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Russia-Ukraine War : रूस की बमबारी के बीच 'मारियुपोल' शहर में ना बिजली का पता, ना पानी का; सड़कों पर जहां-तहां क्षत-विक्षत शव पड़े हैं

Janjwar Desk
11 March 2022 1:17 PM GMT
Russia-Ukraine War
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Russia-Ukraine War 

Russia-Ukraine War : रूस की सैन्य टुकड़ियों ने यूक्रेन के मारियुपोल शहर को घेर लिया है। रूसी सेना की ओर से लगातार हो रही बमबारी के चलते इस शहर का संपर्क बाहरी दुनिया से टूट सा गया है। शहर में अभी भी कई लोग मौजूद हैं जिनके परिजन उनसे संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं।

Russia-Ukraine War : रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) की लड़ाई का आज 16वां दिन हैं। हजारों लोगों की जान जाने और अरबों की क्षति के बाद भी यह दुर्भाग्य ही है कि यह जंग अब भी जारी है। यूक्रेन के झुकने के संकेतों के बाद भी वहां की सड़कों पर रूसी बमबारी जारी है। यूक्रेन की ओर से रूसी टैंको और लड़कू विमानों को गिराने के दावे किए जा रहे है। जमीनी सच्चाई यही है कि लड़ाई अब भी जारी है।

वहां फंसे लोग अब भी जंग के जल्द से जल्द खत्म होने की दुआ मांग रहे है। बिटिश मीडिया बीबीसी की एक रिपोर्ट में यूक्रेन के शहरों की जमीनी हालात बारे में जो बातें सामने आयी हैं वे हृदयविदारक हैं। जोल गंटर की रिपोर्ट के अनुसार रूस की सैन्य टुकड़ियों ने यूक्रेन के मारियुपोल शहर को घेर लिया है। रूसी सेना की ओर से लगातार हो रही बमबारी के चलते इस शहर का संपर्क बाहरी दुनिया से टूट सा गया है। शहर में अभी भी कई लोग मौजूद हैं जिनके परिजन उनसे संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं।

मारियुपोल (Mariupol) में पले-बढ़े यूक्रेन के एक सांसद दिमित्रो गुरिन के माता-पिता भी इस समय शहर के अंदर ही फंसे हुए हैं। और गुरिन अब से चार दिन पहले आख़िरी बार अपने पड़ोसियों से बात कर पाए थे। गुरिन कहते हैं, "हमने 30 सेकेंड तक बात की। इसके बाद वह एक ऐसी जगह पर गए जहां पर सिग्नल मिल रहा था। शहर में कुछ ऐसी जगह हैं जहां पर सिग्नल मिलने की बात लोगों को पता है। "उन्होंने कहा कि "मेरे माता-पिता ज़िंदा हैं और अपनी अपार्टमेंट बिल्डिंग के बेसमेंट में रह रहे हैं। मेरी बात समझने की कोशिश करें कि ये कोई शेल्टर नहीं हैं जहां पर बिजली, पानी और टॉयलेट उपलब्ध हो। ये सिर्फ एक बेसमेंट है और कुछ नहीं। " गुरिन कहते हैं कि उनके घरवाले अब तक बर्फ पिघलाकर पानी पीने की कोशिश कर रहे थे और खुली जगह पर आग जलाकर खाना पका रहे थे।

वह कहते हैं, "क्या आप इसकी कल्पना कर सकते हैं? 67 और 69 की उम्र में आपके माता-पिता बर्फ पिघलाकर पी रहे हैं और सर्दियों में खुली जगह पर खाना पकाकर खा रहे हैं, जब लगातार बमबारी जारी हो।" यह अब बस युद्ध नहीं रह गया है। यहां एक सेना दूसरी सेना का सामना नहीं कर रही है। यह कारपेट बॉम्बिंग है। यह रूस और मानवता के बीच जंग है।" ओडेसा में 35 वर्षीय कॉफ़ी डिस्ट्रीब्यूटर ऑर्थर बोन्डरेंको कहते हैं कि वह हर रोज़ बेहद नाउम्मीदी के साथ अपने क़रीबी मित्रों को संदेश भेज रहे थे जिनमें एक परिवार ऐसा भी है जिनका एक छह साल का बच्चा है। वह कहते हैं, "मैं हर रोज़ उन्हें मैसेज़ करके कहता हूं कि हेलो, गुड मॉर्निंग, आप कैसे हैं? लेकिन कोई मैसेज़ पहुंचता नहीं है.' बोन्डरेंको कहते हैं कि उनकी इस परिवार से आख़िरी बार 2 मार्च को बात हुई थी।

वह बताते हैं, "उनके पास पानी, बिजली और हीटिंग की व्यवस्था नहीं थी। उनके घर के नीचे कोई शेल्टर भी नहीं था." चार लाख की आबादी वाला मारियुपोल शहर रूस के लिए रणनीतिक रूप से काफ़ी अहम है क्योंकि इस शहर पर कब्जा करने से पूर्वी यूक्रेन में मौजूद रूस समर्थित विद्रोही क्राइमिया में मौजूद सैन्य टुकड़ियों के साथ मिलकर सैन्य अभियान में हिस्सा ले पाएंगे। रूसी सेना इस शहर पर बीते नौ दिनों से लगातार बमबारी कर रही है जिससे कई इमारतें और रिहाइशी इलाके ज़मींदोज हो गए हैं। और ज़मीनी लड़ाई में यूक्रेनी सेना से जीतने में असफल रहने के बाद रूस शहरों पर बमबारी करने के क्रूर अभियान की ओर बढ़ता हुआ दिख रहा है।

