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राजनीति

लोगों को कर्ज नहीं पैसे की जरूरत, 6 महीने तक गरीबों को आर्थिक मदद दे सरकार - राहुल गांधी

Janjwar Desk
8 Jun 2020 7:00 PM IST
लोगों को कर्ज नहीं पैसे की जरूरत, 6 महीने तक गरीबों को आर्थिक मदद दे सरकार - राहुल गांधी
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राहुल गांधी ने कहा कि कोविड के कारण देश में आज एक तूफान आया है, गरीब जनता को चोट लगी है। मजदूरों को भूखा-प्यासा सड़कों पर चलना पड़ रहा है।

जनज्वार ब्यूरो। कोरोना संकट के बीच एक बार फिर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। राहुल ने एक वीडियो संदेश के जरिए सरकार से कहा कि इस समय हिंदुस्तान के लोगों को कर्ज की नहीं, पैसे की जरूरत है।

रअसल सोशल मीडिया पर कांग्रेस की ओर से एक ऑनलाइन कैंपेन चलाया जा रहा है जिसे 'स्पीक अप इंडिया' नाम दिया गया है। राहुल गांधी ने इसी कार्यक्रम के तहत वीडियो जारी किया है।

राहुल गांधी ने कहा, 'कोविड के कारण देश में आज एक तूफान आया है, गरीब जनता को चोट लगी है। मजदूरों को भूखा-प्यासा सड़कों पर चलना पड़ रहा है। छोटे कारोबार रीढ़ की हड्डी हैं, जो बंद हो रहे हैं। ऐसे में आज हिंदुस्तान के लोगों को कर्ज की जरूरत नहीं है, बल्कि पैसे की जरूरत है।'

स दौरान राहुल गांधी ने सरकार के सामने चार मांग भी रखी जिनमें (1) हर गरीब परिवार के खाते में 7500 रुपये प्रति महीना 6 महीने तक दिया जाए। (2) मनरेगा को सौ दिन की बजाय दो सौ दिन तक किया जाए। (3) छोटे कारोबारियों के लिए एक पैकेज का ऐलान किया जाए और (4) घर लौटते हुए मजदूरों को सुविधा दी जाए।

ता दें कि स्पीक अप इंडिया नाम के इस ऑनलाइन कैंपने का कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी हिस्सा बनी हैं। प्रियंका ने अपने ट्वीट में कहा कि आज गरीब मजदूर मुश्किल में है और सरकार उसकी मदद नहीं कर रही है। प्रियंका गांधी ने भी सरकार के सामने चार मांग रखीं।

सके अलावा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी इससे पहले एक वीडियो संदेश जारी किया था, जिसमें उन्होंने सरकार से मजदूरों के लिए खजाना खोलने को कहा था। सोनिया गांधी ने अपने वीडियो संदेश में कहा, 'दो महीने से कोरोना वायरस के कारण पूरा देश गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा है। आजादी के बाद पहली बार दर्द का मंजर सबने देखा कि लाखों मजदूर नंगे पांव भूखे-प्यासे हजारों किलोमीटर पैदल चलकर घर जाने के लिए मजबूर हुए। उनकी पीड़ा-सिसकी को देश के हर दिल ने सुना, लेकिन शायद सरकार ने नहीं।'

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