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Champawat News : टनकपुर की गौरा देवी के जज्बे को सलाम, ई-रिक्शा चलाकर कर रहीं परिवार का गुजर-बसर

Janjwar Desk
2 May 2022 1:43 PM GMT
Champawat News : टनकपुर की गौरा देवी के जज्बे को सलाम, ई-रिक्शा चलाकर कर रहीं परिवार का गुजर-बसर
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Champawat News : टनकपुर की गौरा देवी के जज्बे को सलाम, ई-रिक्शा चलाकर कर रहीं परिवार का गुजर-बसर

Champawat News : चम्पावत जिले के टनकपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बोहरागोठ निवासी गौरा देवी के जवान बेटे की मौत करीब छह साल पहले हो गई थी, बेटा रिक्शा चलाता था....

Champawat News : अपनी गरीबी और बेबसी का हवाला देकर मेहनत का रास्ता छोड़ते हुए जो सड़कों पर भीख मांगने उतर पड़ते हैं, उनके लिए टनकपुर (Tanakpur) की गौरा देवी (Gaura Devi) एक सबक साबित हो सकती है। जिनके सामने भी जीवन में कुछ ऐसी परिस्थितियां आई जैसी परिस्थितियों में लोग पेट पालने के लिए भीख मांगने लगते हैं। लेकिन खुद्दार गौरा देवी ने ऐसी परिस्थितियों में अपना व अपने परिवार का पेट पालने के लिए थोड़ा मुश्किल भरा रास्ता चुना। जो उन्हें न केवल रोटी मुहैया करा रहा है बल्कि सम्मान से सिर उठाकर जीने का साहस भी। गरीबी से जूझ रही गौरा देवी अपने हौसले के बलबूते अपना परिवार चलाने के लिए वह काम कर रही है, जिस काम को मर्दों की बस की बात कहा जाता है।

परिवार के मुखिया और कमाऊ इस दुनिया से चल बसे। इसके बाद जिगर का टुकड़ा भी जिंदगी का साथ छोड़ कर चल दिया। ऐसे में हर तरफ से टूटी इस जांबाज महिला ने खुद और परिवार को संभालने की जिम्मेदारी उठाई। हिम्मत और संकल्प की बदौलत गौरा देवी तपती धूप में टनकपुर की सड़क पर ई-रिक्शा (E-Rickshaw) चला रही है और परिवार का भरण पोषण कर रही है। 56 साल की गौरा देवी के जज्बे को हर कोई सलाम कर रहा है। चम्पावत जिले (Champawat) की पहली और एकमात्र महिला ई-रिक्शा चालक गौरा देवी को सड़क पर रिक्शा चलाते या यात्रियों को बुलाते देख राह चलते लोग भले ही हैरत जताते हों मगर उनकी जिंदगी का कटु सत्य भी अचरज से कम नहीं है।

बेटे की छह माह पहले हुई थी मौत

चम्पावत जिले के टनकपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बोहरागोठ निवासी गौरा देवी के जवान बेटे की मौत करीब छह साल पहले हो गई थी। बेटा रिक्शा चलाता था। दो साल पहले मजदूरी करने वाले पति कल्लू राम ने भी दुनिया को छोड़ दिया। इसके बाद गौरा देवी के परिवार में दुखों का पहाड़ टूटा पड़ा। आय के सभी स्रोत बंद हो चुके थे। गौरा के सामने बहू और उसके बेटों के पालन पोषण की जिम्मेदारी आ पड़ी थी। गौरा ने हिम्मत नहीं हारी। कुछ कर गुजरने का संकल्प लिया।

कर्ज लेकर खरीदा ई-रिक्शा

एक साल पहले बैंक से कर्ज लेकर ई-रिक्शा खरीदा और परिवार की जिम्मेदारियों को पूरा करने का मन बनाया। गौरा बताती हैं कि शुरू में उन्हें इस काम में कुछ झिझक हुई। लोगों का नजरिया भी अच्छा नहीं था, लेकिन वह अपने काम को आगे बढ़ाती रहीं। वह रोज सुबह नौ बजे से शाम छह बजे तक रिक्शा चलाती हैं। इससे रोजाना 300 रुपये की आय होती है। बैंक की किस्त और घर का गुजारा करने के लिए गौरा सुबह कुछ घरों में जाकर घरेलू काम भी करती हैं।

गौरा देवी कहती हैं कि पहले पति और बाद में एक बेटे की मौत से घरेलू हालात डगमगा गए। घर के गुजर के लिए कुछ काम तो करना था। बहुत सोच विचार कर ई-रिक्शा चलाना मुनासिब समझा। अब इससे और कुछ घरों में भी काम कर अपने घर की गुजर हो रही है।

गौरा ने पेश की है मिसाल

एसडीएम हिमांशु कफल्टिया और एआरटीओ सुरेंद्र कुमार का कहना है कि ई-रिक्शा के जरिये महिलाएं भी रोजगार कर सकती है, इस बात को गौरा ने साबित किया है। इस काम के लिए प्रशासन भविष्य में गौरा को सम्मानित करेगा।

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