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Lakhimpur Kheri : 'जब दोषी नहीं हुआ गिरफ्तार तो कैसे हो गए अंतिम संस्कार', सरकार-किसान नेताओं के समझौते पर उठ रहे सवाल

Janjwar Desk
5 Oct 2021 9:55 AM GMT
Lakhimpur Kheri : जब दोषी नहीं हुआ गिरफ्तार तो कैसे हो गए अंतिम संस्कार, सरकार-किसान नेताओं के समझौते पर उठ रहे सवाल
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(दोषियों की गिरफ्तारी से पहले ही समझौते पर सोशल मीडिया पर उठ रहे सवाल)

Lakhimpur Kheri : लखीमपुर खीरी में हुई हिंसक झड़प के बाद किसान सरकार से कार्यवाही कर आशीष की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे लेकिन सोमवार को आशीष मिश्र की गिरफ्तारी के बिना हुए किसान समझौते को लेकर ट्विटर पर सवाल उठ रहे हैं....

Lakhimpur Kheri जनज्वार। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) में किसानों (Farmers) की मौत के बाद किसानों और सरकार के बीच समझौते कि खबरें आई थी। योगी सरकार ने ऐलान किया था कि प्रत्येक पीड़ित परिवार को 45-45 लाख रुपये और परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी दी जाएगी। वहीं किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने बताया था कि अफसरों से छह राउंड की बातचीत हुई है। उन्होंने कहा कि मृतक के परिवार वालों को सरकार (UP Govt) की ओर से 45-45 लाख रुपये दिए जाएंगे। लेकिन अब केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के बेटे आशीष की गिरफ्तारी के बिना किसान समझौते को लेकर सवाल खड़े होने शुरु हो गए है। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स इसको लेकर ट्वीट कर रहे हैं।

सवालों के घेरे में राकेश टिकैत

लखीमपुर खीरी में हुई हिंसक झड़प के बाद किसान सरकार से कार्यवाही कर आशीष की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। लेकिन सोमवार को आशीष मिश्र की गिरफ्तारी के बिना हुए किसान समझौते को लेकर ट्विटर पर सवाल उठ रहे हैं।

फिल्ममेकर विनोद कापड़ी ने ट्वीट कर कहा, 'किसान नेता राकेश टिकैत को इस नरसंहार की भयावहता के बारे में जरूर बताया गया होगा, इसके बावजूद हत्यारों की गिरफ्तारी से पहले ही किसान नेताओं ने 24 घंटे में समझौता क्यों और कैसे कर लिया? ये सवाल टिकैत से पूछा जाना चाहिए।'

पत्रकार अभिसार शर्मा ने ट्वीट किया, सबसे बड़ा सवाल आपसे है राकेश टिकैत जी। हक़ीक़त आपको पता है। बगैर किसी ठोस कार्रवाही केआपने प्रशासन के साथ समझौता क्यों किया? इस वीडियो के बाद मोनू मिश्र की गिरफ्तारी के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता? अजय मिश्र को बर्खास्त करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता।

वहीं पत्रकार रणविजय सिंह ने भी ट्वीट किया', 'कोई नेता लखीमपुर नहीं पहुंच पाता, लेकिन राकेश टिकैत आसानी से लखीमपुर पहुंच जाते हैं। सरकार और किसानों के बीच समझौता कराते हैं और प्रदर्शन खत्म हो जाता है। सब कुछ कितना सरल है। बिल्कुल सरकार के हिसाब का।'

पूर्व आईपीएस डॉ. डी.सी. अस्थाना अपने ट्वीट में लिखते हैं, 'लखीमपुर खीरी में जो हुआ, जघन्य अपराध हुआ। लेकिन उसकी आड़ लेकर अब तक आराम फ़रमाते जो नेता किसानों के मसीहा बनते हुए दौड़ पड़े, वो अवसरवादी राजनीति कर रहे हैं। किसान इतने भोले भी नहीं कि उनके गिरफ़्तारी दे देने मात्र से उन्हें वोट दे देंगे। समझौता मास्टरस्ट्रोक था। हवा निकाल दी।'

उत्तम यादव नाम का यूजर लिखता है, 'पहली बार राकेश टिकैत पर दुख हो रहा है उन्होंने 45 लाख में कैसे समझौता करवाया। फांसी होनी चाहिए हत्यारे को, उम्रकैद उसके बाप को। गरीब किसान कीड़ा मकौड़ा है क्या जो आया मार कर चला जाए और 45 लाख दे दे तो सब सही जान की कीमत लगती है। जब दोषी गिरफ्तार नहीं हुआ तो कैसे अंतिम संस्कार हुए।'

केंद्रीय उत्तर प्रदेश कांग्रेस सेवादल ने एक वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा- 'सुर लय ताल छीन लो प्राणों से भैरव गायेंगे, हम अब भी नही बोले तो दुनिया को क्या मुख दिखलाएंगे। राकेश टिकैत जी आपने ये वीडियो देखा क्या समझौता करने से पहले।'



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