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20 करोड़ के ठग पुलिस की गिरफ्त में, मजदूरों का इस्तेमाल कर रिटायर्ड अधिकारियों का ऐसे उड़ाते थे पैसा
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जनज्वार। लखनऊ में 20 करोड़ की साइबर ठगी कर चुके चार अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। वो आनलाइन ठगी को कैसे अंजाम देते थे, इसका खुलासा होने के बाद पुलिस भी आश्चर्यचकित है। जानकारी के मुताबिक इन शातिर ठगों ने मजदूरों के नाम पर खाते खोलकर यह खेल रचा हुआ था।
इसका खुलासा तब हुआ जब एसबीआई के खाताधारक के खाते से नेट बैंकिंग के जरिये 53 लाख रुपये ठगने का एक मुख्य आरोपी विजय मंडल उर्फ प्रमोद और उसके चार साथियों को पुलिस ने अपनी गिरफ्त में लिया था। साइबर ठगी का मास्टरमाइंड विजय मंडल पिछले एक साल से फरार चल रहा था, जिसे साइबर सेल ने दिल्ली से गिरफ्तर किया है।
साइबर सेल के मुताबिक विजय मंडल ने इस शातिर खेल में अपने भाई को भी हिस्सेदार बनाया था। साइबर ठगी के मामले में झारखंड की दुमका पुलिस की सक्रियता के बाद से इस मामले में पहले भी 11 लोग पकड़े जा चुके हैं। साइबर सेल के मुताबिक विजय मंडल वाला यह गिरोह देशभर के कई राज्यों में अब तक 20 करोड़ रुपये से ज्यादा की ठगी कर चुका है।
इस मामले में विजय मंडल की गिरफ्तारी के बाद पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर ने मीडिया को दिये बयान में कहा, इस गिरोह के पास एक लाख 20 हजार रुपये और 20 मोबाइल बरामद किये गये हैं। कई राज्यों की पुलिस इस गिरोह को ढूंढ़ रही है। पिछले साल एसबीआई के खाताधारक रिटायर समीक्षा अधिकारी ने हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर करायी थी कि खाते में नेट बैंकिंग शुरू करके 53 लाख रुपये दूसरे खाते में ट्रांसफर किये गये हैं, जिसके बाद इस मामले में साइबर सेल सक्रिय हो गयी थी।
इस मामले में आश्चर्य की बात तो यह थी कि जिन खातों में एसबीआई के खाताधारक रिटायर समीक्षा अधिकारी के खाते से पैसे ट्रांसफर किये गये थे, वो पूरी तरह इस बात से अनभिज्ञ थे कि उनके खाते में पैसे आये भी हैं। यानी उनके खातों का दुरुपयोग साइबर ठग कर रहे थे और जिनके खाते में पैसे गये थे उनमें से ज्यादातर मजदूर थे। जांच के बाद तब छत्तीसगढ़ के रुपक मण्डल समेत 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और गैंग के सरगना प्रमोद मण्डल और उसके कई साथी इसमें नामजद अपराधी थे।
अब गिरफ्त में आये आरोपियों में झारखण्ड के दुमका निवासी विजय मण्डल, उसका भाई मनोज मण्डल, रिश्तेदार राजेश मण्डल, करन मण्डल और जितेन्द्र मण्डल हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि ये सभी जवान हैं और इनकी उम्र 20 से 32 साल के बीच है। कहा जा रहा है कि इस गिरोह के साथ बैंककर्मियों की भी मिलीभगत थी, जिससे ये ठगी को अंजाम देते थे। न सिर्फ साइबर की बड़ी ठगी को अंजाम देते थे, बल्कि मासूम लोगों के खातों का इस्तेमाल कर बड़े शातिर तरीके से सालों से इस खेल को खेल रहे थे।
विजय मण्डल के बारे में मिली जानकारी के मुताबिक वह पिछले छह साल से इसी तरह से ठगी कर रहा है। अब तक वह अपने साथियों के साथ मिलकर लगभग 20 करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम दे चुका था। इस गिरोह का टारगेज ज्यादातर एसबीआई के खाताधारक रिटायर अफसर और कर्मचारी शामिल होते थे।
पुलिस के मुताबिक ठगी की रकम के लिए सरगना विजय मण्डल मजूदरों का इस्तेमाल करता था। मजदूरों से किसी बहाने उनका राशन कार्ड, आधार कार्ड और अन्य पहचान पत्र हासिल कर उनके खाते खुलवा लेता था, जिसके बारे में कई मजदूरों को तो पता भी नहीं चलत पाता था कि फलाना बैंक में उनका खाता भी है। जैसे ही ठगी का पैसा मजदूरों के खाते में ट्रांसफर होता, गैंग के सदस्य उसे निकाल लेते थे। इतना ही नहीं भारी संख्या में मजदूरों की पासबुक और एटीएम भी इन लोगों के पास रहते थे, जिसका इस्तेमाल ये पैसा निकालने के लिए करते थे।
साइबर सेल को ठगों के पास से पहले ही तीन हजार खातों के नम्बर बरामद हुए थे। एसीपी विवेक रंजन ने पिछले साल जब गिरोह के 11 लोगों को पकड़ा था, तब इन लोगों के पास मिली पीडीएफ फाइल में तीन हजार से ज्यादा लोगों के बैंक खातों की डिटेल थी।। तब यह बात सामने आयी थी कि यह शातिर गिरोह कई रिटायर आईएएस व आईपीएस अफसरों को भी लाखों का चूना लगा चुका था। इसमें सबसे बड़ी बात यह थी कि जिन खातों के जरिये इन्होंने ठगी को अंजाम दिया उनमें से ज्यादातर लोग इंटरनेट बैंकिंग प्रयोग नहीं करते थे।