Bulli Bai App Case : भाई-बहन की टोका-टाकी या वात्सल्य योजना पर पल रही थी शातिर श्वेता, दिलीप मंडल ने ऐसे साधा निशाना
भाई-बहन की टोका-टाकी या वात्सल्य योजना पर पल रही थी शातिर श्वेता
Bulli Bai App Case : महिलाओं को अपमानित करने वाले कुख्यात एप्लिकेशन "बुल्ली बाई" (Bulli Bai App) की मास्टरमाइंड गिरफ्तार युवती श्वेता का पूरा दिन का अधिकांश समय मोबाइल पर सक्रिय रहती थी। पूरे देश में बवाल कर रहे विवादित एप्प की रचनाकार व रुद्रपुर (Rudrapur) से गिरफ्तार हुई इस युवती की इस सक्रियता से उसके भाई-बहन भी हैरान थे।
हालांकि शातिर श्वेता मोबाइल पर अपनी सक्रियता को लेकर अपने भाई-बहन को अपनी पढ़ाई-लिखाई का हवाला दिया करती थी। श्वेता की कारस्तानी से अनभिज्ञ उसके भाई-बहनों पर अपनी बहन की बात पर विश्वास करने के अलावा कोई चारा नही था। लेकिन श्वेता की हद से ज्यादा की मोबाइल पर सक्रियता को लेकर उसके भाई-बहन हर समय किसी न किसी आशंका से घिरे रहते थे। यह आशंका उन्हें इस तरह के अपराध की नहीं बल्कि उम्र के हिसाब से उसके किसी प्रेम-प्रसंग की थी।
रुद्रपुर के आदर्शनगर इलाके में रह रही अनंतपाल नामक व्यक्ति की श्वेता नाम की 18 वर्षीय पुत्री श्वेता वैसे तो एक गरीब घर की लड़कीं है। लेकिन महंगे फोन चलाना उसका शौक था। कैंसर के इलाज के अभाव में अपनी माँ को व कोविड काल में अपने पिता को खो चुकी श्वेता जो मुस्लिम समुदाय के प्रति इतनी जहर से भरी पड़ी है कि मुस्लिम महिलाओं को अपमानित करने में रोमांच तलाश रही है को देश की उन स्वास्थ्य सेवाओं की कोई चिंता नहीं है, जिनकी वजह से उसके माँ-बाप इस दुनिया में नहीं रहे। सहानुभूति व दयाभाव की सरकारी योजना "वात्सल्य" के सहारे दो समय की रोटी पर पल रही यह युवती इंटरमीडिएट के बाद घर में ही बैठी है। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही श्वेता की एक बड़ी बहन मनीषा है। जबकि दो भाई बहन उससे छोटे हैं।
भारतीय दण्ड संहिता की धारा 153ए, 153बी, 295ए, 509, 500, 354डी, और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत बुक हो चुकी इस खतरनाक मानसिकता को देश में चल रहे संघ परिवार के मुसलमानों के प्रति नफरती एजेंडे को जिम्मेदार बताते हुए जाने माने दलित चिंतक दिलीप मण्डल का कहना है कि सात-आठ साल के सवर्ण बच्चे दलित महिला का बनाया मिड-डे मील बहिष्कार कर देते हैं तो 18 और 21 साल के भरे-पूरे जवान #BulliBaiApp क्यों नहीं चला सकते ? परिवार और स्कूल से मिली ट्रेनिंग, टीवी सीरियल, डाइनिंग टेबल की बातचीत, दादी से सुनी कहानियों, इन सबका असर होता है दिमाग़ पर। दंगाई दिमाग़ बनने में समय लगता है।
अपनी करतूतों को दूसरों पर थोपने और अपने आप को पवित्र मासूम इनोसेंट बताने की कुटिल मानसिकता पर प्रहार करते हुए मण्डल का कहना है कि "कौन कहता है कि "फूट डालो और राज करो" की नीति अंग्रेज लेकर आए? भारत में ये नीति ढाई हज़ार साल से चली आ रही हैं। अंग्रेजों की नीति होती तो बाकी उपनिवेशों में भी लागू करते। सिर्फ यहीं क्यों ?"
