धामी सरकार में लव जेहाद और लैंड जेहाद बन रहे देवभूमि उत्तराखण्ड की नई पहचान, विरोध में राज्यव्यापी सद्भावना सम्मेलन आयोजित
धामी सरकार में लव जेहाद और लैंड जेहाद बन रहे देवभूमि उत्तराखण्ड की नई पहचान, इसके विरोध में राज्यव्यापी सद्भावना सम्मेलन आयोजित
हल्द्वानी, नैनीताल। नफ़रत के खिलाफ कौमी एकता कायम करने के लिए 2 जुलाई को हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में राज्यव्यापी सद्भावना सम्मेलन का आयोजन हुआ, जिसमें उत्तराखंड के विभिन्न जन संगठनों, राजनीतिक दलों और जन मुद्दों से जुड़े लोगों, बुद्धिजीवियों, लेखकों, पत्रकारों ने भागीदारी निभाई।
‘नफरत नहीं रोज़गार दो’, ‘संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ’ और अन्य नारों के साथ प्रदेशव्यापी जन आंदोलन तेज करने के आह्वान के साथ सम्मेलन का समापन हुआ। इस दौरान निरन्तरता में संयुक्त आंदोलन तेज करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की घोषणा हुई।
प्रतिभागियों ने राज्य में लगातार आपराधिक तरीकों द्वारा धर्म के आधार पर निर्दोष लोगों को निशाना बनाने के खिलाफ और अल्पसंख्यक एवं दलित समुदाय पर बढ़ते अत्याचार की निंदा की। नफ़रत की जगह सद्भावना को स्थापित करने और 2024 के चुनाव में भाजपा को सबक सिखाने के लिए सक्रिय पहल पर जोर दिया गया।
प्रायोजित नफ़रत, खुली गुंडागर्दी की आड़ में लूट बेलगाम
सम्मेलन में वक्ताओं ने कहा कि सरकार द्वारा प्रायोजित तरीके से लगातार धार्मिक भेदभाव, सांप्रदायिक और विद्वेषपूर्ण माहौल खड़ा करके जनता के दिलोंदिमाग में नफ़रत गहरे तक पैठाया जा रहा है और इसकी आड़ में वह राज्य के सारे संसाधन बड़े पूंजीपतियों को बेच रही है।
भाजपा सरकार अमन की जगह दमन और बुलडोजर राज कायम कर रही है। आम जनता से जुड़े महँगाई, बेरोजगारी, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि वास्तविक मुद्दों से लगातार भटका रही है। क़ानून का राज खत्म हो चुका है और पुलिस भाजपा.आरएसएस की वाहिनी की तरह काम कर रही है।
राज्य में भू.माफियाओं के कब्जे बढ़ रहे हैं और ‘लैंड जिहाद’ के नाम पर अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। असल में गरीबों को उनके आवास और रोजगार से बेदखल किया जा रहा है। खुली लूट और गुंडागर्दी बेलगाम हैं।
आम जनता असुरक्षित, सामूहिक संघर्ष ही रास्ता
वक्ताओं ने कहा कि सत्ताधारी दल और उसके अनुसांगिक संगठनों द्वारा उत्तराखंड को लगातार धार्मिक कट्टरता और साम्प्रदायिकता की प्रयोगशाला बनाने का प्रयास जारी है। जिस उत्तराखंड की पहचान वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली, श्रीदेव सुमन, जयानंद भारती, सरला बहिन, नागेन्द्र सकलानी जैसे सैकड़ों विभूतियों से होती है। जिस प्रदेश में भय, भूख, भेदभाव व भ्रष्टाचार से लड़ने की महान परम्परा रही है। उत्तराखंड प्रजामण्डल, तिलाड़ी प्रतिरोध, कुली बेगार और डोला पालकी जैसे आंदोलनों की भूमि रही है, अब लव जेहाद और लैंड जेहाद जैसी शब्दावली को उसकी पहचान बनाने की कोशिश हो रही है।
