दिल्ली भगदड़ में मौतों की जिम्मेदारी लेते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव दें इस्तीफा, महाकुंभ बना आम जनता के लिए मौत का सबब

बलिया। भाकपा (माले) ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदौड़ में हुई मौतों पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की है। पार्टी ने कहा है कि मोदी-योगी सरकार द्वारा जनता की आस्था के बल पर आयोजित महाकुंभ आम जनता के लिए मौत का सबब बनता जा रहा है। रेल मंत्री द्वारा एक उच्च स्तरीय जांच की घोषणा के बावजूद ट्रेन हादसों में जनता की लगातार हो रही मौतें रेल विभाग की लचर व्यवस्था का गवाह हैं। इस पर पार्टी ने रेलमंत्री को पद से हटाये जाने की मांग की है।
राज्य सम्मेलन में सचिव द्वारा पिछले तीन साल के कामकाज की पेश की गई रिपोर्ट पर दूसरे दिन बहस जारी रही। 45 पृष्ठों की रिपोर्ट पर 57 प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी। सुझावों व संशोधनों को शामिल करते हुए रिपोर्ट सर्वसम्मति से पारित की गई। बाद में सम्मेलन से राजनीतिक प्रस्ताव पारित किये गए।
एक प्रस्ताव में अमेरिका से हथकड़ियों और जंजीरों में वापस भेजे गए प्रवासी भारतीयों के साथ अमेरिकी सरकार के क्रूर अपराधियों जैसे व्यवहार और मोदी सरकार द्वारा ट्रम्प प्रशासन के शर्मनाक बचाव की घोर निंदा की गई। प्रस्ताव में कहा गया कि इस घटना ने औपनिवेशिक गुलामी और ब्रिटिश शासन के आगे संघ परिवार के आत्मसमर्पण की याद ताजा कर दी। प्रस्ताव में मांग की गई कि केंद्र सरकार भारतीय नागरिकों के साथ इस दुर्व्यवहार का अमेरिकी सरकार से कड़ा विरोध दर्ज कराए और उनकी गरिमापूर्ण वापसी सुनिश्चित करने के लिए तत्काल उचित कार्रवाई करे।
एक अन्य प्रस्ताव में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा शीतकालीन सत्र में संसद में डॉ. बीआर अंबेडकर के अपमान करने वाली टिप्पणी की कड़ी निंदा करते हुए इसके लिए उन्हें पद से हटाने की मांग की गई।
एक प्रस्ताव में प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ से हुई मौतों के लिए योगी-मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने, दोषियों को दंडित करने के साथ मौतों व घायलों की वास्तविक संख्या बताने की पुरजोर मांग की गई।
एक प्रस्ताव में बिजली के निजीकरण पर फौरन रोक लगाने की मांग करते हुए अनाप-शनाप, बढ़े हुए फर्जी बिजली बिल भेजने, उसे न चुकाने पर कनेक्शन काटने व उपभोक्ताओं के उत्पीड़न पर रोक लगाने और स्मार्ट मीटर योजना वापस लेने, 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने और कर्मचारियों के आंदोलन का दमन करने को लागू किये गए 'एस्मा' को हटाने की मांग की गई।
एक अन्य प्रस्ताव में योगी सरकार के कार्यकाल में एनकाउंटर में की गई हत्याओं और हिरासती मौतों की निष्पक्ष जांच की मांग की गई।
एक प्रस्ताव में नफरती व गैरकानूनी बुल्डोजर ध्वस्तीकरण, गरीबों, दलितों, आदिवासियों व किसानों के सरकारी व वन भूमि से विस्थापन पर तत्काल रोक लगाने और लखनऊ के अकबरनगर सहित प्रदेश भर में जबरिया विस्थापन के शिकार परिवारों के उचित पुनर्वास व मुआवजा, किसानों के लिए कानूनी गारंटी के साथ एमएसपी देने, मजदूर-विरोधी चार लेबर कोड वापस लेने, 33 प्रतिशत महिला आरक्षण शीघ्र लागू करने, नई शिक्षा नीति रदद् करने और रोजगार को मौलिक अधिकार घोषित करने सहित बेरोजगारों को सम्मानजनक बेरोजगारी भत्तादेने की मांग की गई।
