Rashtrapatni Controversy : अधीर रंजन चौधरी का हरीश रावत ने इस तरह किया बचाव, कहा अनायास कर बैठे राष्ट्रपत्नी शब्द का प्रयोग
अधीर रंजन चौधरी का हरीश रावत ने इस तरह किया बचाव, कहा अनायास कर बैठे राष्ट्रपत्नी शब्द का प्रयोग
Rashtrapatni Controversy : पश्चिमी बंगाल से कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी द्वारा राष्ट्रपति के लिए राष्ट्रपत्नी का संबोधन किए जाने के मामले के तूल पकड़ने पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अधीर की पैरवी में आ गए हैं। रावत ने अधीर की इस चूक को उनका गैरहिंदी भाषीय होना बताते हुए इसे व्याकरणीय गलती करार दिया है। इतना ही नहीं इस दिग्गज कांग्रेस नेता हरीश रावत ने अधीर पर उंगलियां उठा रहे लोगों को भी आड़े हाथों लेते हुए इसे गैर हिंदी भाषी व्यक्ति वालों को हिंदी के निरुत्साहित करने वाला कदम बताया है।
बकौल हरीश एक तरफ तो हम चाहते हैं कि देश के अधिक से अधिक लोग हिंदी भाषा का प्रयोग करें और दूसरी तरफ गैर हिंदी भाषी लोगों द्वारा हिंदी बोलने के दौरान होने वाली उनकी व्याकरणीय भूल को लेकर कोहराम मचा देते हैं, जिससे हिंदी बोलने का प्रयास करने वाला व्यक्ति भी विवाद में न पड़ने के कारण हिंदी का उपयोग करने से बचने लगता है। अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस और भाजपा को टैग करते हुए इस मामले में फेसबुक पर की गई एक पोस्ट में हरीश रावत ने लिखा है कि श्री #अधीररंजनचौधरी अनायास महामहिम माननीया राष्ट्रपति जी के लिए राष्ट्रपत्नी शब्द का प्रयोग कर बैठे और समझ में आने के बाद अपनी गलती को उन्होंने सुधारा और जब स्वयं उस चैनल तक भी पहुंचने की कोशिश की जिस चैनल में उनका बयान दिखाया जा रहा था।
श्री #अधीर_रंजन अनायासी महामहिम माननीया राष्ट्रपति जी के लिए राष्ट्रपत्नी शब्द का प्रयोग कर बैठे और समझ में आने..https://t.co/13U6IkCJfx..अहिंदी भाषी लोग जो हिंदी में बोलने का प्रयास कर रहे हैं वह इससे हतोत्साहित होंगे।#India #BJP4IND #Congress@INCIndia @adhirrcinc pic.twitter.com/KYJ80OSfy9
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) July 28, 2022
स्वयं कांग्रेस अध्यक्षा ने कहा श्री अधीर रंजन माफी मांग चुके हैं, उसके बाद बार-बार इस प्रश्न को उठाना और सड़कों पर प्रदर्शन करना और बड़े-बड़े नेताओं द्वारा बयान जारी करना, कहां तक उचित है ? श्री अधीर रंजन एक अहिंदी भाषी व्यक्ति हैं, उन्होंने अंग्रेजी में बोलने के बजाय हिंदी में बोलना उचित समझा और अपने इस प्रयास में उनसे भाषा व्याकरण में गलती हो गई, समझ में आने पर उन्होंने उसको सुधारा।
महामहिम के प्रति अशिष्टता या अभद्रता, न उनका उद्देश्य था और न किसी का उद्देश्य हो सकता है। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी हमारे देश की सम्मानित राष्ट्रपति हैं और हम सब उनकी जन्म की पृष्ठभूमि को लेकर अपने को गौरवान्वित महसूस करते हैं कि एक आदिवासी महिला आज हमारे देश की राष्ट्रपति हैं और यह सम्मान हमारे संविधान ने उनको दिलवाया है। हम उस संविधान को भी प्रणाम करते हैं। मगर एक तरफ हम चाहते हैं कि लोग हिंदी के प्रति सम्मान जाहिर करें, हिंदी का उपयोग करें, अहिंदी भाषी लोग भी हिंदी में बोलें और दूसरी तरफ हम उनके व्याकरण आदि की गलतियों पर तूफान खड़ा करेंगे तो इससे कोई अच्छा दूरगामी संदेश नहीं जाएगा। अहिंदी भाषी लोग जो हिंदी में बोलने का प्रयास कर रहे हैं वह इससे हतोत्साहित होंगे।