बनभूलपुरा को उजाड़े जाने की डेट बढ़ी एक हफ्ते आगे, पीड़ितों की उम्मीद सुप्रीम कोर्ट पर-नेता प्रतिपक्ष आए बस्ती के पक्ष में
Banbhoolpura : हल्द्वानी के बनभूलपुरा क्षेत्र के बहुचर्चित रेलवे प्रकरण में रेलवे विभाग ने एक कदम और आगे बढ़ाते हुए जमीन पर बसे लोगों को हटने के लिए एक हफ्ते की मोहलत देते हुए इसका विज्ञापन स्थानीय अखबारों में प्रकाशित करा दिया है। दूसरी ओर उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने इस मामले में मुख्यमंत्री से अध्यादेश लाकर इन्हें रेगुलाईज किए जाने की मांग की है तो नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य भी बस्तीवासियो के समर्थन में आ गए हैं।
जनहित याचिका पर बनभूलपुरा स्थित कथित रूप से रेलवे की जमीन पर बने करीब चार हजार से अधिक घरों को तोड़े जाने के हाई कोर्ट के फैसले के ग्यारह दिन बाद नव वर्ष के पहले दिन पूर्वोत्तर रेलवे ने स्थानीय अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित करवाकर विज्ञान प्रकाशित होने के दिन से एक हफ्ते के अंदर रेलवे भूमि से अनाधिकृत कब्जा हटाने को कहा है।
प्रकाशित नोटिस में चेतावनी दी है कि अगर तय अवधि में कब्जा खाली नहीं किया गया तो रेलवे विभाग द्वारा हाई कोर्ट के आदेश अनुसार अवैध निर्माण को ध्वस्त करवाकर इस अतिक्रमण को खाली करवाएगा और अतिक्रमण हटाए जाने में आए खर्चे को भी अनाधिकृत कब्जेदारों से वसूल किया जायेगा।
जबकि दूसरी ओर हल्द्वानी के रेलवे पड़ाव स्थित अतिक्रमण को हटाए जाने का विरोध करते हुए उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर बस्ती का नियमितीकरण किए जाने की मांग की है। उपपा के जिला महासचिव लालमणि के नेतृत्व में भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि बस्तीवासियों के पट्टे एवं फ्री होल्ड को भी अस्वीकार कर कोर्ट ने हजारों बनभूलपुरा बस्तीवासियों को उजाड़ने का आदेश दे दिया है, जबकि रेलवे के द्वारा जमीन के अधिग्रहण/अर्जन के दस्तावेजों के बिना ही रेलवे का भूमि पर मालिकाना स्वीकार किया गया है।
सभी बस्तीवासियों को अतिक्रमणकारी कहा जा रहा है। यह फैसला रेलवे की याचिका पर नहीं बल्कि एक अन्य निजी व्यक्ति की याचिका पर लिया गया है। फैसले में नजूल भूमि की व्याख्या इतनी खतरनाक है कि यह फैसला भविष्य में कुमाऊं गढ़वाल मंडल की नजूल भूमि पर बसे लोगों को उजाड़ने के लिए नजीर के रूप में एक हथियार का काम करेगा। पार्टी की मांग है कि बनभूलपुरा बस्ती के पचास हजार लोगों की पुनर्वास व्यवस्था किए बिना ध्वस्त करने की योजना पर तत्काल रोक लगाई जाए।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि साल 2022 के अंत तक प्रत्येक गरीब को पक्का मकान दिए जाने की प्रधानमंत्री की घोषणा के विपरीत जाते हुये इन लोगों को बसे बसाए घर से बेघर किया जा रहा है। इस मामले के शांतिपूर्ण निस्तारण के लिए विधानसभा का आपात सत्र बुलाकर विधेयक लाकर अथवा अध्यादेश के माध्यम से किया जाए। ज्ञापन देने वालों में लालमणि के अलावा मनमोहन अग्रवाल, चिंताराम, एसआर टम्टा आदि मौजूद रहे।
जबकि मामले में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने रेलवे प्रकरण के प्रति सरकार के मन में खोट बताते हुए कहा कि सरकार चाहती है कि किसी भी तरह से इन पीड़ितों को यहां से बेदखल कर दिया जाए। यशपाल आर्य ने राज्य सरकार पर न्यायालय में अपना पक्ष सही तरीके से नहीं रखने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार की इस कारस्तानी के चलते हज़ारों लोग सर्दी के मौसम में बेघर होने की कगार पर है।
उन्होंने कहा कि रेलवे जिसको अपनी जगह बता रहा है उस जगह पर कई जगह सरकारी स्कूल, फ्री होल्ड ज़मीन, एवं सरकारी संपत्ति भी है, इसलिए राज्य सरकार को चाहिए कि वह उच्चतम न्यायालय में अपना पक्ष रखे। उन्होंने कांग्रेस पार्टी को रेलवे प्रकरण से पीड़ित लोगों के साथ खड़ा होने की बात कहते हुए कहा कि पीड़ितों की लड़ाई सड़क से लेकर सदन तक में लड़ी जाएगी।