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राजनीति

योगी का सवा करोड़ को रोजगार देने का दावा खोखला, बेरोजगार आत्महत्या को मजबूर : अजय कुमार लल्लू

Janjwar Desk
29 Jun 2020 2:55 AM GMT
योगी का सवा करोड़ को रोजगार देने का दावा खोखला, बेरोजगार आत्महत्या को मजबूर : अजय कुमार लल्लू
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file photo
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा सरकार इतने बड़े पैमाने पर रोजगार देने का कर रही है दावा, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और, प्रआर्थिक तंगी की वजह से लोग कर रहे आत्महत्या...

जनज्वार, लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने प्रदेश सरकार द्वारा करोड़ रोजगार देने के दावे को झूठा करार देते हुए इसे प्रदेश के बेरोजगारों के साथ छल और धोखाधड़ी करार दिया है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू का कहना है प्रदेश में बेरोजगार आत्महत्या कर रहा है और सरकार अपनी पीठ खुद ही थपथपा रही है।

कल 28 जून को पत्रकारों से बातचीत में अजय कुमार लल्लू ने कहा कि भाजपा सरकार सवा करोड़ रोजगार देने का दावा कर रही है, लेकिन यह कोरा झूठ और ठगी है। सवा करोड़ का दावा करके भाजपा सरकार प्रदेश की जनता को ठग रही है, जबकि बेरोजगार काम न होने से आत्महत्या करने को मजबूर हो रहा है।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि भाजपा ने वादा किया था कि हर साल 2 करोड़ नौकरी देगी, लेकिन इस वादे का क्या हुआ? पिछले 45 साल में बेरोजगारी की दर सबसे अधिक है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि यह सरकारी आंकड़ा है। बेरोजगार युवाओं को नौकरी मांगने पर लाठियां बरसाई जातीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोई ऐसी भर्ती नहीं है जिसको सही समय पर पूरा किया गया हो।

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जो काम लोग सदियों से करते आ रहे हैं सरकार उसे यह बता रही है कि यह रोजगार उन्होंने दिया है। इस गोरखधंधे और ठगी को जनता माफ नहीं करेगी।

उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी अपने साथ एक आर्थिक तबाही भी लेकर आई है। उत्तर प्रदेश का काँच उद्योग, पीतल उद्योग, कालीन उद्योग, बुनकरी, फ़र्नीचर उद्योग, चमड़े का उद्योग, होजरी उद्योग, डेयरी, मिट्टी बर्तन उद्योग, फिशरी-हेचरी उद्योग, अन्य घरेलू उद्योग सभी को तेज झटका लगा है। प्रदेश के लाखों बुनकरों की हालत अत्यंत खराब है। ये कुटीर और लघु उद्योग मंदी की मार सह रहे हैं। लेकिन सरकार ने कोई कोई मदद नहीं की।

सरकार यह दावा कर रही है, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ दूसरी है। प्रदेश में रोजाना कहीं न कहीं से आर्थिक तंगी के वजह से लोग आत्महत्या कर रहे हैं।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में बिसंडा थाना क्षेत्र के अमलोहरा गांव में सूरत से लौटे प्रवासी मजदूर ने शुक्रवार 26 जून को अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। मृतक अपनी पत्नी के साथ गुजरात के सूरत शहर में रहकर साड़ी कंपनी में छपाई का काम करता था। काम बंद होने पर 20 दिन पहले ही गांव लौटा था। अकेले बांदा जिले में लॉकडाउन के दौरान 20 लोगों के आत्महत्या करने की खबरें आ चुकी हैं, आखिर इन मौतों का जिम्मेदार कौन है? अगर रोजगार मिल रहा है तो लोग आत्महत्या क्यों करने पर मजबूर हैं?

प्रदेश उपाध्यक्ष वीरेंद्र चौधरी ने कहा कि बनारस में लगभग 2000 करोड़ रुपये का सिल्क का कारोबार है। कोरोना संकट के पहले से ही कराह रहे सिल्क उद्योग में एक लाख अकुशल मजदूरों की छंटनी हो चुकी है। भदोही के कालीन उद्योग में लगभग 1200 करोड़ रुपये का कालीन निर्यात होता था वह ठप्प पड़ा है। अकेले आगरा में तीन लाख जूते के दस्तकार घरों में बैठे हैं। कोई काम नहीं है। हमारे लखनऊ शहर में पारंपरिक चिकन कपड़ों का काम बंद पड़ा है। यह सब बेरोजगारी की मार सह रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री अपनी पीठ थपथपाने में लगे हैं।

वीरेंद्र चौधरी ने कहा कि कोरोना माहमारी में ग्रामीण इलाकों में रोजगार का भयानक संकट है। कुशल कारीगरों को उनकी योग्यता के मुताबिक रोजगार गारंटी की जानी चाहिए। मनरेगा में 200 दिनों के काम की गारंटी की जाए।

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