Padma Awards : हिंदू हों या मुस्लिम, हजारों लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके अयोध्या के शरीफ चाचा को पद्मश्री
(मोहम्मद शरीफ अबतक हजारों लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं ) File pic.
Padmashri Awards : हमारे देश में जाति-धर्म के बंधन चाहे कितने मजबूत क्यों न कहे जाते हों, समाज से कई ऐसे लोग सामने आते हैं जो कट्टरपंथियों को आइना दिखा जाते हैं। उनके कामों को देश और समाज (Society) में स्वीकृति भी मिलती है जो इस बात का प्रतीक हैं कि आपसी भाईचारा, सर्वधर्म समभाव और सहिष्णुता की जड़ें यहां कितनी गहरी हैं।
इस साल 'पद्मश्री' पाने वालों में एक नाम मोहम्मद शरीफ (Mohammad Sharif) भी हैं। दिल्ली में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा। हजारों लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर चुके समाजसेवी मोहम्मद शरीफ को निस्वार्थ सेवा के लिए राष्ट्रपति भवन में पद्मश्री (Padmashri Awards) से सम्मानित किया गया। इसको लेकर पूरे परिवार और स्थानीय लोगों में खुशी का माहौल है। मोहम्मद शरीफ जल्द इस सम्मान के साथ अयोध्या पहुंचेंगे।
बता दें कि बुजुर्ग समाजसेवी मोहम्मद शरीफ को लावारिस लाशों के मसीहा के तौर पर जाना जाता है। कहा जाता है कि उन्होंने पिछले 25 वर्षों में 25,000 से अधिक लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया है। 30 वर्ष पूर्व युवा पुत्र की मार्ग दुर्घटना से मौत और लावारिस के तौर पर उसके अंतिम संस्कार ने शरीफ पर ऐसा असर डाला कि वो किसी भी लावारिस शव के वारिस बन कर सामने आए।
मोहम्मद शरीफ को यह सम्मान समाजसेवा के क्षेत्र में कार्य करने के लिए मिला है। मोहम्मद शरीफ पिछले 27 साल से लावारिस लाशों का मुफ्त में अंतिम संस्कार कर रहे हैं। उपलब्ध जानकारी के मुताबिक़, अयोध्या में रहने वाले मोहम्मद शरीफ लोगों को मुफ्त में अंतिम संस्कार करते हैं।
वह अब तक हजारों लोगों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं। पहले भी उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित भी किया जा चुका है।
मोहम्मद शरीफ पेशे से साइकिल मिस्त्री हैं। मोहम्मद शरीफ पिछले 27 साल से हर धर्म के लोगों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। वह किसी की भी लाश को फेंकने नहीं देते। इस काम में वे न तो जाति का बंधन देखते हैं न धर्म का।
हिंदुओं का सरयू घाट पर और मुसलमानों को कब्रिस्तान में वह अंतिम संस्कार करते हैं। लिहाजा, वह अबतक हजारों हिंदू और मुसलमानों को अंतिम संस्कार कर चुके हैं।
बता दें कि शरीफ़ का एक बेटा मेडिकल सर्विस से जुड़ा था। सुल्तानपुर में उसकी हत्या करके शव को कहीं फेंक दिया गया। बहुत खोजने पर भी लाश नहीं मिली। इसके बाद से ही शरीफ ने लावारिश लाशों को ढूंढने और उसके अंतिम संस्कार का प्रण ले लिया।
इलाके में लोग उन्हें शरीफ चाचा के नाम से जानते हैं। उनका कहना है कि जब तक उनमें जान है, वह लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार करते रहेंगे।
बता दें कि सामाजिक और कर्मक्षेत्र में कामयाबी एवं विशिष्टता हासिल करने वाले और लोगों के लिए प्रेरणा बने 141 लोगों को देश के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ramnath Kovind) ने देश के इन विभूतियों को अपने हाथों से पद्म पुरस्कारों (Padma awards) से सम्मानित किया।
खास बात यह है कि पद्म पुरस्कार पाने वाले इन विभूतियों में एलीट वर्ग और खिलाड़ियों से लेकर समाज के सबसे निचले तबके के विशिष्ट लोग शामिल हैं।
सम्मानित होने वाली इन विभूतियों में मैला ढोने का काम कर चुकीं ऊषा चोमर (Usha Chaumar) शामिल हैं तो छोटी सी दुकान में संतरा बेचने वाले हरकेला (Harkela Hajabba ) भी शामिल हैं, जिन्होंने अपनी गरीबी और मजबूरी को पीछे छोड़ते हुए समाज के लिए बड़ा काम किया।
वहीं बिना चप्पल पहने पुरस्कार लेने पहुंची पर्यावरण के क्षेत्र में महती कार्य करने वाली तुलसी गौड़ा ने भी अपनी उपलब्धियों से लोगों को चकित कर दिया।