Uttarakhand Kranti Dal : चुनावी पराजय के बाद अब उत्तराखण्ड क्रांति दल को लगा एक और बड़ा झटका, चुनाव-चिन्ह भी हुआ जब्त
(चुनावी पराजय के बाद उत्तराखण्ड क्रांति दल का चुनाव-चिन्ह भी हुआ सीज)
सलीम मलिक की रिपोर्ट
Uttarakhand Kranti Dal : राज्य हितों की पैरवी व राज्य निर्माण के लिए गठित किये गए राज्य के एक मात्र रराजनैतिक दल उत्तराखण्ड क्रांति दल (Uttarakhand Kranti Dal) को हालिया विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Assembly Election) में करारी हार के फौरन बाद एक और बड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग (Election Commission) ने पार्टी का चुनाव-चिन्ह सीज कर दिया है। चुनाव में नियमों के मुताबिक आशातीत वोट व सीट हासिल करने में बुरी तरह नाकाम रहने पर आयोग ने पार्टी पर यह कार्यवाही की है। उत्तराखण्ड क्रांति दल इससे पूर्व अपना राज्यस्तरीय राजनैतिक दल होने का दर्जा भी गंवा चुका है।
प्रदेश में हुए हालिया विधानसभा चुनाव में पार्टी ने चालीस से अधिक विधानसभाओं में अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन पार्टी कोई सफलता प्राप्त करना तो दूर तीन सीटों की छोड़कर किसी और सीट पर दो हज़ार वोट भी नहीं पा सकी। कई सीटें तो ऐसी भी रहीं जहां उसे नोटा से भी गई-गुजरी हालात से गुजरना पड़ा। राज्य स्थापना के बाद से ही चुनाव दर चुनाव राजनैतिक झटके झेल रही यूकेडी (UKD) के लिए विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद एक और सदमा देने वाली खबर आई है। निर्वाचन आयोग ने यूकेडी के चुनाव चिह्न कुर्सी को सीज कर इसे रिजर्व में डाल दिया है। जिससे राज्यस्तरीय दल की मान्यता गंवा चुकी यूकेडी से अब उसका चुनाव चिह्न 'कुर्सी' भी छिन गया है। विधानसभा चुनावों में यूकेडी को केवल एक प्रतिशत मत मिले और वह एक भी सीट नहीं जीत सकी।
इससे पहले 2012 के विधानसभा चुनाव के बाद ही उत्तराखंड क्रांति दल से राज्यस्तरीय दल की मान्यता छिन गई थी। लेकिन चुनाव आयोग ने दल के अनुरोध पर और पूर्व में राज्य स्तरीय दल होने के चलते उसे तीन चुनावों के लिए उसका चुनाव चिह्न कुर्सी आवंटित किया था। इसके बाद उक्रांद 2017 का विधानसभा, 2019 का लोक सभा और 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ चुका है। लेकिन वह आयोग की शर्तें पूरी नहीं कर सका। इस कारण अब निर्वाचन आयोग द्वारा उसका चुनाव चिह्न "कुर्सी" सीज करके रिजर्व की श्रेणी में डाल दिया गया है।
आयोग के मुताबिक राज्यस्तरीय मान्यता समाप्त होने के बाद दल को कुर्सी चुनाव चिह्न अस्थाई रूप से दिया गया था, जो अब रिजर्व में डाल दिया गया है। राज्य स्तरीय दल का दर्जा पाने के लिए किसी भी राजनीतिक दल को विस चुनाव में कुल सीटों के तीन प्रतिशत सदस्य या तीन विधायक और कुल वैध मतों के छह प्रतिशत मत प्राप्त करना जरूरी हैं। इस शर्त को पूरा न करने के कारण दल 2012 में ही अपनी राज्यस्तरीय मान्यता खो चुका था।