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बिकरू कांड : नाबालिग थी खुशी तो कैसे कर दी शादी, परिजनों पर कस सकता है शिकंजा

Janjwar Desk
3 Sept 2020 9:39 AM IST
बिकरू कांड : नाबालिग थी खुशी तो कैसे कर दी शादी, परिजनों पर कस सकता है शिकंजा
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file photo

पुलिस खुशी के परिजनों पर धोखाधड़ी, षड़यंत्र रचने और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कर सकती है एफआईआर

जनज्वार, कानपुर। बिकरू के गैंगस्टर विकास दुबे के दाहिने हाथ रहे अमर दुबे की पत्नी खुशी को किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग तो मान लिया है, लेकिन अब उसके पिता की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि नाबालिग की शादी करना भी कानूनन जुर्म है।

पुलिस के पास खुशी की शादी के जो वीडियो है, वह घर परिवार और सबकी मर्जी साबित करने के लिए काफी हैं। ऐसे में नाबालिग खुशी की शादी करने के जुर्म में परिजनों के खिलाफ भी पुलिसिया कार्रवाई हो सकती है।

खुशी के पिता श्याम लाल तिवारी ने ही उसके जेल जाने के बाद नाबालिग होने का प्रार्थना पत्र कानपुर देहात की एंटी डकैती कोर्ट माती में दिया था। न्यायालय में शपथपत्र और बयान देकर उसके पिता ने खुशी को नाबालिग बताया था। जिसके बाद परिजन बाल विवाह अधिनियम के तहत दोषी माने जाएंगे। पुलिस खुशी के परिजनों पर धोखाधड़ी, षड़यंत्र रचने और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की कर सकती है एफआईआर।

संबंधित खबर : विकास दुबे का दाहिना हाथ रहे अमर दुबे की पत्नी नाबालिग घोषित, अब हो जाएगी रिहा

बिकरू कांड में शामिल सभी आरोपियों पर पुलिस गैंगस्टर व रासुका जैसी कार्रवाई की तैयारी कर रही है, जबकि अब खुशी के नाबालिक घोषित होने पर ये धाराएं नहीं लगाई जा सकतीं। और तो और खुशी को जमानत मिलने की संभावना बढ़ गई है। हालांकि 2015 में आए जुवेनाइल एक्ट में प्रावधान है कि 16 वर्ष या इससे अधिक उम्र के वाले किशोरों पर भी गंभीर अपराधी की तरह ट्रायल चलाया जा सकता है।

पुलिस एनकाउंटर में मारे गए बदमाश अमर दुबे की विवाहिता खुशी को जेल भेजने के बाद पुलिस ने पहले खुद से जल्दबाजी में हुई कार्रवाई बताते हुए उसे जेल से रिहा करवाने की बात कही थी। पुलिस ने अपनी गलती मानने के कुछ ही दिन बाद फिर पलट गई थी। पुलिस ने उसे घटना में शामिल बताया था। पुलिस उसे नाबालिग मानने को भी तैयार नहीं थी। हालांकि किशोर न्याय बोर्ड के फैसले के बाद पुलिस की किरकिरी फिर शुरू हो गई है।

खुशी के कोर्ट से नाबालिग घोषित होने पर पहली पहल उसे राहत तो मिल सकती है, लेकिन मुकदमे पर इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। दोषसिद्धी होने पर खुशी को वैसी ही सजा मिलेगी जैसा कि किसी बालिग को मिलती है। खुशी को सजा सेशन कोर्ट ही सुनाएगा, क्योंकि किशोर न्याय बोर्ड दोषी पाए जाने पर उसकी फाईल सेशन ही भेजेगा। फौरी तौर पर राहत यह है कि अब जमानत मिलने तक खुशी को जेल में नहीं, बल्कि संवासिनी गृह में भेज दिया जाएगा।

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