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राजनीति

UP Election 2022: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दो दिग्गजों कल्याण सिंह और अजित सिंह के बगैर होगा चुनाव, BJP-RLD को खल रही कमी

Janjwar Desk
12 Jan 2022 3:45 AM GMT
UP Election 2022: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के दो दिग्गजों कल्याण सिंह और अजित सिंह के बगैर होगा चुनाव, BJP-RLD को खल रही कमी
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पहली बार यूपी के दो दिग्गज नेता कल्याण सिंह और अजीत की अनुपस्थिति में विधानसभा चुनाव हो रहा है। 

पश्चिम उत्तर प्रदेश में महासंग्राम में इस बार उन नेताओं की कमी खली खलेगी जो तकरीबन 5 दशकों से सूबे की सियासत के केंद्र बिंदु रहे। इन नेताओं में रालोद के के संस्थापक चौधरी अजित सिंह और भाजपा नेता सीएम कल्याण सिंह शामिल हैं।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश चुनाव 2022 ( UP Election 2022 ) में इस बार कई राजनीतिक दिग्गज नहीं दिखेंगे। इनमें पश्चिम उत्तर प्रदेश से दो बड़े नाम कल्याण सिंह ( BJP Kalyan Singh ) और अजीत सिंह ( RLD Ajit Singh ) का भी शामिल है। दोनों नेताओं की अनुपस्थिति में सियासी दलों के बीच एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। इसके बावजूद वेस्ट यूपी में इस बार उनकी कमी सभी खल रही है। इसे अलावा किसान आंदोलन, सपा-रोलाद गठबंधन ( SP-RLD Gathbandhan ) और स्वामी प्रसाद मौर्य सहित कई अन्य नेताओं के भाजपा ( BJP ) से इस्तीफे की वजह से वेस्ट यूपी का समीकरण बिगड़ गया है। बदले माहौल में इस बार भाजपा को पश्चिम यूपी में झटका लग सकता है। ​इस बात की संभावना इसलिए भी ​अखिलेश यादव ने छोटे दलों से गठजोड़ के मामले में भाजपा को पीछे छोड़ दिया है। मंगलवार की घटना के बाद तो अपना दल और केंद्र सरकार में मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी भाजपा नेतृत्व को स्वाभिमान का ख्याल रखने की बात कर नया संकेत दे दिया है।

सोशल इंजीनियरिंग और हिंदुत्व का चेहरा थे कल्याण सिंह

जहां तक बात पश्चिम यूपी में भाजपा के कद्दावर नेता रहे कल्याण सिंह ( Kalyan Singh ) की है कि भाजपा को इस बार उनकी कमी ज्यादा खलेगी। ऐसा इसलिए कि भाजपा को ऐसे नेताओं की इस वक्त सख्त जरूरत है जो ओबीसी वोट मतदाताओं को संभाल सके। देश में बीजेपी का चेहरा भले ही अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी रहे हों, लेकिन पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग और हिंदुत्व का चेहरा कल्याण सिंह हुआ करते थे। उत्तर प्रदेश में ओबीसी को बीजेपी के साथ जोड़ने में कल्याण सिंह की अहम भूमिका रही है, जिसकी बदौलत नब्बे के दशक में यूपी में सरकार बनी। कल्याण सिंह लोधी समुदाय से थे, जिनकी आबादी सेंट्रल यूपी से पश्चिम यूपी तक फैली हुई है।

भाजपा नेता कल्याण सिंह यूपी में दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं। 6 दिसंबर, 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंश के बाद उनकी सरकार भंग हो गई थी। वो राम मंदिर के लिए जेल जाने वाले बीजेपी के एकलौते नेता थे। उन्होंने सूबे में बीजेपी को मजबूत किया तो पार्टी से बगावत भी की लेकिन जुलाई, 2021 में उन्होंने अंतिम सांस बीजेपी के सदस्य के तौर पर ली। 50 साल में पहली बार होगा कि उनके बगैर चुनाव होंगे। जिसमें कल्याण सिंह की आवाज नहीं गूंजेगी।

1989 से 2014 तक लगातार केंद्र में मंत्री रहे

वहीं, राष्ट्रीय लोक दल ( RLD ) के मुखिया रहे चौधरी अजीत सिंह ( Ajit Singh ) को पश्चिमी यूपी में छोटे चौधरी के नाम से जाना जाता था। पश्चिमी यूपी की सियासत में उनका बड़ा नाम था। उनके पिता चौधरी चरण सिंह देश के 5वें प्रधानमंत्री थे। छोटे चौधरी के नाम से पश्चिम यूपी में चर्चित रहे अजित सिंह वर्ष 1989 से 2014 तक लगातार राजनीति के केंद्र में मंत्री रहे। वेस्ट यूपी में उनकी जाट—मुस्लिम मतदाताओं के बीच अच्छी पकड़ थी। वेस्ट यूपी के किसानों पर पकड़ के मामले में उनका कोई सानी नहीं था। इसके दम पर उन्होंने केंद्र और यूपी की राजनीति में अहम भूमिका निभाई थी। अब उनकी अनुपस्थिति में पहली जयंती चौधरी चुनावी मैदान में हैं और सपा प्रमुख अखिलेश यादव से गठबंधन कर भाजपा को चुनौती दे रहे हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे अजित सिंह भारत के कृषि मंत्री और नागरिक उड्डयन मंत्री रह चुके थे। पश्चिम यूपी की सियासत के केंद्र में अजित सिंह दो दशक से ज्यादा रहे हैं। 6 मई 2021 को अजित सिंह की मृत्यु हो गई। अब अजित सिंह की गैरमौजूदगी में उनके बेटे जयंत चौधरी के जिम्मे अपनी पार्टी की बागडोर है। जयंत ने उनकी अनुपस्थिति में भाजपा के सामने चुनौती पेश की है। वह नए सिरे से जाट-मुस्लिम मतदाताओं के एक मंच पर लाकर रालोद को प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका में लाने की है।

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