रामराज : हाथरस कांड में न्याय के लिए 999 दिन का इंतजार और किसी को दुष्कर्म और हत्या के लिए नहीं मिली सजा

हाथरस की गैंगरेप पीड़ित दलित लड़की का परिवार की मर्जी के बगैर जबरन कर दिया था पुलिस प्रशासन ने रात्रि में ही अंतिम संस्कार (file photo)
Hathras Kand : योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश में दलित युवती के साथ हुई जघन्य घटना शायद ही कोई भूल पाया हो, यह मीडिया की न सिर्फ सुर्खियां रहा था, बल्कि इसने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी थी। मगर अपने जिन 4 रेपिस्टों और हत्यारों का नाम मौत से पहले पीड़िता ने बयान में बताये थे, उन्हें सीबीआई ने बरी कर दिया था। सिर्फ एक आरोपी संदीप को 304 के तहत यानी गैर इरादतन हत्या के लिए एससी/एसटी एक्ट में दोषी करार दिया गया है। मुख्य आरोपी संदीप सिंह को जहां SC-ST एक्ट में गैर इरादतन हत्या के लिए दोषी करार दिया गया है, वहीं बाक़ी तीन आरोपियों लवकुश, रवि, राम कुमार को बरी कर दिया गया है। संदीप सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए 50,000 रुपए जुर्माना ठोका गया है। सीबीआई की इस जांच से गुस्साये परिवार ने कहा है कि वह इसके खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटायेगा।
गौरतलब है कि 14 सितंबर 2020 को यूपी के हाथरस के चंदपा क्षेत्र के एक गांव में दलित युवती के साथ जघन्य गैंगरेप और हत्या मामले ने खूब तूल पकड़ा था। देश और दुनिया में हाथरस कांड बड़ा मुद्दा बना था और इसने योगी सरकार, यूपी पुलिस और प्रशासन की भारी फजीहत की थी। 29 सितंबर 2020 को युवती ने दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया था और उसी रात यानी 29 सितंबर की देर रात यूपी पुलिस ने परिजनों के मर्ज़ी के ख़िलाफ़ पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया था, जिसके बाद भारी हंगामा हुआ था।
हाथरस गैंगरेप हत्याकांड मामले ने जब मीडिया में तूल पकड़ा तो यूपी पुलिस ने परिवार को लगभग घर में नजरबंद कर दिया था। पीड़िता के परिजनों को न तो विपक्षी नेताओं से मिलने दिया जा रहा था और न ही मीडिया से। इसी दौरान कई विपक्षी नेताओं को हिरासत में तक लिया गया था और इस घटना की रिपोर्टिंग करने जा रहे पत्रकार सिद्दीक कप्पन को तो सलाखों के पीछे ही डाल दिया गया था, जो थोड़े दिन पहले ही रिहा हुए हैं। इस मामले में संदीप ठाकुर, लव कुश, रामू, रवि को हत्या, रेप और एससी एसीटी एक्ट की धारा के तहत पुलिस ने जेल में भेजा और पूरे मामले की जांच सीबीआई के हवाले कर दी गयी थी।
सीबीआई द्वारा 3 अपराधियों को रिहा किये जाने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि कि आखिर चार अपराधियों में से 3 को बाइज्जत रिहा आखिर कैसे कर दिया गया, जबकि सबके नाम मरने से पहले पीड़िता ने अपने बयानों में दर्ज करवाये थे। सीबीआई की जांच को सही मानें तो सिर्फ एक आरोपी संदीप है, और उसे भी सजा रेप और मर्डर के लिए नहीं, बल्कि एससीएसटी एक्ट और धारा 304 के तहत दी गयी है।
हाथरस कांड का अब तक का पूरा घटनाक्रम
14 सितंबर 2020 को चंदपा क्षेत्र के एक गांव में अनुसूचित जाति की एक युवती के साथ दरिंदगी हुई थी, जिसे जिला अस्पताल से अलीगढ़ जेएन मेडिकल कॉलेज भेजा गया। पुलिस ने एक आरोपी संदीप के खिलाफ जानलेवा हमले व एससी-एसटी उत्पीड़न के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
19 सितंबर को पुलिस ने नामजद आरोपी संदीप को गिरफ्तार किया।
22 सितंबर को दलित पीड़ित युवती के बयान के आधार पर सामूहिक दुष्कर्म की धारा 376 डी जोड़कर संदीप के तीन अन्य साथी अभियुक्तों के नाम इस मामले में जोड़े गये।
23 सितंबर को पुलिस द्वारा दूसरे आरोपी लवकुश को गिरफ्तार किया गया।
25 सितंबर को तीसरे आरोपी रवि को पुलिस ने गिरफ्तार किया था और तत्कालीन कोतवाली निरीक्षक चंदपा को इस मामले के लिए लाइनहाजिर किया गया था।
इसके बाद 26 सितंबर को चौथे आरोपी रामू को पुलिस ने गिरफ्तार किया।
इसी घटनाक्रम के दौरान 28 सितंबर को बहुत गंभीर हालत में पीड़िता कोअलीगढ़ के मेडिकल कॉलेज से दिल्ली बेहतर इलाज के लिए रेफर कर दिया गया।
दिल्ली पहुंचने के बाद 29 सितंबर को पीड़िता ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। युवती की मौत के बाद परिजनों की मर्जी के बिना हाथरस पुलिस प्रशासन ने भारी हो हंगामे के डर से और जैसा कि अब कहा जा रहा है सबूत मिटाने के लिए रात्रि को ही दलित युवती की लाश का अंतिम संस्कार कर दिया।
इस मामले में 2 अक्तूबर 2020 को तत्कालीन एसपी, सीओ समेत पांच पुलिसकर्मी निलंबित किये गये थे।
4 अक्तूबर 2020 को प्रदेश की योगी सरकार ने इस मामले में सीबीआई जांंच कराने की संस्तुति की थी।
11 अक्तूबर 2020 को सीबीआई ने इस मामले में अपनी जांच शुरू की थी।
21 नवंबर 2020 को सीबीआई अलीगढ़ जेल में बंद चारों अभियुक्तों को पॉलीग्राफ और ब्रेन मैपिंग जांच कराने के लिए गुजरात ले गई थी।
6 दिसंबर 2020 को आरोपियों को फिर गुजरात से अलीगढ़ जेल भेज दिया गया।
इस घटनाक्रम के बाद 18 दिसंबर 2020 को सीबीआई ने जांच के बाद हाथरस के विशेष न्यायालय (एससी-एसटी एक्ट) में चारों अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।
और अब 999 दिन के लंबे इंतजार के बाद 02 मार्च 2023 को कोर्ट ने एक आरोपी को हत्या और रेप के लिए नहीं बल्कि गैर इरादतन हत्या के लिए दोषी मानते हुए तीन आरोपियों को बरी कर दिया।










