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Savitribai Phule's Birth Anniversary : महिला एकता मंच ने मनाया भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रिबाई फुले का जन्मदिन, महिलाओं को किया सम्मानित

Janjwar Desk
3 Jan 2022 1:35 PM GMT
Savitribai Phules Birth Anniversary : महिला एकता मंच ने मनाया भारत की पहली महिला शिक्षिका सावित्रिबाई फुले का जन्मदिन, महिलाओं को किया सम्मानित
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Savitribai Phule's Birth Anniversary : महिला एकता मंच की संयोजक ललिता रावत ने कहा कि देश की पहली महिला शिक्षिका का नाम देश के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है, उन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने तथा उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपना समूचा जीवन समर्पित कर दिया...

Savitribai Phule's Birth Anniversary: सावित्रीबाई फुले (Savitribai Phule) के 191 वें जन्मदिन पर महिला एकता मंच (Mahila Ekta Manch) द्वारा आम सभा व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन ग्राम वीरपुर लच्छी (Uttarakhand) में किया गया। इस दौरान 1 मई,2013 में खनन माफिया के हमले में घायल महिलाओं व ग्रामीणों को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया व 25 मार्च, 2015 को खनन ट्रैक्टर के कारण मृतक 17 वर्षीय कु.आशा को श्रद्धांजलि दी गयी।

कौशल्या व लक्ष्मी के संयुक्त संचालन में हुई सभा को संबोधित करते हुए सुप्रीम कोर्ट दिल्ली के अधिवक्ता रवीन्द्र गड़िया ने कहा कि आज महिलाएं सभी क्षेत्रों में पुरुषों के बराबर काम कर रही है। हमें अपनी बेटियों की परवरिश उनका विवाह करने के लिए नहीं बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए करना चाहिए। हमें उन्हें खेलने के लिए गुड़िया दे परन्तु उन्हें चांद तारे दिखाएं व उनके बारे में बताएं, उन्हें खेलने के लिए दूरबीन व इंजन दे।

महिला एकता मंच की संयोजक ललिता रावत ने कहा कि देश की पहली महिला शिक्षिका का नाम देश के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। उन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने तथा उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए अपना समूचा जीवन समर्पित कर दिया।

उन्होंने बताया कि 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के एक किसान परिवार में जन्मी सावित्रीबाई फुले का विवाह मात्र 9 वर्ष की उम्र में ज्योतिबा फुले के साथ हो गया था। ज्योतिबा फुले ने उन्हें शिक्षित-प्रतिक्षित किया तथा महिलाओं को शिक्षा देने के लिए प्रेरित किया।

सावित्रीबाई फुले ने लड़कियों को शिक्षित करने के लिए जनवरी, 1848 को पुणे में पहला कन्या स्कूल खोला। धर्मग्रंथों में महिलाओं को शिक्षा की इजाजत नहीं होने के कारण, समाज का एक हिस्सा उनके खिलाफ हो गया। जब वह पढ़ाने के लिए स्कूल जाती थीं तो लोग उनके ऊपर कीचड़ फेंकते थे, उनको ताने मारते थे ताकि वे लड़कियों को शिक्षित-प्रशिक्षित करना बंद कर दें। अपने उद्देश्य के लिए दृढ़ संकल्प सावित्रीबाई ने इस सबसे हार नहीं मानी। उनसे निबटने के लिए सावित्रीबाई एक साड़ी अपने थैले में रखकर ले जातीं तथा स्कूल पहुंचकर गन्दी साड़ी बदलकर लड़कियों को शिक्षा देती थीं।

उन्होंने कहा कि आज भी देश में महिलाओं को शिक्षा एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं है इसके लिए हमें सावित्रीबाई फूले से प्रेरणा लेकर अपने संघर्षों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। सभा में महिलाओं द्वारा प्रस्तुत गीत 'औरतें उठी नहीं तो जुल्म बढ़ता जाएगा' व एवं छात्राओं के गीत पढ़ना लिखना सीखो ओ मेहनत करने वालों से सभा में जोश भर दिया।

सभा को किसान नेता धर्मपाल सिंह,प्रभात ध्यानी, मुनीष कुमार, ललित उपरेती, तनुजा,शाहिस्ता इंद्रजीत सिंह आदि ने भी संबोधित किया। सरस्वती जोशी ने सभी क्षेत्रवासियों का कार्यक्रम में सहयोग कार्यक्रम में भागीदारी के लिए आभार व्यक्त किया।

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