Kaali Poster Controversy : काली विवाद पर फिर भड़कीं महुआ मोइत्रा, बोलीं - देवी-देवताओं की ठेकेदार नहीं BJP
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Kaali Poster Controversy : तृणमूल कांग्रेस सभा सांसद महुआ मोइत्रा देवी काली पर अपनी टिप्पणी को लेकर विवादों में घिर गई है। महुआ मोइत्रा ने पूछा है कि क्या असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा लिखित रूप में बता सकते हैं कि कामाख्या मंदिर के पीठासीन देवता को क्या प्रसाद दिया जाता है। महुआ मोइत्रा ने कहा कि क्या अन्य बीजेपी शासित राज्यों के सीएम वहां के मंदिरों में मां काली को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद के बारे में ऐसा कर सकते हैं। क्या शराब इन मंदिरों में नहीं चढ़ाया जाता है। साथ ही महुआ मोइत्रा ने कहा कि बीजेपी मुझे नीचे गिराना चाहती है क्योंकि मैं इसके कुकर्मों का जमकर विरोध करती हूं लेकिन मुझे पता है इनकी रणनीति काम नहीं करेगी।
BJP देवी-देवताओं की संरक्षक नहीं
साथ ही महुआ मोइत्रा ने कहा कि उन्होंने इस मामले पर परिपक्व राजनेता की तरह एक्शन लिया है। उनका मानना है कि भाजपा हिंदू देवताओं की संरक्षक नहीं है और ना ही पार्टी को बंगालियों को काली देवी की पूजा करना सिखाना चाहिए। उन्होंने कहा 'ना तो भगवान राम और ना ही भगवान हनुमान केवल भाजपा के हैं। क्या पार्टी हिंदू धर्म का पट्टा लिया है।'
BJP नहीं सीखा सकती देवी-देवताओं की पूजा करना
टीएमसी की नेता महुआ मोइत्रा ने आगे कहा कि 'लंबे समय से हम भाजपा के हिंदू धर्म के अपने संस्करण को थोपने से परहेज कर रहे हैं, जो कि उत्तर भारत के स्थापित मानदंडों पर आधारित है। पार्टी को इसे अन्य हिस्सों के लोगों पर थोपने से बचना चाहिए। पश्चिम बंगाल में हिंदू सदियों से अपने सुस्थापित रीति-रिवाजों का पालन करते आ रहे हैं। देवी काली की पूजा कैसे की जाती है? यह हमें सिखाने वाली भाजपा कौन होती है।'
महुआ मोइत्रा की इस बात पर छिड़ा है विवाद
दरअसल, महुआ मोइत्रा ने एक टीवी प्रोग्राम में 'काली' फिल्म के पोस्टर पर छिड़े विवाद पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि मां काली तो मीट खाने वाली और शराब को स्वीकार करने वाली देवी हैं। महुआ मोइत्रा के इस बयान को एक वर्ग ने मां काली का अपमान बताया था। इस पर मध्य प्रदेश के सीएम ने कहा कि इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। यही नहीं मध्य प्रदेश में उनके खिलाफ केस भी दर्ज हुए हैं।