पड़ोसी बुजुर्ग ने कुत्ते को 'कुत्ता' कह दिया तो युवक ने उतार दिया मौत के घाट, तमिलनाडु के डिंडीगुल की है घटना
एक तरफ इंसान अपने मां-बाप और तमाम नजदीकी रिश्तों की कोई कद्र किये बिना उन्हें तिल-तिलकर मरने को छोड़ दे रहा है, बूढ़े मां-बाप वृद्धाश्रम में जिंदगी गुजारने और भीख मांगकर खाने को मजबूर हैं। वहीं एकाएक हमारे समाज में कुत्तों ने इंसान के साथ जो नजदीकी बनायी है उससे इंसान का जानवर से प्यार नहीं बल्कि मानसिक दिवालियापन नजर आता है। जो इंसान भूखे मजबूर इंसान को 2 रोटी नहीं दे पाता, वह स्ट्रीट डॉग्स को रोजाना बिस्कुट समेत तमाम पैट फूड खिलाता नजर आता है, सुबह-शाम कुत्ता घूमाते नजर आता है। कुत्ता जैसे उसकी जिंदगी में इंसान का विकल्प बन चुका है।
इसी सबके बीच कुत्ते को लेकर घटी तमिलनाडु में एक घटना विचलित करने वाली है। यहां डेनियल नाम के एक शख्स ने अपने पड़ोसी को इसलिए मौत के घाट उतार दिया, क्योंकि पड़ोसी ने उसके कुत्ते का नाम न लेकर उसे कुत्ता कह दिया था। पहले भी वह शख्स अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों को चेतावनी दे चुका था कि उसके कुत्ते को कोई कुत्ता न कहे, बल्कि इंसान की तरह ससम्मान उसका नाम ले।
जानकारी के मुताबिक पुलिस तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले के उलागमपट्टियारकोट्टम के थाडिकोम्बु पुलिस थानांतर्गत यह सनसनीखेज वारदात सामने आयी। पुलिस के मुताबिक निर्मला फातिमा रानी और उसके बेटे डेनियल और विन्सेंट ने एक कुत्ता पाल रखा है। जब भी इस परिवार का कोई रिश्तेदार या पड़ोसी उनके कुत्ते को कुत्ता कहते तो वे भड़क जाते। उन्होंने कई बार पड़ोसियों को चेतावनी दी कि उनके डॉग को कुत्ता न कहें, वे उसका नाम बताते और डॉग को उसी नाम से बुलाने को कहते।
19 जनवरी को डेनियल के पड़ोसी जोकि उसका रिश्तेदार भी था, उन्होंने डेनियल के कुत्ते को कह दिया। जानकारी के अनुसार डेनियल के 62 साल के बुजुर्ग रिश्तेदार रायप्पन अपने पोते के साथ अपने खेतों में काम कर रहे थे। रायप्पन ने अपने पोते केल्विन को उनके पास के खेत में चल रहे पानी के पंप को बंद करके आने को कहा और साथ ही पोते को यह भी हिदायत दी कि वह अपने साथ एक छड़ी ले जाए क्योंकि वहां डेनियल का पालतू कुत्ता आ सकता है।
दादा-पोते के बीच की यह वार्तालाप डेनियल ने सुन लिया और वह बुरी तरह भड़क गया। पहले तो वह बुजुर्ग रायप्पन पर बुरी तरह चिल्लाया कि उसकी हिम्मत कैसे हुई उसके डॉगी को कुत्ता कहने की। गुस्से में आकर डेनियल ने रायप्पन को बुरी तरह पीटना शुरू कर दिया और उसकी छाती में मुक्का मारा। मुक्का मारते हुए वह लगातार चिल्ला रहा था, पहले भी कितनी बार हिदायत दे चुके हैं कि उसे कुत्ता मत कहा करो। छाती पर बुरी तरह मुक्का पड़ते ही रायप्पन जमीन पर गिर पड़े, उन्हें अस्पताल ले जाया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
बुजुर्ग को बुरी तरह पीटने और मौत की आशंका के बाद डेनियल और उसका परिवार फरार हो गया। पुलिस ने उनकी तलाश शुरू की तो कल शुक्रवार 20 जनवरी को फातिमा और उसके बेटों को गिरफ्तार कर लिया।
इस घटना ने सोशल मीडिया पर एक नयी बहस छेड़ दी है कि जहां लोग घर में अपने मां-बाप और बुजुर्गों की इज्जत तक नहीं करते, उनका कुत्तों के साथ आखिर इस तरह का अटेचमैंट क्यों हो रहा है। इस घटना पर पत्रकार सुशांत झा कहते हैं, मैंने बहुत पहले कहीं पढ़ा था कि ऑस्ट्रेलिया में एक दंपत्ति में तलाक हुआ तो एक ने अपने पास बच्चा रखा और दूसरे ने कुत्ता। मुझे विश्वास नहीं हुआ था। कुत्ता, मानो धार्मिक प्रतीक के समान हो गया है और उसकी आलोचना ब्लासफेमी की कोटि में आती जा रही है। गांव का कुत्ता सार्वजनिक होता था, हर घर जाकर खाता था और थोड़ा-थोड़ा समय ड्यूटी बजाता था, लेकिन आधुनिक कुत्ते अलग हैं, वे फैमिली मेम्बर हैं क्योंकि फैमिली में वास्तविक मेम्बर भी कम हैं और सभी कई गुणा व्यस्त हैं। मेरी सोसाइटी में किराना, सैलून, दवाई, रेस्टोरेंट के बाद जो सबसे आवश्यक दुकान खुली है वह एक कुत्ते-बिल्ली के डॉक्टर की है, जो डॉग फूड भी बेचता है। मुझे लगता है कि भारत के लोग बहुत तेजी से तरक्की करना चाहते हैं और इसलिए उनके पास अपने दोस्तों, सगे-संबंधियों के लिए समय कम है। और वे उसकी भरपाई कुत्तों से कर रहे हैं। वो अकेलापन का साथी भी है, डिमांडिंग भी नहीं है और निजता में घुसता नहीं है। शायद एक पीढ़ी बाद जब समाज थोड़ा आत्मविश्वास स भर जाए, तो लोग कुत्तों के प्रति दीवानगी कम कर दें और वास्तव में एक दूसरे से मिलें-जुलें।'