12 घंटे के अंदर बर्निंग ट्रेन में बदलीं दो रेलगाड़ियां-दर्जनों गंभीर रूप से घायल, यात्री सुरक्षा पर सवालिया निशान
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लखनऊ। यूपी के इटावा में 12 घंटे के अंदर 2 ट्रेनों में आग लगने की भयावह घटनायें सामने आयी हैं, जिससे रेलवे के यात्री सुरक्षा सिस्टम पर सवालिया निशान खड़े हो गये हैं।
कल 15 नवंबर को दिल्ली से सहरसा जाने वाली वैशाली एक्सप्रेस ट्रेन में आग लगने की घटना सामने आयी है, इससे पहले कल 15 नवंबर को नई दिल्ली से दरभंगा जा रही स्पेशल ट्रेन में आग लगी थी। वैशाली एक्सप्रेस हादसे में जहां दो दर्जन के लगभग लोगों के घायल होने की सूचना है, वहीं कल हुए ट्रेन हादसे में भी दर्जनभर से ज्यादा लोग घायल हुए। आज वैशाली एक्सप्रेस में हादसा मैनपुरी फाटक के फ्रेंडस कॉलोनी क्षेत्र में हुआ था। हादसे में घायल यात्रियों को सैफई अस्पताल में भर्ती कराया गया।
वैशाली एक्सप्रेस ट्रेन हादसे से कुछ घंटे पहले नई दिल्ली से दरभंगा जा रही स्पेशल ट्रेन में इटावा में ही भीषण आग लगी थी। एस-वन सहित उससे जुड़े अन्य कोचों में आग लगने के बाद भारी भगदड़ मची। कई यात्रियों ने कूदकर जान बचायी। बर्निंग ट्रेनों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। स्पेशल ट्रेन के दो कोच जलकर खाक हो गए थे और इसमें घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
भाकपा (माले) ने दिल्ली से बिहार जा रही दो एक्सप्रेस ट्रेनों में इटावा के पास कुछ ही घंटों में एक-के-बाद-एक आग लगने की घटनाओं पर सवालिया निशान लगाते हुए कहा कि आखिर यात्री सुरक्षा रेलवे के लिए क्यों मायने नहीं रखती। माले ने दोनों घटनाओं की गहराई से जांच, घायलों को सरकारी खर्चे पर उचित इलाज व मुआवजा और की घटना की पुनरावृत्ति भविष्य में रोकने के लिए जरुरी उपाय करने की मांग की है।
पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने आज 16 नवंबर को जारी बयान में कहा कि दौड़ती ट्रेनों में आग लगने की बारम्बार हुई घटनाओं से लगता है कि रेलवे ने त्योहारों की भीड़ के मद्देनजर यात्री सुरक्षा को लेकर लापरवाही बरती है। बुधवार 15 नवंबर को दरभंगा स्पेशल और वैशाली सुपरफास्ट के कई स्लीपर कोचों में आग लगी, जिसमें कई यात्री घायल हुए हैं।
गौरतलब है कि हाल के दिनों में रेल दुर्घटनाएं बढ़ी हैं और इससे रेलयात्रियों की सुरक्षा चिंताएं भी बढ़ी हैं। रेल महकमा यात्रियों से वसूली में पीछे नहीं रहता, चाहे पैसेंजर ट्रेनों से यात्रा करने के लिए एक्सप्रेस का किराया क्यों न देना पड़े, मगर बात जब ट्रेनों के दुर्घटना रहित संचालन की हो, तो इस पर अगंभीरता का परिचय दिया जाता है। अन्यथा कुछ ही घंटों के भीतर चलती ट्रेन में आगजनी की दो भयानक घटनाएं न होतीं।