Indira Gandhi : इंदिरा गांधी का बलिदान भूली पंजाब की चन्नी सरकार ?
(31 अक्टूबर के दिन ही पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को उनके घर पर उनके बॉडीगार्ड्स ने मार दी थी गोली)
Indira Gandhi : देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के बलिदान दिवस पर 31 अक्टूबर को पंजाब सरकार और पंजाब कांग्रेस (Punjab Congress) की ओर से कोई बड़ा आयोजन नहीं किया गया। इस मौके पर सरकारी तौर पर कोई समारोह भी आयोजित नहीं किया गया। जिस नेता को आजादी के बाद देश की लौह महिला (Iron Women) के नाम से जाना जाता है, उसी नेता को भूलना चन्नी सरकार की अवसरवादिता ही कहलाएगी। जानकार मानते हैं कि आपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) से इन्दिरा गांधी का नाम जुड़ा हुआ है और मौजूदा समय में चन्नी सरकार (Punjab Govt) सिखों की भावना को आहत नहीं करना चाहती।
इसको लेकर कांग्रेस के ही सीनियर नेता और पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar) ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इसको लेकर एक ट्वीट भी किया है। सुनील जाखड़ ने अपने एक ट्वीट में लिखा है, "मैं समझ सकता हूं कि बीजेपी इतिहास से 'आयरन लेडी ऑफ इंडिया' को मिटाने की कोशिश कर रही है लेकिन क्या पंजाब में कांग्रेस की सरकार नहीं है? मुझे पता है कि कैप्टन साब (Capt Amarinder Singh) पिछले साल के पंजाब सरकार के इस विज्ञापन का उपयोग करने से बुरा नहीं मानेंगे क्योंकि आज इस बड़े मौके पर सरकार का कोई विज्ञापन नहीं दिखाई दिया।"
I can understand BJP trying to erase 'Iron Lady of India' from history but don't we still have a Congress Government in Punjab.
— Sunil Jakhar (@sunilkjakhar) October 31, 2021
PS. I know Capt Saab won't mind my using this PB Govt's ad from last year, as none appeared today pic.twitter.com/yJSMIYQuPg
सुनील जाखड़ ने अपने इस ट्वीट से पंजाब प्रदेश कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू, मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा और दूसरे तमाम कैबिनेट मंत्रियों को घेरने की कोशिश की। इस समय सूचना एवं जनसंपर्क विभाग मुख्यमंत्री चन्नी के पास है। ऐसे में इस बड़े मौके पर किसी भी प्रकार का आयोजन ना करना कांग्रेस के बड़े नेता को रास नहीं आ रहा है।
बता दें कि 31 अक्टूबर के दिन ही पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को उनके घर पर उनके बॉडीगार्ड्स ने गोली मार दी थी। हर साल कांग्रेस और कुछ हिंदू संगठन इसे बलिदान दिवस के तौर पर मनाते आ रहे है। हर साल कांग्रेस की तरफ से दिल्ली और पंजाब कांग्रेस की ओर से समारोह का आयोजन किया जाता है।
सूत्रों के अनुसार चन्नी सरकार ने 31 अक्टूबर का विज्ञापन नहीं दिया। इसके पीछे की वजह उससे ठीक दो दिन पहले हुई घटना हो सकती है। जगदीश टाइटलर को दिल्ली कांग्रेस की नई कार्यकारी समिति में स्थायी आमंत्रित सदस्य के रूप में नियुक्त करने के बाद विवाद खड़ा हो गया था। टाइटलर का नाम 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख विरोधी दंगे के आरोपियों में शामिल रहा है।
पंजाब में इस फैसले से कांग्रेस सशंकित थी। बीजेपी और अकाली दल इसे मुद्दा बना रहे थे। ऐसे में पार्टी के एक वर्ग का मानना था कि अगर 31 अक्टूबर को बड़े सरकारी आयोजन हुए तो यह बैक फायर भी हो सकता है। यह मसला पंजाब में शुरू से बहुत संवेदनशील रहा है। कांग्रेस हमेशा ऐहतियात बरतती रही है। सोची-समझी रणनीति के तहत मामले को दबाने की कोशिश की गई।
दिलचस्प बात है कि 2016 में भी राज्य में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ऐसा ही विवाद उठा था। तब कांग्रेस के सीनियर नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ को पंजाब कांग्रेस का प्रभारी बिना दिया गया था। उन पर 1984 दंगों में शामिल होने का आरोप लगाकर विपक्षी दलों ने इसे बड़ा मुद्दा बना दिया था। बाद में तब भी डैमेज कंट्रोल करते हुए कमलनाथ ने प्रभारी पद छोड़ दिया। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि उनका नाम कभी दंगे से नहीं जुड़ा। किसी रिपोर्ट में उनके नाम का जिक्र तक नहीं था।
तो क्या कांग्रेस अभी भी 1984 की घटनाओं से पंजाब में आशंका से घिरी रहती है और हर बार चुनाव से पहले यह मुद्दा ना उभरे, इसके लिए अतिरिक्त सावधानी बरतती है। इसके लिए इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि को लो प्रोफाइल में रखना चाहती है? दरअसल, इस बार चुनाव से पहले कांग्रेस कई तरह से मुसीबत में है। कैप्टन अमरिंदर सिंह भी कांग्रेस से अलग हो चुके हैं।
अमरिंदर उन चंद नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने ऑपरेशन ब्लूस्टार के बाद कांग्रेस को उसकी सियासी जमीन वापस दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई। ऐसे में पार्टी अभी हर कदम फूंक-फूंक कर रखना चाहती है। हालांकि पार्टी का यह भी मानना है कि उस घटना को लगभग 40 साल बीत गए हैं, अब उसका कोई प्रभाव नहीं है लेकिन फिर भी मौजूदा परिस्थिति में किसी भी तरह का जोखिम लेना नहीं चाहती है।
सीएम चरणजीत सिंह चन्नी के करीबी नेताओं का कहना है कि इस मुद्दे को बेवजह तूल दिया जा रहा है। कुछ भी जानबूझकर नहीं किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि इंदिरा गांधी के प्रति राज्य में बहुत सम्मान है। इसके साथ ही वे पिछले दो सालों का मिसाल देते हैं, जब इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने 31 अक्तूबर को विज्ञापन जारी किया था। कुल मिलाकर चाहे जानबूझकर कर किया गया हो या ऐसा गलती से हुआ हो, चन्नी सरकार का इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर विज्ञापन न देने का फैसला मुसीबत बनकर सामने आया है।