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राजनीति

UP Election Result : यूपी चुनाव का चेहरा थीं प्रियंका गांधी और हार के बाद इस्तीफा देना पड़ा अजय कुमार लल्लू को

Janjwar Desk
16 March 2022 4:18 AM GMT
UP Election Result : यूपी चुनाव का चेहरा थीं प्रियंका गांधी और हार के बाद इस्तीफा देना पड़ा अजय कुमार लल्लू को
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माना जा रहा है कि बीजेपी और सपा के बीच वोटों का ध्रुवीकरण कांग्रेस की हार का कारण है। इसके साथ ही आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में जुटने का अभी से आवाह्न किया गया है...

UP Election Result: विधानसभा चुनाव 2022 से पहले कांग्रेस की रणनीति और तमाम कार्यक्रमों के विषय मे सभी अहम फैसले प्रियंका गांधी की टीम ले रही थी। बावजूद इसके हार का ठीकरा सबसे पहले प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू (Ajay Kumar Lallu) पर फूटा। अजय लल्लू ने दिल्ली में चल रही समीक्षा बैठक के दौरान ही प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।

माना जा रहा है कि बीजेपी (BJP) और सपा (SP) के बीच वोटों का ध्रुवीकरण कांग्रेस (Congress) की हार का कारण है। इसके साथ ही आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में जुटने का अभी से आवाह्न किया गया है।

दिल्ली में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) की उपस्थिति में यूपी चुनाव में हार के कारणों की समीक्षा की गई। तीन घण्टे चली बैठक में सभी प्रमुख नेताओं ने बारी-बारी से अपनी बात रखी। प्रदेश अध्यक्ष और उपाध्यक्षों के अलावा प्रमोद कृष्णम, राजीव शुक्ला, संजय कपूर, प्रदीप माथुर और प्रमोद तिवारी समेत कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया।

बैठक में प्रियंका गांधी ने कहा कि हार से हताश होने की जरूरत नहीं है। इससे सबक लेकर आगे बढ़ने की अवश्यकता है। कांग्रेस के सभी प्रमुख नेताओं ने जो बातें रखीं उसका लब्बोलुआब यही था कि, यूपी चुनाव में मतदाता दो हिस्सों में बंटा। एक वो जो भाजपा को हटाना चाहते थे और दूसरे वो जो भाजपा को बचाना चाहते थे। भाजपा को हटाने वाले वोटरों ने कांग्रेस से अच्छा विकल्प सपा को माना।

कांग्रेस ने जनता के मुद्दों पर लगातार जुझारू ढंग से संघर्ष किया। लेकिन कहीं न कहीं जनता का भरोसा जीतने में कमी रह गई। अजय लल्लू के त्यागपत्र के बाद प्रियंका गांधी ने उनके कार्यकाल में हुए संघर्षों और कार्यों की तारीफ भी की।

वहीं, कांग्रेस के ही एक धड़े का कहना है कि विधानसभा चुनाव से काफी पहले से ही प्रदेश कांग्रेस के सभी निर्णय प्रियंका गांधी की टीम ही ले रही थी। इसमें उनके भरोसेमंद नेता और स्टाफ के लोग शामिल थे। प्रदेश कांग्रेस के अधिकतर पदाधिकारियों की भूमिका काफी सीमित कर दी गई थी। और तो उनसे कार्यक्रमों में भीड़ जुटाने तक को नहीं कहा जाता था। यह काम भी पेड इवेंट मैनेजमेंट कंपनियों के जरिये कराया जा रहा था, जिसके बारे में सभी निर्णय प्रियंका की टीम ले रही थी।

इस धड़े का मानना है कि लल्लू का प्रदेश में पर्याप्त जातिगत आधार न होने के कारण वे चुनाव परिणाम के लिहाज से बेहतर अध्यक्ष साबित नहीं हुए। लेकिन कार्रवाई उनपर भी होनी चाहिए जिन्होंने चुनाव से पहले टिकट वितरण से लेकर कार्यक्रम आयोजित करने को लेकर अहम निर्णय लिए। खुले मन से यह विचार हो कि तमाम दावों के बावजूद ग्राम पंचायत और न्याय पंचायत स्तर पर कांग्रेस संगठन प्रभावी साबित क्यों नहीं हुए। जबकि इनको लेकर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे थे। कार्रवाई के दायरे में उन्हें भी लाया जाना चाहिए जो ये झूठे दावे कर रहे थे।

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