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टॉर्च की रोशनी में कराना पड़ा गर्भवती का प्रसव, एंबुलेंस का डीजल रास्ते में ही हो गया था खत्म : शिव 'राज' का हाल

Janjwar Desk
30 Oct 2022 6:51 AM GMT
टॉर्च की रोशनी में कराना पड़ा गर्भवती का प्रसव, एंबुलेंस का डीजल रास्ते में ही हो गया था खत्म : शिव राज का हाल
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कुछ पहले छतरपुर में एक बच्ची की मौत के बाद शव को ले जाने तक के लिए एंबुलेंस नहीं मिली थी, जिसके बाद बच्ची का मामा बच्ची को गोद में लेकर रास्ते में मदद के लिए भटकता रहा...

भोपाल। व्यापम स्वास्थ्य घोटाले के लिए चर्चित मध्य प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज के राज में स्वास्थ्य सुविधाओं का इतना बुरा हाल है कि गर्भवती महिलाओं का प्रसव तक टॉर्च की रोशनी में करना पड़ रहा है। प्रदेश की सरकार हर साल स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त रखने के लिए लाखों रुपये के बजट की घोषणा करती है, लेकिन धरातल पर मौजूद स्वास्थ्य सेवाएं की पोल खोलती खबरें राज्य में आम हैं। ताजा मामला पन्ना जिले का है जहां एक गर्भवती महिला का एंबुलेंस का डीजल खत्म होने की वजह से टॉर्च की रोशनी में प्रसव कराने पर मजबूर होना पड़ा।

जानकारी के अनुसार शुक्रवार 28 अक्टूबर को पन्ना जिले के शाहनगर क्षेत्र के बनौली गांव निवासी रेशमा नामक गर्भवती महिला को प्रसव वेदना होने पर उसके परिजनों ने महिला को अस्पताल पहुंचाने के लिए सचल स्वास्थ्य सेवा 108 को फोन करके एंबुलेंस को बुलाया था, लेकिन लापरवाही की हद यह थी कि एंबुलेंस गर्भवती महिला को लेकर जब शाहनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए लेकर रवाना हुई तो रास्ते में ही एंबुलेंस का डीजल खत्म हो गया।

डीजल खत्म होते ही एंबुलेंस एक सुनसान सड़क पर बंद हो गई। इधर इस सुनसान सड़क पर रास्ते में मदद के लिए भी कोई नहीं था। दूसरी तरफ एंबुलेंस का डीजल खत्म होने के बाद महिला की प्रसव पीड़ा बढ़ने लगी। ऐसी मजबूरी के हालात में परिवार को गर्भवती महिला की बीच रास्ते में ही टॉर्च की रोशनी में डिलीवरी करानी पड़ी।

बता दें कि प्रदेश में बदहाल स्वास्थ्य सेवा का न तो यह पहला मामला था और न ही आखिरी। राज्य में रोज ही इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। कुछ वक्त पहले छतरपुर में एक बच्ची की मौत के बाद शव को ले जाने तक के लिए एंबुलेंस नहीं मिली थी, जिसके बाद बच्ची का मामा बच्ची को गोद में लेकर रास्ते में मदद के लिए भटकता रहा। बाद में मामा बस से किसी तरह शव को गांव लेकर पहुंचा था। सिंगरौली में तो एक पिता को नवजात बच्चे का शव बाइक की डिक्की में रखकर गांव ले के लिए मजबूर होना पड़ा था। इस घटना में भी बच्चे का शव घर ले जाने के लिए परिजनों को शव वाहन नहीं मिला था।

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