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चीन ने दो दिनों में दो बार घुसपैठ की कोशिश की, भारतीय सेना ने दिया कड़ा जवाब
जनज्वार। चीन की सेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास दो दिनों में दो बार घुसपैठ की कोशिश की। पहली कोशिश उसने सोमवार (31 अगस्त 2020 )को की जब भारत ने 29-30 अगस्त की रात लद्दाख के चूसूल पैंगों त्सो झील वाले इलाको को भारत ने अपने नियंत्रण मंें ले लिया था। चीन ने उकसाने वाली कार्रवाई करते हुए ऊंचाई वाले इलाकों को अपने कब्जे में लेने का सोमवार को प्रयास किया। इसके बाद मंगलवार को चीन ने चुमार में घुसपैठ की कोशिश की।
मंगलवार ( 1 सितंबर 2020) को चीन सेना की लगभग 7 से 8 बख्तरबंद गाड़ियां चेपुजी कैंप से भारतीय क्षेत्र की ओर बढ रही थीं, लेकिन भारतीय जवानों के प्रतिरोध के बाद वे वापस चली गईं। भारतीय सेना चीन की घुसपैठ के प्रतिरोध के लिए हाइ अलर्ट पर हैं। वहीं, इससे पहले सोमवार को चीनी सेना ने ब्लैकटाॅप व हेलमेट टाॅप में घुसने की कोशिश की थी।
मंगलवार को घुसपैठ की ताजा कोशिश उस वक्त हुई जब दोनों देशों के बीच ब्रिगेड कमांडर्स स्तर की चुसुल और मोल्डो में फ्लैग मीटिंग चल रही थी। तनाव कम करने के लिए घंटों चली मीटिंग में हालांकि कोई नतीजा नहीं निकला पर सूत्रों के अनुसार, घुसपैठ की ताजा कोशिशों पर चर्चा हुई। सोमवार को जब चीनी सैनिकों ने ब्लैकटाॅप व हेलमेट टाॅप की चोटियों पर चढने व भारतीय सेना के नजदीक आने की कोशिश की तो भारतीय सेना की चेतावनी व कड़े प्रतिरोध पर पीछे हट गए।
उधर, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पैंगोंग सो के दक्षिणी तटीय इलाके में यथास्थिति बदलने की चीनी कोशिशों के मद्देनजर मंगलवार को पूर्वी लद्दाख की स्थिति की व्यापक समीक्षा की। इसमें यह तय किया गया कि भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ सभी संवेदनशील क्षेत्रों में अपना आक्रामक रुख कायम रखेगी और चीन के किसी भी दुःसाहस का करारा जवाब दिया जाएगा।
भारतीय सेना ने पैंगोंग त्सो के दक्षिणी तटीय क्षेत्र के आसपास अपनी उपस्थिति को मजबूत किया है। भारतीय सेना पैंगोंग त्सो के दक्षिण तट के रणनीतिक ऊंचाई वाली जगहों पर हावी है।
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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने मंगलावा को कहा है कि चीनी पक्ष ने उन बातों की अनदेखी की जिन पर पहले सहमति बनी थी और 29-30 अगस्त की देर रात उकसावे वाली सैन्य कार्रवाई के जरिए दक्षिणी तटीय इलाकों में यथास्थिति बदलने का प्रयास किया। भारतीय पक्ष ने अपनी क्षेत्रीय अखंडता एवं अपने हितों की रक्षा के लिए एलएसी पर चीन की उकसावे वाली कार्रवाई का जवाब दिया और उचित रक्षात्मक कदम उठाए।