Begin typing your search above and press return to search.
राजनीति

TMC में आते ही बोले मुकुल राय- हिंसा करवाना चाहती है भाजपा, नेता नहीं सुनते थे किसी की बात

Janjwar Desk
13 Jun 2021 3:25 PM IST
TMC में आते ही बोले मुकुल राय- हिंसा करवाना चाहती है भाजपा, नेता नहीं सुनते थे किसी की बात
x
मुकुल राय का मानना था कि प्रदेश में सख्त हिंदुत्व की लाइन लेना ठीक नहीं होगा, इससे पार्टी के अपने अल्पसंख्यक नेता और कार्यकर्ता दूर हो सकते हैं जिसका मतदान पर असर पड़ेगा....

जनज्वार डेस्क। विधानसभा चुनाव में हैट्रिक लगाने के बाद पश्चिम बंगाल में भाजपा से तृणमूल कांग्रेस में जाने की इच्छा रखने वाले नेताओं की कतार दिनों दिन लंबी होती जा रही है। तृणमूल कांग्रेस के सूत्रों के मुताबिक शनिवार 12 जून को कम से कम दस भाजपा विधायकों ने मुकुल राय से संपर्क किया, जिन्होंने एक दिन पहले ही भाजपा छोड़ तृणमूल में वापसी की थी। पार्टी प्रदेश प्रमुख दिलीप घोष की बैठक में एक विधायक ने यह कह कर जाने से इनकार कर दिया कि वह बैठक एक 'क्रिमिनल' के घर बुलाई गई थी।

मुकुल राय ने कहा है कि विपक्षी पार्टी प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा करवाना चाहती है। शनिवार को तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष के साथ चर्चा में राजीव बनर्जी ने भी इस बात का उल्लेख किया। करीब एक तिहाई अल्पसंख्यक आबादी के बावजूद पश्चिम बंगाल दशकों से सांप्रदायिक हिंसा से दूर रहा है। खबरों के मुताबिक विधानसभा चुनाव के दौरान मुकुल राय ने सांप्रदायिक आधार पर प्रचार अभियान चलाने का विरोध किया था, लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई।

मुकुल राय का मानना था कि प्रदेश में सख्त हिंदुत्व की लाइन लेना ठीक नहीं होगा, इससे पार्टी के अपने अल्पसंख्यक नेता और कार्यकर्ता दूर हो सकते हैं जिसका मतदान पर असर पड़ेगा। यह मान लेना उचित नहीं होगा कि मुस्लिम मतदाता भाजपा को बिल्कुल वोट नहीं देंगे। ऐसा भी नहीं कि कट्टर अल्पसंख्यक विरोधी रुख अपनाने से समस्त हिंदू वोट भाजपा को ही मिलेंगे। अब प्रदेश के नेता स्वीकार करते हैं कि अल्पसंख्यक विरोधी रुख से पार्टी को नुकसान हुआ।

माना जाता है कि पश्चिम बंगाल की राजनीति में मुकुल राय की पकड़ बूथ स्तर तक है। उनका कहना था कि भाजपा की बूथ कमेटी के बारे में जो कुछ बताया जा रहा है, वास्तविक स्थिति उससे काफी अलग है। इसलिए बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत किया जाए। जिला स्तरीय कमेटियों में नियुक्तियां प्रदेश अध्यक्ष तय करता है, और दिलीप घोष हमेशा मुकुल राय के इस सुझाव को अनसुना करते रहे। केंद्रीय नेतृत्व ने भी इस सुझाव को खास तवज्जो नहीं दी।

पार्टी के 200 से ज्यादा सीटें जीतने के दावे के विपरीत बूथ स्तर पर कमजोर स्थिति को देखते हुए मुकुल राय का आकलन था कि पार्टी 80 से 100 सीटें ही जीत सकती है। लेकिन पार्टी के भीतर उन पर जब यह आरोप लगने लगा कि वे नेताओं-कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास तोड़ना चाहते हैं, तब मुकुल राय ने कहना छोड़ दिया। अब अनेक भाजपा नेता कह रहे हैं कि मुकुल दा की बात अगर सुनी जाती तो पार्टी की आज ऐसी हालत न होती और मुकुल दा भी तृणमूल में वापस नहीं जाते।

Next Story

विविध