पुरोला से शुरू होकर हल्द्वानी तक सभी घटनाओं की स्वतंत्र जाँच से खुलासा हो गया है कि तथाकथित संगठन प्रदेश का माहौल बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। सरकार सिर्फ नफरती और सांप्रदायिक प्रचार कर रही है। तमाम तरीकों से अपराधों को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है, जबकि ऐसी तमाम बातों का न कोई सबूत है और न ही कोई डाटा, और बहुत ऐसी घटनाएं झूठी भी साबित हो गयी हैं।
पुरोला से लेकर हल्द्वानी तक मुस्लिम समुदाय पर हमले हों या जोशीमठ की त्रासदी से लेकर अंकिता हत्याकांड हो अथवा अवैध कब्जे के बहाने उजाड़ी जा रही आबादी, सभी तबके असुरक्षित हैं।
वक्ताओं ने कहा कि राज्य के इतिहास और संस्कृति में यह नफरत कभी नहीं रही जिसको आजकल झूठ के आधार पर फैलाया जा रहा है। माँग उठी कि सरकार राज्य में कानून का राज फिर स्थापित कर जनहित की नीतियां, जैसे रोज़गार की योजनाएं, वन अधिकार कानून इत्यादि पर काम करे। इसके लिए सभी मेहनतकश जन की एकता और अमन पसंद ताक़तों की एकजुटता जरूरी है।
निरन्तरता में विभिन्न कार्यक्रमों की घोषणा
सम्मेलन में तय हुआ कि इसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए श्रीदेव सुमन के शहादत दिवस 25 जुलाई को उनके गांव जौल में तमाम संगठनों के प्रतिनिधि आम नागरिकों के साथ प्रजातंत्र दिवस को मनाएंगे। उस दिन ऐसे ही कार्यक्रम प्रदेश भर में भी आयोजित किये जायेंगे।
भारत छोडो आंदोलन की बरसी 9 अगस्त को देहरादून में इन्ही मुद्दों पर कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा और प्रदेशभर में आवाज़ उठायी जाएगी। इस बीच नफरत नहींए रोज़गार दो के मुद्दे पर प्रदेश भर में हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जायेगा।
सम्मेलन में उत्तराखंड की अमनपसंद ताक़तें शामिल
सम्मेलन को उत्तराखंड लोक वाहिनी के अध्यक्ष राजीव लोचन साह, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी, महासचिव प्रभात ध्यानी, समाजवादी लोक मंच के मुनीष कुमार, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के पीपी आर्य, भाकपा माले के इंद्रेश मैखुरी, सीपीआई के समर भंडारी, सीपीएम के राजेंद्र नेगी, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, उत्तराखंड सर्वोदय मंडल के इस्लाम हुसैन, इंकलाबी मज़दूर केन्द्र के रोहित रूहेला, मज़दूर सहयोग केंद्र के मुकुल, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की रजनी जोशी, महिला एकता मंच रामनगर से कौशल्या, पीपुल्स साइंस मूवमेंट के विजय भट्ट, पछास के महेश, एसएफआई के हिमांशु चौहान, रचनात्मक महिला मंच के अजय जोशी, वरिष्ठ आंदोलनकारी बच्ची सिंह बिष्ट, स्वतंत्र पत्रकार त्रिलोचन भट्ट, वन गुज्जर ट्राइबल युवा संगठन के मोहम्मद इशाक, भीम आर्मी के नफ़ीस अहमद, पीपुल्स फोरम नैनीताल के कैलाश जोशी, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, विधायक सुमित हृदयेश आदि ने सम्बोधित किया।
कार्यक्रम का संचालन सद्भावना समिति उत्तराखंड के भुवन पाठक और वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के तरुण जोशी ने और अध्यक्षता उत्तराखंड महिला मंच की उमा भट्ट ने की। सम्मेलन की शुरुआत और समापन क्रांतिकारी गीतों से हुई।