर था जब कांग्रेस के दिग्गज नेता माधवसिंघ सोलंकी ने क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुसलमान समीकरण बिठाया था, जिसका लाभ पार्टी को मिला और 12 मुस्लिम उम्मीदवार जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। 1985 में कांग्रेस ने इसी फॉर्मूला को आगे बढ़ाते हुए मु्स्लिम उम्मीदवारों की संख्या 11 कर दी और आठ मुस्लिम उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी।1990 के दशक में राम मंदिर का आंदोलन शुरू हुआ और हिंदुत्तव राजनीति के बीच भाजपा और उसकी सहयोगी जनता दल ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा। कांग्रेस ने 11 मुस्लिम उम्मीदवार उतारा जिनमें दो ही जीत हासिल कर पाए। 1995 के चुनाव में कांग्रेस के सभी 10 उम्मीदवार चुनाव हार गए। गोधरा कांड और उसके बाद भड़के दंगों के कारण वोटों का ध्रुवीकरण बहुत तेजी से हुआ और कांग्रेस ने 2002 में सिर्फ पांच मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया। उसके बाद से कांग्रेस छह से अधिक सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारती है। इस बीच गुजरात में हुए एक सर्वे में दावा किया गया है कि राज्य के 47 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता कांग्रेस के समर्थन में हैं। जबकि आप को पसंद करने वाले मुस्लिम वोटरों की संख्या करीब 25 फीसदी है। एआईएमआईएम के साथ सिर्फ नौ प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं। वहीं भाजपा के साथ 19 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं। इसके बावजूद कांग्रेस द्वारा केवल छह मुस्लिमों को प्रत्याशी बनाना चौंकाने वाली है। क्या इसे कांग्रेस का भी हिंदुत्व की राह पर आगे बढ़ने का संकेत माना जा सकता है। क्या कांग्रेस को लग गया है कि हिंदू मतदाताओं को नाराज कर चुनाव जीतना अब संभव नहीं है।

1 और 5 दिसंबर को डाले जाएंगे वोट

बता दें कि गुजरात के 33 जिलों की कुल 182 सीटों पर चुनाव के लिए 4.90 करोड़ पात्र मतदाता हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक राज्य में 1,417 थर्ड जेंडर हैं। वहीं पुरुष मतदाताओं की संख्या 2,53,36,610 और महिला मतदाताओं की संख्या 2,37,51,738 है। गुजरात में विधानसभा चुनाव में एक दिसंबर और पांच दिसंबर को वोट डाले जाएंगे।

Next Story

विविध