Maharashtra Political Crisis : पहले से ज्यादा गहरा है शिवसेना का सियासी संकट, गुवाहाटी पहुंचे बागी विधायक, आज उद्धव ले सकते हैं बड़ा फैसला
Maharashtra Political Crisis : पिछले दो दिन से महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट ( Political Crisisi ) इस बार पहले से ज्यादा गहरा है। ऐसा इसलिए कि शिवसेना ( Shiv Sena ) से नाराज विधायक इस बार केवल अपनी नाराजगी का प्रदर्शन ही नहीं बल्कि पूरी रणनीति के साथ बगावत पर उतारू हैं। खास बात यह है कि उद्धव ठाकरे ( Uddhav Thackeray ) की ओर से बुलाई गई मीटिंग में मंगलवार को केवल 56 में से 22 विधायक ही पहुंचे। इस बात को ध्यान में रखते हुए उद्धव ने आज कैबिनेट की बैठक बुलाई तो दूसरी तरफ शिवसेना से उत्पात से बचने के लिए एकनाथ शिंदे ( Eknath Shinde ) पार्टी के बागी विधायकों और समर्थक निर्दलीय विधायक के साथ गुवाहटी ( Guwahati ) पहुंच गए हैं। संभावना इस बात की भी जताई जा रही है कि उद्धव ठाकरे कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।
इससे साफ जाहिर है कि इस मुहिम के अहम किरदार केवल एकनाथ ( Eknath Shinde ) नहीं बल्कि उनके पीछे भाजपा ( BJP ) की पूरी ताकत है, जिससे इस बार उद्धव ठाकरे ( Uddhav Thackeray ) और उनकी फौज पार पाने की नाकाम कोशिश करती हुई दिखाई दे रही है।
क्या उद्धव को हो गया है बगावत की गहराई का अहसास
महाराष्ट्र की राजनीति में आज का दिन यानि 22 जून भी काफी उथल-पुथल भरा रहेगा। शिवसेना के बागी विधायक गुजरात से निकलकर गुवाहाटी पहुंच चुके हैं। उद्धव ठाकरे ने कैबिनेट की बैठक बुलाई है। कल की बैठक में उद्धव ठाकरे के पास केवल 22 विधायक नजर आये हैं। जबकि शिवसेना के 56 विधायक हैं। सवाल यह है कि 34 विधायक कहां हैं। पार्टी से बगावत करने वाले ये विधायक क्या पार्टी नेतृत्व के संपर्क में अभी तक नहीं आये हैं। अभी तक की स्थितियों से तो यही लगता है कि वो शिवसेना ( Shiv Sena ) प्रमुख उद्धव ठाकरे ( Uddhav Thackeray ) के संपर्क में नहीं हैं।
संजय राउत के तेवर नरम क्यों?
अगर होते तो शिवसेना के बड़बोले प्रवक्ता और संसद संजय राउत दहाड़ रहे होते। वो भाजपा नेताओं को धमकी दे रहे होते लेकिन इस बार संजय राउत भी मौन हैं। इस बीव उद्धव ठाकरे का कैबिनेट की मीटिंग बुलाना इस बात के साफ संकेत हैं कि वो बैठक के बाद बड़ा फैसला ले सकते हैं। ऐसा इसलिए पार्टी में बगावत के बाद से महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार ( MVA Government ) अल्पमत में आ गई है।
भाजपा फूंक फूंककर उठा रही है कदम
शिवसेना की ओर से फैसला न लेने की स्थिति में भाजपा उद्धव ठाकरे से विश्वास मत हासिल करने की मांग कर सकती है। ऐसे में उद्धव सरकार की किरकिसी ज्यादा होगी। हालांकि, एमवीए सरकार को इससे पहले दो बार गिराने में असफल रही भाजपा इस बार फूंक फूंककर कदम उठा रही है। भाजपा ( BJP ) इस बार जल्दबाजी में नहीं है। जबकि महाराष्ट्र में जारी सियासी बवंडर के पीछे भाजपा है। भाजपा की रणनीति इस बार ज्यादा खतरनाक है।
शिवसेना नहीं छोड़ेंगे, उद्धव को बड़ा संदेश
मंगलवार को बगावत के बाद उद्धव ठाकरे से नाराज एकनाथ शिंदे ( Eknath Shinde ) ने ट्विटकर कहा था कि वो शिवसेना नहीं छोड़ेगे। उन्होंने बालासाहेब से राजनीति सीखी है। वो सत्ता के लिए शिवसेना को धोखा नहीं देंगे। तो क्या एकनाथ की इरादा शिवसेना पर ही कब्जे की तो नहीं है। अगर ऐसा हुआ तो मातो श्री के अस्तित्व का क्या होगा?
एकनाथ एनसीपी से भी हैं नाराज
बता दें कि एकनाथ शिंदे ( Eknath Shinde ) के साथ शिवसेना के 34 विधायक हैं। इसके अलावा 7 निर्दलीय विधायकों का साथ भी एकनाथ शिंदे को मिला है। शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे उद्धव ठाकरे के साथ NCP से भी नाराज बताये जा रहे हैं।