Shiv Sena Crisis News: शिवसेना किसकी? सुप्रीम कोर्ट में आज भी नहीं निकला कोई समाधान, कल फिर होगी सुनवाई
शिवसेना किसकी है, सुप्रीम कोर्ट में आज भी नहीं निकला कोई समाधान, कल फिर सुनवाई जारी
Shiv Sena Crisis News: शिवसेना के एकनाथ शिंदे और उध्दव ठाकरे गुट के अलग होने के बाद से ही दोनों गुटों में गरमा गर्मी जारी है। दोनों गुटों के अलग होने के बाद और शिंदे के नेतृत्व में महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद शिवसेना किसकी है। इस पर विवाद इतना बढ़ गया है की अब बात सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई है। मामले में चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने आज सुनवाई की। कोर्ट में आज मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो सकी इसलिए अब पुरे मामले की सुनवाई कल होगी।
शिंदे गुट से कोर्ट ने किए तीखे सवाल
आज की सुनवाई में दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर निशाना साधते हुए कोर्ट में तीखी बहस की। दोनों गुटों की और से खूब बहस हुई। इन सभी बहस और दलीलों के बिच सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट से कुछ सवाल भी किए। परन्तु लम्बी चली बहस के बाद भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला जिसकी वजह से सुनवाई अगले दिन के लिए टाल दी गई। कल यानी गुरुवार को सुनवाई एकनाथ शिंदे की ओर से शुरू की जाएगी। पहले एकनाथ शिंदे अपना पक्ष कोर्ट के सामने रखेंगे उनकी ओर से वकील दलील देंगे। कल पहले नंबर पर मामले की सुनवाई होगी। इससे पहले उद्धव ठाकरे गुट की ओर से दलील पेश करते हुए वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि आज भी शिवसेना के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे हैं। एकनाथ शिंदे को नई पार्टी बनानी होगी, या किसी अन्य पार्टी के साथ विलय करना होगा।
शिंदे ग्रुप अलग होकर दावा कर रहा है कि शिवसेना उसकी है
उद्धव ठाकरे गुट के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर वे नई पार्टी बनाते हैं तो उन्हें चुनाव आयोग के समक्ष पंजीकरण कराना होगा। लेकिन किसी अन्य पार्टी में विलय होने पर पंजीकरण नहीं कराना होगा। लेकिन मुद्दा संतुलन का भी है। 1/3 सदस्य अभी भी पार्टी में शेष हैं। 2/3 सदस्य यह नहीं कह सकते कि हम ही पार्टी हैं। सिब्बल ने कहा कि शिंदे ग्रुप अलग होकर दावा कर रहा है कि शिवसेना उसकी है। लेकिन ऐसा नहीं है एंटी डिफेक्शन लॉ में यह स्पष्ट है कि दो तिहाई धड़े को अलग होने पर अपनी पार्टी बनानी होगी। सरकार बनाने के लिए या किसी अन्य पार्टी में शामिल होना होगा। ऐसा नहीं कि पुरानी पार्टी उनकी हो जाएगी, क्योंकि उनकी संख्या अधिक है।
शिंदे ग्रुप महाराष्ट्र में चला रहा है अवैध तरीके से सरकार
वहीं ठाकरे ग्रुप के दूसरे वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि शिंदे ग्रुप न सिर्फ महाराष्ट्र में अवैध तरीके से सरकार चला रहा है बल्कि वो चुनाव आयोग तक पहुंच गए हैं। उनका कहना है कि वो असली शिवसेना हैं। अभी मामला कोर्ट में लंबित है और शिंदे ग्रुप ने चुनाव आयोग में याचिका दाखिल की जो पूरी तरह से गलत है। शिंदे गुट द्वारा अपने गलत कामों को सही ठहराने का एक ही तरीका है। ताकि आप चुनाव आयोग की कार्यवाही को तेजी से ट्रैक करें और कुछ मान्यता प्राप्त कर सकें।
हमने नहीं छोड़ी है शिवसेना
हरिश साल्वे ने कहा कि दल-बदल कानून इस मामले में लागू नहीं होता। यह तब होगा जब वो पार्टी से अलग होते। इस मामले में ऐसा नहीं हुआ है। यहां इंट्रा पार्टी डिफरेंस है यानी पार्टी के भीतर का मतभेद है। कई विधायक नेतृत्व में बदलाव चाहते हैं तो इसे पार्टी विरोधी नहीं कहा जाएगा। ये अंदरूनी मतभेद है। शिंदे गुट की तरफ से हरीश साल्वे ने कहा कि हमने शिवसेना नहीं छोड़ी है। हम अभी भी शिवसेना में हैं। उद्धव को बहुमत का समर्थन नहीं है। हमने नेता के खिलाफ आवाज उठाई है। पार्टी में बंटवारा हो चुका है। एक नेता को पार्टी नहीं माना जा सकता है। 1969 में कांग्रेस में भी यही हुआ था। बस पार्टी के दो गुट हुए हैं।
शिवसेना नहीं बल्कि दो अलग अलग गुट हैं यहां
आज की तारीख में एक राजनीतिक दल में बंटवारा है। ये पार्टी की आंतरिक कलह है। हम पार्टी में हैं किसी दूसरी पार्टी में नहीं है। हमनें केवल नेतृत्व के खिलाफ आवाज उठाई है। हमने बस कहा कि आप नेता नहीं हो सकते। दो शिवसेना नहीं बल्कि दो अलग अलग गुट हैं यहां। जिसके दो अलग -अलग नेता हैं। दो वास्तविक पार्टी नहीं हो सकती हैं। पार्टी में केवल एक लीडरशिप हो सकती है जो हम हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग में जो कार्रवाई चल रही है। उससे अयोग्यता का कोई लेना-देना नहीं है।