5G के खिलाफ जूही चावला के मुकदमे पर हाईकोर्ट ने कहा मीडिया पब्लिसिटी के लिए किया गया दायर
(दिल्ली हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को खुद नहीं पता था कि तथ्यों को लेकर याचिका दायर की गई)
दिनकर कुमार की रिपोर्ट
जनज्वार डेस्क। दुनियाभर की टेलीकॉम कंपनियां अगले कुछ साल में 5-जी नेटवर्क शुरू करने वाली हैं। यह अलग बात है कि इसकी शुरुआत होने से पहले ही यह टेक्नोलॉजी विवादों में घिर गई है। बॉलीवुड की अभिनेत्री जूही चावला 5जी तकनीक के ख़िलाफ़ दिल्ली हाईकोर्ट पहुँची हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश में 5जी वायरलेस नेटवर्क स्थापित करने के खिलाफ अभिनेत्री से पर्यावरणविद् बनीं जूही चावला के मुकदमे को 2 जून को 'दोषपूर्ण' करार दिया और कहा कि यह 'मीडिया प्रचार' के लिए दायर किया गया है। न्यायालय ने चावला के सरकार को प्रतिवेदन दिये बिना 5जी वायरलेस नेटवर्क तकनीक को चुनौती देने के लिए सीधे अदालत आने पर भी सवाल उठाए।
उच्च न्यायालय ने तकनीक से संबंधित अपनी चिंताओं के संबंध में सरकार को कोई प्रतिवेदन दिये, बगैर देश में 5-जी वायरलेस नेटवर्क स्थापित करने के खिलाफ जूही चावला के सीधे मुकदमा दायर करने पर सवाल उठाया। न्यायमूर्ति जेआर मिड्ढा ने कहा कि वादी चावला और दो अन्य लोगों को पहले अपने अधिकारों के लिए सरकार से संपर्क करने की आवश्यकता थी और यदि वहां इनकार किया जाता, तब उन्हें अदालत में आना चाहिए था।
अदालत ने यह भी पूछा कि वाद में 33 पक्षों को क्यों जोड़ा गया और कहा कि कानून के तहत इसकी अनुमति नहीं है। अदालत ने विभिन्न पक्षों की दलीलें सुनने के बाद वाद पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अदालत ने कहा, 'यह एक दोषपूर्ण वाद है। यह मुकदमा केवल मीडिया प्रचार के लिए दायर किया गया है और इससे ज्यादा कुछ नहीं। यह बहुत चौंकाने वाला है।'
अदालत ने जूही चावला से पूछा, 'क्या आपने प्रतिवेदन के साथ सरकार से संपर्क किया? यदि हां तो कोई इनकार किया गया है क्या?' इस पर वादी के वकील ने नहीं में जवाब दिया।
अदालत ने कहा कि वादी का कहना है कि 'मुझे केवल पैराग्राफ एक से आठ की व्यक्तिगत जानकारी है।' न्यायमूर्ति ने कहा, 'वादी को अभियोग के बारे में कोई व्यक्तिगत जानकारी नहीं है। मैं आश्चर्यचकित हूं। यह कैसे हो सकता है? क्या किसी वाद की अनुमति है जब वादी को उसके बारे में कोई व्यक्तिगत जानकारी ही नहीं है? मैंने ऐसा मुकदमा नहीं देखा है जिसमें कोई व्यक्ति कहे कि मुझे नहीं पता, कृपया जांच कराएं।'
याचिका में दावा किया गया है कि इन 5-जी वायरलेस प्रौद्योगिकी योजनाओं से मनुष्यों पर गंभीर, अपरिवर्तनीय प्रभाव और पृथ्वी के सभी पारिस्थितिक तंत्रों को स्थायी नुकसान पहुंचने का खतरा है। चावला, वीरेश मलिक और टीना वचानी ने याचिका दायर कर कहा कि यदि दूरसंचार उद्योग की 5-जी संबंधी योजनाएं पूरी होती हैं तो पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति, कोई जानवर, कोई पक्षी, कोई कीट और कोई भी पौधा इसके प्रतिकूल प्रभाव से नहीं बच सकेगा।
दूरसंचार विभाग की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अधिवक्ता अमित महाजन ने कहा कि 5-जी नीति स्पष्ट रूप से कानून में निषिद्ध नहीं है। मेहता ने कहा कि वादी को यह दिखाने की जरूरत है कि यह तकनीक कैसे गलत है। निजी दूरसंचार कंपनियों का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि 5-जी तकनीक सरकार की नीति है और चूंकि यह एक नीति है, इसलिए यह गलत कार्य नहीं हो सकता। वादियों की ओर से अधिवक्ता दीपक खोसला ने कहा कि 5-जी तकनीक का क्रियान्वयन दूसरों की कीमत पर नहीं किया जाना चाहिए।
जूही चावला के साथ दो अन्य याचिकाकर्ता वीरेश मलिक और टीना वाच्छानी ने याचिका में अदालत से कहा था कि वो सरकारी एजेंसियों को आदेश दें कि वो जाँच कर पता लगाएँ कि 5-जी स्वास्थ्य के लिए कितना सुरक्षित है। याचिकाकर्ताओं की माँग है कि इस जाँच पर किसी भी निजी कंपनी, व्यक्ति का प्रभाव न हो।
क़रीब 5,000 पन्नों वाली इस याचिका में कई सरकारी एजेंसियाँ जैसे डिपार्टमेंट ऑफ़ कम्युनिकेशंस, साइंस एंड एंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड, इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च, सेंट्रेल पोल्युशन कंट्रोल बोर्ड, कुछ विश्वविद्यालयों और विश्व स्वास्थ्य संगठन को पार्टी बनाया गया है।
अधिवक्ता दीपक खोसला के माध्यम से जूही चावला ने यह याचिका दायर की है। इसमें अधिकारियों को यह स्पष्ट करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि 5-जी टेक्नोलॉजी मानव जाति, पुरुष, महिला, वयस्क, बच्चे, शिशु, जानवरों और हर प्रकार के जीवों, वनस्पतियों के लिए सुरक्षित है।
जूही ने कहा, हम टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट के खिलाफ नहीं हैं। सच तो यह है कि नए-नए प्रोडक्टों को इस्तेमाल करना हमें अच्छा लगता है। हालांकि, 5-जी टेक्नोलॉजी को लेकर असमंजस है। वायरलेस गैजेट और नेटवर्क सेल टावर्स पर हमने अपनी रिसर्च की है। इनसे आरएफ रेडिएशन निकलती है। यह बात को मानने के लिए पर्याप्त कारण हैं कि ये लोगों की सेहत के लिए नुकसानदेह हैं।
वहीं, दूरसंचार मंत्रालय ने कहा कि साइंस और इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड की ओर से मानवों, पशु-पक्षियों, पौधों आदि पर 2जी, 3जी, 4जी, 5जी सेलुलर टेक्नोलॉजी के असर को लेकर विशेषरूप से कोई अध्ययन नहीं किया गया है।