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Kaun Hai Ravan: कौन हैं रावण? जिन्होने मूँछों पर ताव देकर दाखिल किया योगी आदित्यनाथ के खिलाफ नामांकन-Video

Janjwar Desk
9 Feb 2022 4:08 PM IST
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(ASP चीफ रावण योगी बाबा के खिलाफ नामांकन करवाते हुए) 

Kaun Hai Ravan: हाथरस की बिटिया से दरिंदगी के मामले से लेकर राजस्थान और हरियाणा में हुई घटनाओं के विरोध में भी प्रदर्शन किए। इसके अलावा दिल्ली में संत रविदास मंदिर हटाने से रोकने को लेकर भी आंदोलन किया...

Kaun Hai Ravan: उत्तर प्रदेश चुनाव में गोरखपुर सदर विधानसभा क्षेत्र से मंगलवार को आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण (Chandrashekhar Azad Ravan) ने अपना नामांकन दाखिल किया। नामांकन के दौरान रावण अपने चिर परिचित अंदाज में नजर आए। पर्चा दाखिल करते समय रावण अपनी मूँछों पर ताव देना नहीं भूले।

बता दें कि गोरखपुर शहर से इस बार सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) मैदान में हैं। वहीं समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने सुभावती शुक्ला को उम्मीदवार बनाया है। वह भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे उपेंद्र दत्त शुक्ला की पत्नी हैं।

कौन है चंद्रशेखर रावण : Who Is Ravan

छुटमलपुर के पास स्थित गांव घड़कोली के रहने वाले चंद्रशेखर आजाद ने एलएलबी (LLB) की पढ़ाई देहरादून से की है। वर्ष 2015 में भीम आर्मी भारत एकता मिशन का गठन किया गया था, जिसके वह संस्थापक हैं। मई 2017 में जब शब्बीरपुर गांव में जातीय हिंसा हुई तो भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन कर जेल जाकर सुर्खियां बटोरीं थीं।

जेल से रिहा होने के बाद चंद्रशेखर ने मिशन जारी रखा और दलितों के खिलाफ होने वाले मामलों में कार्रवाई की मांग उठाते रहे। हाथरस की बिटिया से दरिंदगी के मामले से लेकर राजस्थान और हरियाणा में हुई घटनाओं के विरोध में भी प्रदर्शन किए। इसके अलावा दिल्ली में संत रविदास मंदिर हटाने से रोकने को लेकर भी आंदोलन किया।

मूँछों को ताव देते रावण

भीम आर्मी ने दलित समुदाय की शिक्षा को लेकर भी प्रयास किए। गांव भादो में इस संगठन ने पहला स्कूल भी खोला था। जबकि अन्य जिलों में भीम आर्मी की टीम द्वारा स्कूलों में किताबों का वितरण कराया गया। इसके अलावा सोशल मीडिया पर सक्रियता बढ़ाई।

चंद्रशेखर आजाद ने आजाद समाज पार्टी का गठन एक साल पूर्व ही किया। इसके बाद यूपी की विभिन्न सीटों पर हुए उपचुनाव के दौरान बुलंदशहर सीट से अपना प्रत्याशी भी उतारा। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद अब विधानसभा चुनाव में भी प्रत्याशी उतार रहे हैं।

BJP का गढ़ कही जाती है गोरखपुर शहर सीट

शहर विधानसभा क्षेत्र को भाजपा का गढ़ कहा जाता है। यह सीट पिछले 33 वर्षों से भाजपा के पास है। 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा व कांग्रेस का गठबंधन हुआ था। दोनों दलों ने मिलकर राहुल राणा सिंह को संयुक्त प्रत्याशी बनाया था। लगा था कि चुनाव रोचक और जोरदार होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। नतीजे चौंकाने वाले आए।

भाजपा प्रत्याशी को 1,22,221 वोट मिले, जबकि सपा-कांग्रेस के प्रत्याशी को 61,491 वोट ही मिल सके। भाजपा के डॉ आरएमडी अग्रवाल को 60,730 वोटों के अंतर से जीत मिल गई। यही नहीं, 2012 के मुकाबले 2017 के विधानसभा चुनाव में ज्यादा बड़ी जीत मिली। जीत का अंतर भी बढ़ गया।

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