ममता ने तीसरी बार ली CM पद की शपथ, बंगाल हिंसा पर बोलीं अपराधियों के खिलाफ होगी कड़ी कार्रवाई
जनज्वार। पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की है और ममता बनर्जी तीसरी बार लगातार मुख्यमंत्री बनी हैं। आज 5 मई को उन्होंने अपने जीवनकाल में तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।
सफेद रंग की साड़ी पनहकर राजभवन पहुंची ममता बनर्जी ने बंग्ला भाषा में शपथ लेने के बाद सबका अभिवादन करते हुए कहा कि आज करीब 12.30 बजे कोरोना पर एक मीटिंग की जायेगी, पत्रकारों के लिए तीन बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर जानकारी दी जायेगी।
वहीं चुनाव परिणामों के बाद से बंगाल में जारी हिंसक घटनाओं पर ममता बनर्जी ने टिप्पणी करते हुए कहा, मैं सभी से शांति बनाए रखने की अपील करती हूं, चाहे किसी भी दल के व्यक्ति ने हिंसा की हो, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। मैं शांति के पक्ष में हूं और रहूंगी।'
ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाने के बाद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने ममता को तीसरे कार्यकाल की बधाई देते हुए कहा, आशा है कि शासन संविधान और कानून के नियम के अनुसार चलेगा। हमारी प्राथमिकता इस संवेदनहीन हिंसा का अंत करना है, जिसने समाज को बड़े स्तर पर प्रभावित किया है। उम्मीद है कि मुख्यमंत्री कानून के शासन को बहाल करने के लिए तत्काल कदम उठाएंगी।
मीडिया में आ रही जानकारी के मुताबिक आज केवल ममता बनर्जी ने अकेले शपथ ग्रहण की। शपथ ग्रहण समारोह सुबह करीब 10:45 बजे आयोजित किया गया, जिसमें पार्टी सांसद अभिषेक बनर्जी, चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर और पार्टी के वरिष्ठ नेता फिरहाद हाकिम मौजूद रहे।
इस बार के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस 292 में से 213 सीटें जीतकर लगातार तीसरी बार सत्ता में आई है। बीजेपी को 77 सीटों पर जीत हासिल हुई है। वहीं, दो सीटों पर अन्य ने जीत दर्ज की है। टीएमसी की इतनी बड़ी जीत के बावजूद ममता बनर्जी कभी उनके ही करीबी रहे भाजपा में शामिल होने वाले शुभेंदु अधिकारी से हार गयी हैं।
66 वर्षीय ममता बनर्जी ने शिक्षा-दीक्षा के दौरान ही कांग्रेस स्वयंसेवक के रूप में राजनीतिक जीवन शुरू किया था। वह संप्रग और राजग सरकार में मंत्री भी रह चुकी हैं।
ममता तब सबसे ज्यादा चर्चा में आयी थीं जब पश्चिम बंगाल में औद्योगीकरण के लिए किसानों से जबरन भूमि अधिग्रहण किये जाने के मुद्दे पर वह नंदीग्राम और सिंगूर में कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ दीवार बनकर खड़ी हो गईं और किसानों की नेतृत्वकर्ता के तौर पर उभरीं। ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होने के बाद जनवरी 1998 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की और राज्य में कम्युनिस्ट शासन के खिलाफ संघर्ष करते हुए उनकी पार्टी आगे बढ़ती चली गई।
राज्य में जनता के बीच काम करते-करते इतने कम समय की पार्टी ने वर्ष 2011 के विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक रूप से शानदार जीत दर्ज करते हुए राज्य में 34 साल से सत्ता पर काबिज वाम मोर्चा सरकार को सत्ता से हटा दिया। तब तृणमूल कांग्रेस को 184 सीट मिलीं, जबकि कम्युनिस्ट दल सिर्फ 60 सीटों पर ही सिमट गए। ममता ने यह इतिहास तब रचा, जबकि कम्युनिस्टों का बंगाल पर लगभग 4 दशक तक राज करने का इतिहास कायम था।
वर्ष 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 में कोलकाता दक्षिण सीट से लोकसभा सदस्य रह चुकी ममता बनर्जी के लिए हालांकि इस बार का चुनाव काफी चुनौतीपूर्ण माना जा रहा था। कभी उनके विश्वासपात्र और खास रहे शुभेन्दु अधिकारी और पार्टी के कई नेताओं ने इस बार भाजपा का दाम थाम लिया, मगर घबराने के बजाय ममता सीधे मैदान में उतर गयीं और बहुत मजबूती के साथ उनका फिर से उभार हुआ है।