Jammu-Kashmir : फारूक अब्दुल्ला ने क्यों कहा, किसानों की तरह यहां के लोगों को भी देना पड़ सकता है बलिदान, क्या है उनका इरादा?
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Jammu-Kashmir : केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कान्फ्रेंस के प्रमुख डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने रविवार को नेकां के संरक्षक शेख अब्दुल्ला की पुण्यतिथि पर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा छीने गए अधिकारों को पाने के लिए किसानों की तरह बलिदान देना पड़ सकता है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से एक ऐसा मंच तैयार करने को कहा जिससे केंद्र शासित प्रदेश को पूर्ण प्रदेश का दर्जा मिल सके।
शाह पर साधा निशाना
डॉ. फारूक ने हजरतबल में अपने पिता और नेकां के संरक्षक शेख अब्दुल्ला की पुण्यतिथि पर कहा कि हर कार्यकर्ता और नेता को हर गांव और इलाके में लोगों के संपर्क में रहना होगा। लोगों को राजनीतिक अधिकारों के लिए जागरूक करना होगा। जिस तरह 700 किसानों के बलिदान के बाद केंद्र ने कृषि कानूनों को निरस्त किया। उसी तरह हमें केंद्र द्वारा छीने गए अधिकारों को वापस पाने के लिए बलिदान देना पड़ सकता है। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति और पर्यटन बढ़ने के बयान पर कहा कि अगर कश्मीर में पर्यटन बढ़ रहा है, तो इसका क्या मतलब है, क्या पर्यटन ही सब कुछ है। शाह इसकी आड़ में हमारे अधिकार नहीं छीन सकते।
डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हैदरपोरा मुठभेड़ में मारे गए तीन लोगों के परिवारों के भारी विरोध के बाद पुलिस और प्रशासन को दो के शवों को बाहर निकालना पड़ा। इसके बाद उन्हें पीड़ित परिवारों को सौंपना पड़ा। तीसरे व्यक्ति का शव उधमपुर में उसके परिवार को सौंपा जाना बाकी है। उन्होंने पार्टी के लोगों से जनसंपर्क कार्यक्रम शुरू करने और कश्मीर के हर गांव और इलाके लोगों से जुड़ने की बात भी कही।
बता दें कि केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को पांच अगस्त 2019 को लोकसभा और राज्यसभा में संशोधन बिल पास कराने के बाद रदृ कर दिया था। उसके बाद से जम्मू-कश्मीर का स्टेटस केवल केंद्रशासित प्रदेश की है।