यूक्रेन (Ukraine) के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने गुरुवार को कहा है कि मारियुपोल में स्थिति सबसे ज़्यादा सोचनीय है। बीते बुधवार मारियुपोल में हुए एक हमले में दो व्यस्कों और एक लड़की की मौत हुई थी. इसके साथ ही 17 अन्य लोग घायल हुए थे। इस हमले में एक अस्पताल का मैटरनिटी वॉर्ड और चिल्ड्रन वॉर्ड भी तबाह हो गया। शुक्रवार को अपने पति के साथ भागने में सफल हुई महिला डायना बर्ग बताती हैं कि उन्हें इस हमले के बारे में ख़बरों में पता लगा। उन्होंने कहा, "कल जो हुआ वो बहुत क्रूर और धक्का पहुंचाने वाला था. यह अस्पताल मेरे घर के काफ़ी क़रीब है। मैं पिछले हफ़्ते ही वहां गयी थी। मेरे पारिवारिक डॉक्टर वहीं हैं। मुझे नहीं पता कि अब वो ज़िंदा हैं या नहीं।" बर्ग बीते शनिवार से अपनी सास से भी संपर्क नहीं साध सकी हैं और उन्हें पता नहीं है कि वो ज़िंदा भी हैं नहीं।

बर्ग कहती हैं, "हमारे निकलने के बाद उनकी ओर से एक मैसेज़ आया जिसमें उन्होंने बताया कि वो ज़िंदा हैं और वह जानती थीं कि हम ज़िंदा हैं। इसके बाद से हमें कुछ नहीं पता। हम टेलीग्राम ऐप इस्तेमाल करते हैं। हम मीडिया देख रहे हैं और कुछ नहीं।" रिपोर्ट के अनुसार मारियुपोल के डिप्टी मेयर सरहीय ऑरलोव ने बताया है कि प्रशासन ने हमलों में मारे गए लोगों की लाशें दफनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। प्रशासन के मुताबिक़, अब तक लगभग 1300 आम लोगों की मौत हुई है। उन्होंने कहा, "लगातार हो रही बमबारी और मृतकों की संख्या ज़्यादा होने की वजह से मृतकों को अलग-अलग दफ़नाना संभव नहीं है।"

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रूसी सेना ने युद्ध विराम के समझौतों के बावजूद गोलाबारी शुरू कर दी है जिससे पिछले पांच दिनों में मारियुपोल में रहने वाले लोगों को वहां से निकालने के लिए बनाए गए कई बचाव अभियान असफल हो गए हैं। ओरलॉव कहते हैं कि शहर का प्रशासन किसी भी वक़्त बचाव अभियान चलाने के लिए तैयार था लेकिन रूस के साथ एक मानवीय गलियारा बनाने की दिशा में कोई भी समझौता नहीं हो सका।

ओरलॉव कहते हैं कि गुरुवार को लगभग 100 लोगों ने निजी कारों से मारियुपोल छोड़ने की कोशिश की, यूक्रेन के चेकप्वॉइंट से निकल भी गए लेकिन रूसी सेना द्वारा उनके बाहर निकलने के रास्ते पर कारों के क़रीब हमला किए जाने के बाद उन्हें वापस जाना पड़ा। ओरलॉव के माता-पिता और भाई मारियुपोल के उस हिस्से में फंसे हुए हैं जहां पर बमबारी हो रही है और वह बीते नौ दिनों से उनसे संपर्क नहीं कर सके हैं। लोगों द्वारा बर्फ पिघलाकर पानी पीने और दवाओं और खाद्य सामग्री की कमी आने की ख़बरें आने के बाद मारियुपोल में गंभीर मानवीय संकट खड़ा होने की आशंकाएं जन्म ले रही हैं।

इस बीच बीते बुधवार मारियुपोल के अस्पताल पर हुए हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए मारियुपोल के मेयर वदिम बोयचेंको ने रूसी सैन्य टुकड़ियों पर क्रूरता बरतने का आरोप लगाया था। वह कहते हैं, "इसे किस तरह सही ठहराया जा सकता है। ये रूस द्वारा हमारे लोगों का नरसंहार है।" वहीं, रूस ने गुरुवार को दावा किया है कि इस हमले में जिस मैटरनिटी वॉर्ड को नुकसान पहुंचा है, उस पर हमला होने से पहले ही यूक्रेन सेना ने कब्जा कर लिया है। लेकिन समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस द्वारा खींची गयी मौके की तस्वीरों में धमाके के बाद मेडिकल स्टाफ़ को देखा जा सकता है और एक गर्भवती महिला को स्ट्रेचर पर बाहर ले जाते हुए देखा जा सकता है। ओरलॉव कहते हैं, "भगवान का शुक्र है कि ज़्यादातर लोग पहले से ही बम शेल्टर में थे। नहीं तो ये काफ़ी बड़ी त्रासदी होती।" यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दोमिर ज़ेलेंस्की ने इस हमले को एक क्रूरता बताया है और उन्होंने वैश्विक ताकतों से एक बार फिर यूक्रेन पर नो फ़्लाई ज़ोन घोषित करने का निवेदन किया है। हालांकि, अब तक यूक्रेन की इस गुज़ारिश को स्वीकार नहीं किया गया है।

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