Exclusive : मशहूर जेल तिहाड़ में बंदी-कैदियों के टॉर्चर में खासा रसूख रखता है झूला और हवाई चप्पल
Agra News : नाबालिग होते हुए भी मिली फांसी की सजा, 13 वर्ष की उम्र से जेल में बंद बंटू को 19 साल बाद मिला न्याय
मनीष दुबे की रिपोर्ट
Tihar news : एशिया की सबसे बड़ी और सुरक्षित जेल तिहाड़ (Tihar Jail) के विषय में तरह-तरह की किवंदतियां प्रचलित हैं। समय के साथ-साथ प्रशासनिक पहल पर कुछ सुधार हुए साथ ही घपले-घोटाले भी खूब काटे गए। दुनिया की एकमात्र जगह जहां पलक झपकते कुछ भी हो सकता है। यहां आपके साथ सो रहा व्यक्ति आप पर हमला कर सकता है। और तो यहां आपके फट्टेवार आपको रात मौत की नींद तक सुला सकता है।
इसी तिहाड़ में नाना प्रकार के कैदी और बंदी सजा काटते हैं, जिनके बीच कुछ पुराने कई-कई सालों से बन्द कैदी आक्रामक हो जाते हैं। ये लोग जेल के भीतर ही अपना सिंडिकेट और नशा पत्ती की तस्करी करवाने का काम भी करते हैं। आपसी खुन्नसबाजी के चलते विरोधियों से झगड़ा, चाकूबाजी, ब्लेडबाजी, लागतबाजी चला करती है, जिनको काबू में करने के लिए जेल प्रशासन मारने-पीटने के साथ विभिन्न तरीके अपनाती है।
जेल पर लिखी गई कुछ किताबों के अध्ययन से पता चलता है कि किसी कैदी या बंदी को थाने से लेकर जेल तक किस तरह की प्रक्रियाओं से दो चार होना पड़ता है। पुलिस का व्यवहार, भाषाशैली, जबरन गुनाह कुबूल करवाने तक हर तरह का स्टंट किया जाता है, लेकिन जेल के अंदर यह स्टंट और टॉर्चर कई गुना खतरनाक रूप धारण कर लेते हैं। उन्हीं में से कुछ एक पर यहां बात की गई है। ये दोनों ऐसी सजाएं हैं, जिसे सुनकर कैदी-बन्दी पहले ही आधे से अधिक मुरझा जाता है।
झूले में टांगकर मारना
झूले में टांगकर मारना जेल में टॉर्चर की यह सबसे भयावह यातना है। कैदी इस यातना के बाद कई दिन तक ठीक से चल तक नहीं पाता है, जिसमें एक लोहेनुमा मजबूत एंगल का एक झूला रूपी स्टैंड होता है। कैदी-बंदी को हाथ-पांव पीछे कर बांधने के बाद एक लोहे की रॉड में फंसाकर झूले में टांग दिया जाता है। आसमान की तरफ 56 इंचीं छाती लिए कैदी के पैर के तालु व अन्य जगहों पर बेहताशा लाठियों से मारा जाता है। फिर पिटने वाले को घास पर चलवाया जाता है। यह प्रक्रिया में शामिल है।
हवाई चप्पल से दुतरफा सिर पे मारना
इस टॉर्चर में कैदी-बंदी को जमीन पर बिठाकर पीटा जाता है। कैंटीन से ब्रांड न्यू रूपानी चप्पल मंगवाई जाती है। उसके बाद प्रशासन या फिर कैदी ही झगड़ा, लड़ाई या अन्य बदमाशियों पर दोनों तरफ से एक के बाद एक सिर पर लगातार चप्पलें मारते हैं। कैदी चीखता है...चिल्लाता है, लेकिन वहां प्रशासन के आगे किसी की नहीं चलती। और तो बताया यह भी जाता है कि जेल प्रशासन किसी कैदी व बंदी से डायरेक्ट बुराई न लेते हुए ज्यादातर कैदियों सेवादारों से ही अन्य की पिटाई भी करवाते हैं।
क्या होता है एक्शन?
जेल के अंदर इस तरह का टॉर्चर करने वाले जेल कर्मियों पर कभी कोई कार्रवाई नहीं होती। कभी-कभार कोई कैदी बंदी अत्यधिक चोटिल हो जाये। बाहर के अस्पताल में इलाज के लिए भेजा जाता है। घर परिवार के लोग मिलने आये तो बात लीक हो अथवा जेल प्रशासन व अन्य कोई पुलिस मिलकर गजब का मैनेजमेंट कर डालते हैं। और राज राज ही बना रह जाता है।