अध्यापक नवेन्दु मठपाल युवाओं को आगाह करते हुए अपने सोशल मीडिया पर लिखते हैं कि "वो लड़का इंजियनियरिंग कर रहा है, लड़की ने इंटर कर घर की जिम्मेदारी निभाते हुए आगे पढ़ाई की सोची। पर नफरती चिटुओं के व्हाटसअप यूनिवर्सिटी के द्वारा फैलाये जा रहे नफरती,दंगाई, विकृत सन्देशों ने दोनों को अपनी चपेट में ले लिया। अब दोनों जेल में हैं। जी हां ! मैं बुल्ली बाई एप के दोनों मुख्य आरोपियों श्वेता सिंह औऱ विशाल कुमार की ही बात कर रहा हूँ। हम या हमारे बच्चे इस अधकचरे विकृत, दंगाई सोच की चपेट में आएं। इससे पहले सतर्क हो जाइए...उन्होंने मुसलमान महिलाओं की ऑनलाइन नीलामी के लिए #bullibaiapp बनाया और ये काम सिखों का नाम रखकर किया।"
हालांकि मुम्बई पुलिस की गिरफ्त में आते ही श्वेता नाम की इस लड़कीं का सारा जोश वक्ती तौर पर काफूर हो गया है। लेकिन इसकी पैंतरेबाजियाँ अभी भी जारी हैं। किसी गाईयू नाम के नेपाली युवक पर अपने गुनाह थोपने की कोशिश कर रही एक समय में तीन-तीन फेक अकाउंट ऑपरेट करने वाली इस लड़की की बाबत पुलिस से जो जानकारी मिल रही है उसके मुताबिक श्वेता पहले अपना इंफिनिट्यूड 07 नाम से ट्वीटर हैंडल चलाती थी। कुछ दिन पहले वह नेपाल के गाइयू नाम के ट्वीटर हैंडल चलाने वाले युवक के संपर्क में आई।
श्वेता का कहना है उस युवक ने ही उससे कहा कि वह यह इस अकाउंट की जगह अपना एक फेक अकाउंट बना ले। इसके बाद उसने अपने अकाउंट का नाम 'जाट खालसा 7' रख लिया। इसी अकाउंट से उसने बुल्ली एप में समुदाय विशेष की महिलाओं की बोली लगवाई। हालांकि मुंबई पुलिस श्वेता के बयान की तस्दीक के लिए इस नेपाली युवक की तलाश में भी जुट गई है। लेकिन कोई बड़ी बात नहीं, इस युवक के पकड़ में आने के बाद यह पता चले कि नेपाली युवक ने इसको नहीं बल्कि इस शातिर ने ही नेपाली युवक को फुसलाकर अपनी करतूत में हिस्सेदार बनाया हो।
वैसे मुम्बई पुलिस के इस खुलासे के बाद उत्तराखंड एसटीएफ भी इस मामले में नजर बनाए हुए है। लेकिन फिलहाल अभी कोई नया डेवलपमेंट इस मामले में नहीं है।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं-
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने इस मामले को लेकर ट्वीट करते हुए कहा, सात-आठ साल के सवर्ण बच्चे दलित महिला का बनाया मिड-डे मील बहिष्कार कर देते हैं तो 18 और 21 साल के भरे-पूरे जवान #BulliBaiApp क्यों नहीं चला सकते? परिवार और स्कूल से मिली ट्रेनिंग, टीवी सीरियल, डाइनिंग टेबल की बातचीत, दादी से सुनी कहानियों, इन सबका असर होता है दिमाग पर।
सात-आठ साल के सवर्ण बच्चे दलित महिला का बनाया मिड-डे मील बहिष्कार कर देते हैं तो 18 और 21 साल के भरे-पूरे जवान #BulliBaiApp क्यों नहीं चला सकते? परिवार और स्कूल से मिली ट्रेनिंग, टीवी सीरियल, डाइनिंग टेबल की बातचीत, दादी से सुनी कहानियों, इन सबका असर होता है दिमाग़ पर।
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) January 4, 2022
मंडल ने एक अन्य ट्वीट पर कहा, 'उन्होंने मुसलमान महिलाओं की ऑनलाइन नीलामी के लिए #BulliBaiApp बनाया और ये काम सिखों का नाम रखकर किया। कौन कहता है कि "फूट डालो और राज करो" की नीति अंग्रेज लेकर आए? भारत में ये नीति ढाई हजार साल से जारी हैं। अंग्रेजों की नीति होती तो बाकी उपनिवेशों में भी लागू करते। यहीं क्यों?'
उन्होंने मुसलमान महिलाओं की ऑनलाइन नीलामी के लिए #BulliBaiApp बनाया और ये काम सिखों का नाम रखकर किया।
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) January 4, 2022
कौन कहता है कि "फूट डालो और राज करो" की नीति अंग्रेज लेकर आए? भारत में ये नीति ढाई हजार साल से जारी हैं। अंग्रेजों की नीति होती तो बाकी उपनिवेशों में भी लागू करते। यहीं क्यों?
एक दूसरे ट्वीट में मंडल ने कहा कि घर-परिवार में अच्छे संस्कार नहीं मिलने पर यही होता है। परिवार ही जीवन की पहली पाठशाला है। Primary Socialisation घर-परिवार में ही होता है जो जीवन भर चलता है और Stock of knowledge at hand बन जाता है। इसीलिए शास्त्रों में कहा गया है कि रोज़ Alfred Schutz को पढ़ो। लोग मानते नहीं हैं।