एक प्रस्ताव में आईआईटी-बीएचयू गैंगरेप कांड में पीड़िता को जल्द न्याय देने और दोषियों को कड़ी सजा देने, मनरेगा में काम के दिन व मजदूरी दर बढ़ाने के साथ आवंटन बढ़ाने, शहरी गरीबों के लिए भी मनरेगा जैसी योजना लागू करने और न्यूनतम मजदूरी दर 35,000 रु प्रति माह तय करने, 69,000 शिक्षक भर्ती में आरक्षण घोटाले के खिलाफ आंदोलनरत अभ्यर्थियों सहित लंबे समय से संघर्षरत स्कीम वर्करों की मांगें पर सकारात्मक रूप से विचार करने की मांग की गई।
एक प्रस्ताव में सभी गरीबों के माइक्रोफाइनेंस कर्जे समेत किसानों के कर्जे माफ करने, माइक्रोफाइनेंस कंपनियों द्वारा कर्जग्रस्त परिवारों के उत्पीड़न पर फौरन रोक लगाने, उत्पीड़न व कर्ज के दबाव में आत्महत्या कर लेने वालों के परिवारों को मुआवजा देने, कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई और स्वयं सहायता समूहों के लिए प्रोत्साहन व उनके उत्पादों के लिए सुरक्षित बाजार देने की मांग की गई।
एक अन्य प्रस्ताव में संभल में राज्य प्रायोजित और बहराइच में सत्ता संरक्षित मुस्लिम-विरोधी हिंसा के असल गुनाहगारों को सामने लाने, उन्हें दंडित करने, हिंसा की आड़ में अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न पर रोक लगाने व उन्हें हुए नुकसान की भरपाई करने, उपासना स्थल अधिनियम 1991 के कड़ाई से अनुपालन करने की मांग की गई।
एक प्रस्ताव में जातीय जनगणना राष्ट्रीय स्तर पर कराने और उसके अनुरुप आरक्षण की सीमा का विस्तार कर सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने, दलितों, महिलाओं, अल्पसंख्यकों सहित कमजोर वर्गो के उत्पीड़न पर प्रभावी रोक लगाने, वनाधिकार कानून गंभीरता से लागू करने, शिक्षा व स्वास्थ्य पर बजट आवंटन बढ़ाने, ईवीएम की जगह बैलेट पेपर से चुनाव कराने और 'एक देश एक चुनाव विधेयक' वापस लेने, लोकतांत्रिक आंदोलनों के दमन, जनता की मांगों को उठाने पर नेताओं- कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न पर रोक लगाने, जन प्रतिवादों पर अलोकतांत्रिक प्रतिबंधों को हटाने, राजनीतिक कार्यकर्ताओं को रिहा करने सहित उन पर लगाये गए फर्जी मुकदमे रद्द करने और असहमति के अधिकार का सम्मान करने की मांग की गई।
सम्मेलन में बुल्डोजर न्याय, भूमि अधिग्रहण व विस्थापन, बिजली निजीकरण, माइक्रोफाइनेंस के कर्जे, वनाधिकार कानून आदि मुद्दों पर राज्य स्तरीय आंदोलन खड़ा करने का निर्णय लिया गया।
सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि मोदी-योगी की डबल इंजन की सरकार हर स्तर पर संवेदनहीन व बेनकाब हो चुकी है। भगवा ब्रिगेड के खिलाफ पार्टी तमाम जनवादी व संघर्षशील ताकतों के साथ एकता की पहल बढ़ायेगी। सम्मेलन को पार्टी के उत्तर प्रदेश के प्रभारी व पोलित ब्यूरो सदस्य का. कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य का. रामजी राय, राज्य सचिव सुधाकर यादव ने प्रमुख रूप से संबोधित किया।
अंत में 65 सदस्यीय नई राज्य कमेटी का पैनल बिदाई राज्य समिति द्वारा पेश किया गया। सुधाकर यादव पुनः सर्वसम्मति से राज्य सचिव चुने गए।