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देहरादून महासू देवता मंदिर में आयोजित धर्म सभा में SDM और SP ग्रामीण की मौजूदगी में अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगे नफरती नारे

Janjwar Desk
30 April 2023 4:47 PM GMT
देहरादून महासू देवता मंदिर में आयोजित धर्म सभा में SDM और SP ग्रामीण की मौजूदगी में अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगे नफरती नारे
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देहरादून महासू देवता मंदिर में आयोजित धर्म सभा में एसडीएम और एसपी ग्रामीण की मौजूदगी में अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगे नफरती नारे (photo : Facebook)

Dehradun news : देहरादून महासू देवता मंदिर में आयोजित धर्म सभा में एसडीएम और एसपी ग्रामीण की मौजूदगी में अल्पसंख्यकों के खिलाफ लगे नफरती नारे, माले सचिव इंद्रेश मैखुरी ने डीजी उत्तराखंड को पत्र लिखकर आगाह करते हुए आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किये जाने की मांग की है....

Dehradun news : देवनगरी कहे जाने वाले उत्तराखंड में सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने की कोशिशें लगातार जारी है। अब देहरादून के हनोल में महासू देवता के मंदिर में आयोजित एक धर्मसभा में मुस्लिमों के प्रति घृणा फैलाने का काम जिस निम्न स्तर तक गिरकर किया गया, उसके खिलाफ भाकपा माले के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी ने डीजी उत्तराखण्ड के नाम एक पत्र लिखते हुए उचित कार्रवाई करने की अपील की है।

डीजी उत्तराखण्ड को संबोधित पत्र में लिखा गया है, ‘महोदय, देहरादून जिले के हनोल में महासू देवता के मंदिर में 20 अप्रैल 2023 को धर्म सभा नाम से एक आयोजन हुआ। उक्त आयोजन के बारे में प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रशासन द्वारा उक्त आयोजन की अनुमति इस शर्त पर दी गयी थी कि उक्त आयोजन में किसी तरह के घृणा वक्तव्य यानी हेट स्पीच नहीं होंगे।

लेकिन सोशल मीडिया पर उक्त आयोजन के जो भी वीडियो दिखाई दे रहे हैं, उनसे तो यही प्रतीत हो रहा है कि उक्त आयोजन में नफरत फैलाने वाले भाषणों के अलावा कुछ हुआ ही नहीं, बल्कि ऐसा लगता है कि उक्त आयोजन का मकसद ही सांप्रदायिक घृणा फैलाना था।

महोदय, कुछ लोग बाहर से आए और वे यह भाषण देते रहे कि उत्तराखंड में बाहर के लोगों को नहीं बसने देंगे। अल्पसंख्यकों के बारे में बेहद घृणास्पद शब्दों का प्रयोग किया गया, उन्हें उत्तराखंड में न रहने देने और न बसने देने की बात कही गयी। उनके सामाजिक बहिष्कार के बात कही गयी और उनके सफाये तक की बातें उक्त आयोजन में कही गयी।

अफसोस कि इस तरह की घृणा और वैमनस्य फैलाने की बातें जौनसार के लोकदेवता महासू के मंदिर के प्रांगण में की गयी। कोई भी अवैध कृत्य में शामिल है तो उस पर रोक लगाना, पुलिस और प्रशासन का काम है, लेकिन इस तरह के आयोजन करने वाले लोग स्वयं ही पुलिस और न्यायालय होना चाहते हैं। इस तरह की संविधानेत्तर व्यवस्था की आकांक्षा भी न्याय और कानून व्यवस्था के लिए चुनौती है।

महोदय, दिसंबर 2021 में इसी तरह हरिद्वार में धर्म संसद के नाम पर नफरत भरे भाषण दिये गए थे, जिस मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय ने तक संज्ञान लिया था। नफरत भरे भाषणों के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय ने अक्टूबर 2022 में निर्देश दिया था कि इस तरह के मामले में स्वतः संज्ञान लेकर एफ़आईआर दर्ज की जाये।

समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ कि देहरादून के अपर जिलाधिकारी डॉ. शिव कुमार बरनवाल और देहरादून की पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) डॉ. कमलेश उपाध्याय भी इस आयोजन की निगरानी के लिए मौके पर मौजूद थे।महोदय, उक्त अधिकारियों की मौजूदगी में नफरत और वैमनस्य फैलाने के भाषण दिये जाते रहे, यह बेहद अफसोस और हैरानी की बात है।

देहरादून की पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) डॉ. कमलेश उपाध्याय का अंग्रेजी अखबार. टाइम्स ऑफ इंडिया में 25 अप्रैल को बयान छपा है कि आयोजन की पुलिस की मौजूदगी में वीडियोग्राफी करवाई गयी। अब तक कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है।’ इस बयान को पढ़ कर भी हैरत होती है! क्या पुलिस अधीक्षक ;ग्रामीणद्ध महोदया को अक्टूबर 2022 के माननीय उच्चतम न्यायालय के उस आदेश की जानकारी नहीं होगी, जिसमें कहा गया है कि ऐसे मामले में पुलिस को स्वतः संज्ञान लेकर एफ़आईआर दर्ज करनी है? माननीय उच्चतम न्यायालय ने वह निर्देश जिन राज्यों को दिया था, उनमें उत्तराखंड भी था।

28 अप्रैल 2023 को माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपना उक्त आदेश सभी राज्यों के लिए पुनः दोहराया है। 28 अप्रैल 2023 को तो अपने आदेश में माननीय उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में कार्यवाही न करना उच्चतम न्यायालय की अवमानना समझा जाएगा।

महोदय, धर्म सभा या धर्म संसद के नाम पर किसी को भी नफरत फैलाने और कानून अपने हाथ में नहीं लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उनके विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जानी चाहिए। उक्त प्रकरण का आयोजक तो ऐसा व्यक्ति है जो समाज कल्याण छात्रवृत्ति घोटाले में जेल जा चुका है और वर्तमान में जमानत पर बाहर है। यह धर्म और धार्मिक वैमनस्य की आड़ में अपने कृत्यों को छुपाने की कोशिश प्रतीत होती है।

अतः आपसे निवेदन है कि हेट स्पीच के मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय के अक्टूबर 2022 के और 28 अप्रैल 2023 के आदेश पर अमल करते हुए। उक्त मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्यवाही करने का निर्देश जारी करने की कृपा करें।

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