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राजनीति

UP Madarsa Survey : योगीराज में यूपी के मदरसों के सर्वे पर बढ़ी रार, जमीयत उलेमा ए हिंद की बैठक में सरकार पर दागे गये ये सवाल

Janjwar Desk
6 Sep 2022 7:58 AM GMT
UP Madarsa Survey : योगीराज में यूपी के मदरसों के सर्वे पर बढ़ी रार, जमीयत उलेमा ए हिंद की बैठक में सरकार पर दागे गये ये सवाल
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योगीराज में यूपी के मदरसों के सर्वे पर बढ़ी रार

UP Madarsa Survey : इश्तियाक अहमद कादरी कहते हैं मदरसों को लेकर सरकार का अनुभव पहले से ही अच्छा नहीं रहा, ऐसे में भरोसा करना मुश्किल है, मदरसों के हालात को बेहतर करने के लिए आखिर सरकार ने क्या किया...

UP Madarsa Survey :यूपी की योगी सरकार द्वारा हाल ही में प्रदेश के मदरसों का सर्वे कराने के निर्देश दिये गये हैं। इसके विरोध में आज मंगलवार 6 सिंतंबर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने बैठक की है। इस मीटिंग में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के मदरसों के प्रधानाध्यापकों ने शिरकत की। बताया जा रहा कि इस बैठक में यूपी गवर्नमेंट के सर्वे वाले आदेश के खिलाफ कई प्रस्ताव पास किये जाएंगे। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सदस्य कमाल फारूकी भी बैठक में शामिल हुए हैं। यह बैठक जमीयत उलेमा-ए- हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी की तरफ से बुलाई गई है।

बैठक में कमाल फारूकी ने कहा कि सरकार मदरसों को टारगेट कर रही है। मदरसों पर बुलडोजर चला रही है। फारूकी ने कहा कि मदरसे हमारे हकूक का मामला है। सभी मदरसे मॉडर्न हो रहे हैं। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बैठक में सर्वे पर सवाल उठाया गया है। इस बैठक में शामिल हुए मौलाना इश्तियाक अहमद कादरी ने सरकार के सर्वे पर कहा कि अगर नीयत ठीक है, तो उसका स्वागत है। लेकिन मदरसे मदद से पहले ही कई परेशानियों से जूझ रहे हैं। उन्होने कहा कि साढ़े 16 हजार मदरसों में से केवल 500 को सरकार की मदद मिलती है। बाकी सब चंदे के सहारे संचालित हो रहे हैं। ऐसे में उनपर सवाल करना ठीक नहीं है।

भरोसा करना मुश्किल है

इश्तियाक अहमद कादरी ने कहा कि मदरसों के पास पाने के लिए कुछ नहीं है, जबकि खोने के लिए सबकुछ है। उन्होने कहा कि मदरसों को लेकर सरकार का अनुभव पहले से ही अच्छा नहीं रहा। ऐसे में भरोसा करना मुश्किल है। सरकारी स्कूलों में पहले ही पढ़ाई नहीं हो रही। उन्होने सवाल करते हुए कहा कि मदरसों के हालात को बेहतर करने के लिए सरकार ने क्या किया?

बच्चों को दलित होने के नाम पर पीटा गया

कादरी ने कहा कि जब सरकार स्कूलों को प्राइवेट कर रही है तो प्राइवेट तौर पर चल रहे मदरसों को लेकर सवाल क्यों कर रही है? जो किसी मदद के बिना शिक्षा दे रहे हैं। उन्होने कहा कि घटनाएं कहां नहीं होती। कई कोचिंग सेंटर्स में बच्चों को पीटा गया। वहां कोई कार्रवाई नहीं हुई। लेकिन मदरसे पर सवाल किया गया। उन्होने कहा कि बच्चों को दलित होने के नाम पर पीटकर मारा गया। उसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन 16 हजार मदरसों की स्थिति और उनके शिक्षकों के लिये सरकार ने क्या किया? मदरसों में पढ़ रहे बच्चों ने कहा कि हम यहां की तालीम से खुश हैं। इस पर सवाल नहीं होना चाहिये। हजरत और उस्ताद बखूबी पढ़ाते हैं। यहां की तालीम बेहतर है, कहीं कोई दिक्कत नहीं है।

क्या बोले अल्पसंख्यक राज्यमंत्री दानिश आजाद

यूपी के अल्पसंख्यक राज्यमंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि यह सर्वे मुस्लिम नौजवानों की तरक्की के लिए जरूरी है। जो कि तय समय पर होगा। उन्होने कहा कि यह सरकार सबकी सरकार है और अल्पसंख्यक समाज के लिए सरकार गंभीर है। इसके लिए सभी का सहयोग चाहिये। जमीयत की बैठक पर उन्होने कहा कि इस मुद्दे पर कोई भी चर्चा कर सकता है। अपने विचार प्रकट कर सकता है।

इस पर सवाल उठाना ठीक नहीं

मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि सरकार का प्लान मदरसों को बर्बाद करना नहीं बल्कि आबाद करना है। एक शिकायत आई थी की लखनऊ के मदरसे में एक बच्चे को जंजीर से बांधा गया है। इसके बाद ही सर्वे हो रहा है। उन्होने कहा कि सरकार की कोशिश है कि मदरसों में छात्रों की संख्या, शिक्षकों की स्थिति, इंफ्रास्ट्रक्चर को जाना जाए। इस पर सवाल करना ठीक नहीं।

चिंता न करें नार्मल है सर्वे

राज्यमंत्री ने कहा कि अगर मदरसों में कोई घटना हो या शिकायत आए तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की होती है। इसलिए सर्वे के माध्यम से ये आंकड़ा जानना जरूरी है। मदरसों के मामले में कोई दखल नहीं होगा। सरकार केवल अपनी योजनाओं से इन्हें जोड़ने की कोशिश कर रही है। हर कोई हमारे सहयोग के लिए है। सभी के साथ संवाद करके अल्पसंख्यक नौजवानों के भविष्य के लिए सरकार काम करेगी। यह सर्वे नार्मल है, कोई चिंता का विषय नहीं है।

दकियानूसी सोच है

यूपी भाजपा प्रवक्ता समीर सिंह ने कहा कि जमीअत उलेमा-ए-हिंद की सोच दकियानूसी है। प्रदेश सरकार सभी के लिए सोचती है। ऐसे में सर्वे पर सवाल करना गलत है। सरकार लगातार उनके लिए काम कर रही है। ऐसे में मौलाना और मौलवी शिक्षा को धर्म के चश्में से न देखें. बल्कि शिक्षा को शिक्षा की ही नजर से देखें।

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