Begin typing your search above and press return to search.
समाज

Padma Awards : मैला ढोने वालीं ऊषा चोमर को मिला पद्मश्री तो संतरा बेचने वाले हरेकला को भी पद्म अवार्ड

Janjwar Desk
8 Nov 2021 9:47 PM IST
Padma Awards : मैला ढोने वालीं  ऊषा चोमर को मिला पद्मश्री तो संतरा बेचने वाले हरेकला को भी पद्म अवार्ड
x

(मैला ढोने का काम कर चुकीं उषा चौमार और संतरा बेचने वाले हरेकला को पद्म अवार्ड प्रदान किए गए हैं)

Padma Awards : खास बात यह है कि पद्म पुरस्कार पाने वाले इन विभूतियों में एलीट वर्ग और खिलाड़ियों से लेकर समाज के सबसे निचले तबके के विशिष्ट लोग शामिल हैं।

Padma Awards : अपने कर्मक्षेत्र में कामयाबी एवं विशिष्टता हासिल करने वाले और लोगों के लिए प्रेरणा बनने वाले 141 लोगों को सोमवार, 8 नवंबर 2021 को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने देश के इन विभूतियों को अपने हाथों से पद्म पुरस्कारों (Padma awards) से सम्मानित किया।

खास बात यह है कि पद्म पुरस्कार पाने वाले इन विभूतियों में एलीट वर्ग और खिलाड़ियों से लेकर समाज के सबसे निचले तबके के विशिष्ट लोग शामिल हैं। सम्मानित होने वाली इन विभूतियों में मैला ढोने का काम कर चुकीं ऊषा चौमार (Usha Chaumar) शामिल हैं तो छोटी सी दुकान में संतरा बेचने वाले हरकेला (Harkela Hajabba ) भी शामिल हैं, जिन्होंने अपनी गरीबी और मजबूरी को पीछे छोड़ते हुए समाज के लिए बड़ा काम किया।

पद्म श्री पाने वाले लोगों में राजस्थान के अलवर (Alwar news) जिले की सामाजिक कार्यकर्ता ऊषा चौमार भी शामिल हैं। ऊषा को 7 साल की उम्र से मैला ढोना पड़ा और 10 साल की उम्र में शादी हो गई। ससुराल में भी यही काम करना पड़ा।

उन्हें मंदिर में घुसने की इजाजत नहीं थी। आज 53 साल की ऊषा चौमार ऐसी सैकड़ों महिलाओं की आवाज हैं। ऊषा ने सुलभ इंटरनेशनल के सहयोग से राजस्थान में स्वच्छता की अलख जगाई।

वहीं, कर्नाटक (Karnataka news) में रहने वाले हरेकला हजब्बा को भी सामाजिक कार्य के लिए आज पद्मश्री प्रदान किया गया। कर्नाटक के मैंगलोर (Manglore) के इस नारंगी विक्रेता ने अपने गांव में एक स्कूल बनाने के लिए अपने व्यवसाय से पैसे बचाए।

मैंगलोर शहर से लगभग 40 किमी दूर हरेकला गांव में संतरा बेचते हैं। वह अपने व्यापार से पैसे बचाकर गांव के बच्चों के लिए स्कूल बनवाया। गांव में स्कूल नहीं होने के कारण हरकेला की पढ़ाई नहीं हो सकी थी।

इसलिए उन्होंनेअपने गांव में स्कूल बनवाया। उन्होंने अपने इस प्रयास को साल 1995 में शुरू किया था। 2000 में हरेकला हजब्बा ने अपनी सारी बचत का निवेश किया और एक एकड़ जमीन पर एक स्कूल शुरू किया।

वहीं, साल 2020 के लिए जिन 7 लोगों को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया, उनमें सार्वजनिक मामलों के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री जार्ज फर्नांडीज (मरणोपरांत), पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (दोनों को मरणोपरांत), माॅरीशस के पूर्व राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री अनिरुद्ध जगन्नाथ (मरणोपरांत), कला के लिए उत्तर प्रदेश के पंडित छन्नूलाल मिश्र, खेल के लिए मणिपुर की मैरी काॅम और अध्यात्म के लिए कर्नाटक के उडुपी स्थित पेजावर मठ के विश्वेशतीर्थ स्वामी (मरणोपरांत) शामिल हैं।

बता दें कि देश में विभिन्न क्षेत्रों में विशेष योगदान देने वालों को 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया जाता है। असाधारण और प्रतिष्ठित सेवा के लिए 'पद्म भूषण' और किसी भी क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए 'पद्म श्री' से सम्मानित किया जाता है।

उधर स्पोर्ट्स के क्षेत्र में बैडमिंटन प्लेयर पीवी सिंधू को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। वहीं, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हाॅकी खिलाड़ी रानी रामपाल को खेल के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म श्री पुरस्कार 2020 से सम्मानित किया।

बता दें कि हर साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर पद्म पुरस्कारों की घोषणा की जाती है। मार्च-अप्रैल में ये पुरस्कार राष्ट्रपति प्रदान करते है। हालांकि, कोरोना के चलते इस बार ये पुरस्कार नहीं दिए जा सके थे।

Next Story