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समाज

कोरोना से मृत दरोगा की लाश को श्मशान घाट पर देख पंडित और डोम राजा दोनों भागे

Janjwar Desk
10 Jun 2020 9:04 AM GMT
कोरोना से मृत दरोगा की लाश को श्मशान घाट पर देख पंडित और डोम राजा दोनों भागे
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बिहार में दारोगा की कोरोना से हुई मौत के बाद श्मशान घाट में अग्नि देने वाले डोम राजा भाग खड़े हुए तो मंत्र पढ़ने के लिए पंडितजी भी नहीं मिले।

जनज्वार ब्यूरो, पटना। कोरोना का भय अब समाज में व्याप्त हो गया है। यह भय अब सामाजिक रिश्तों और दायित्वों पर भी भारी पड़ने लगा है। सोमवार 8 जून को बिहार के सारण जिला के मशरक में कोरोना से उपजे भय को लेकर हुए विवाद में एक युवक को गोली मार दी गई तो मंगलवार को औरंगाबाद में कोरोना वॉरियर दारोगा की मौत के बाद श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के दौरान इसी भय के कारण अग्नि उपलब्ध कराने वाले डोम राजा भाग खड़े हुए तो मंत्र पढ़ने के लिए कोई पंडितजी नहीं मिले।

वैसे कोरोना वॉरियर इस दारोगा की मृत्यु पर भी घरवाले सवाल उठा रहे हैं कि बीपी, शुगर आदि गंभीर बीमारियों से उनके पीड़ित होने और ज्यादा उम्र होने के बावजूद उनकी ड्यूटी क्वारंटीन सेंटर पर क्यों लगाई गई जबकि पुलिस मुख्यालय का स्पष्ट आदेश था कि ऐसे पुलिसकर्मियों की ड्यूटी नहीं लगानी है।

मृत दारोगा वीरेंद्र तिवारी खुदवा थाने में तैनात थे। विगत 5 मई को उनकी ड्यूटी हसपुरा क्वारंटीन सेंटर पर लगाई गई थी। इसी बीच गत 27 मई को मालखाना का प्रभार सौंपने वे हसपुरा से पुलिस लाइन आए थे। चार-पांच दिन पहले यहीं इनकी तबियत खराब हुई। तबीयत खराब होने की बात उन्होंने घरवालों को फोन कर भी बताई। उन्हें सर्दी-खांसी और बुखार की शिकायत थी। इसी बीच उनकी मौत हो गई। मौत की खबर पाकर बक्सर के इटाढ़ी प्रखंड के बैरी गांव से उनकी पत्नी शकुंतला देवी,पुत्र अजय तिवारी और धनंजय तिवारी औरंगाबाद पहुंचे।

सपी अभियान राजेश सिंह, सार्जेंट मेजर अभय सिंह आदि ने सारी औपचारिकताएं पूरी कर अस्पताल से उनकी डेड बॉडी को ग्रहण किया। फिर पीपीई किट पहने पुलिसकर्मियों ने पुलिस वाहन से शव को श्मशान घाट लाया। अदरी नदी के घाट पर अंतिम संस्कार की तैयारी हुई। परिजनों की इच्छा थी कि परंपरानुसार अंतिम संस्कार में डोम राजा अग्नि दे और ठाकुर-पंडितजी भी मौजूद रहें। यहां परिजनों को पुलिसकर्मियों ने स्थिति की गंभीरता को लेकर समझाया।

हालांकि अग्नि के लिए डोम राजा की तलाश भी हुई, लेकिन वे लोगों को पीपीई किट पहने देखकर वहां से गायब हो गए। बहुत तलाश होने के बाद भी उनके और पंडित-ठाकुर के नहीं मिलने पर पुत्र ने स्वयं ही अग्नि तैयार कर कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार मुखाग्नि दी। इस दौरान पुलिस महकमे के पदाधिकारी और जवान भी मौजूद थे और नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी गई।

धर इस बात की भी ट्रेसिंग की जा रही है कि वे कोरोना संक्रमित कैसे हो गए। चूंकि हसपुरा के जिस क्वारंटीन सेंटर पर उनकी ड्यूटी लगी थी, वहां अधिकृत रूप से कोई पॉजिटिव मरीज नहीं था। पुलिस लाइन में भी कोई ज्ञात पॉजिटिव नहीं था। अब पुलिस लाइन के 50 से ज्यादा पुलिसकर्मियों और हसपुरा के 25 से ज्यादा लोगों को क्वेरेन्टीन कर दिया गया है।किसी पुलिसकर्मी की कोरोना से मौत का यह बिहार का पहला मामला है।

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