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Omprakash Rajbhar : वाराणसी से जिंदा बचकर आया, मेरी हत्या कराना चाहते हैं भाजपा के लोग
सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर ने चुनाव आयोग को लिखी चिट्ठी में जताई इस बात की आशंका ।
Omprakash Rajbhar : उत्तर प्रदेश की 403 सीटों वाली विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार का दौर जारी है। इस बीच आरोप-प्रत्यारोप भी नेताओं के द्वारा जमकर किए जा रहे हैं। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (Suheldev Bhartiya Samaj Party) के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर (Omprakash Rajbhar) ने भाजपा पर जमकर हमला बोला है। बता दें ओमप्रकाश राजभर को सोमवार को उस वक्त भाजपा (BJP) कार्यकर्ताओं और वकीलों के विरोध का सामना करना पड़ा था जब वह अपने पुत्र अरविंदर राजभर का वाराणसी से नामांकन कराने पहुंच रहे थे।
राजभर ने मंगलवार को प्रेस कान्फ्रेंस कर भाजपा (BJP) पर इस पूरे मामले को लेकर भड़काने का आरोप लगाया है। उन्होने कहा कि सोमवार को मैं वाराणसी से जिंदा बचकर आया। भाजपा उन्होंने हमले का आरोप लगा दिया।
ओमप्रकाश राजभर ने सोमवार को वाराणसी (Varansi) में हुई अभद्रता के मामले में भाजपा को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि मैं सोमवार को वाराणसी से जिंदा बचकर आया। वाराणसी में जो भी घटना घटी, वह सब भाजपा के इशारे पर किया गया। भाजपा के गुंडों ने मेरे ऊपर हमला किया।
उन्होने भाजपा और पुलिस प्रशासन को घेरते हुए कहा कि उनके निर्देश पर इस प्रकार का कार्य किया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के लोग मेरी हत्या कराना चाहते हैं। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अनुरोध किया कि मेरी हत्या के बाद भी ये लड़ाई रुकने नहीं देना। साथ ही राजभर ने वकीलों को लेकर भी काफी गंभीर टिप्पणी की है।
राजभर ने कहा कि हम गरीबों और किसानों की लड़ाई लड़ रहे हैं। हम आरक्षण की लड़ाई लड़ रहे हैं। भाजपा और उनके जुड़े लोग संविधान को नहीं मानते हैं। उन्होंने चुनाव आयोग से सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की। साथ ही ओमप्रकाश राजभर ने दावा किया मैं अपने जीते-जी योगी आदित्यनाथ को सत्ता में नहीं पहुंचने दूंगा। उन्होंने कहा कि वाराणसी के वर्तमान कमिश्नर और डीएम के रहते निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं है। उन्होंने चुनाव आयोग से दोनों पदाधिकारियों को हटाने की मांग की है।
राजभर के आरोपों पर भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा कि ओमप्रकाश राजभर ने अधिवक्ता समाज को काले कोट वाला गुंडा कहा। उनके साथ जैसी करनी वैसी भरनी वाली कहावत चरितार्थ हुई है। विवादित बयानों के जरिए लोगों की भावनाओं को भड़काने वाले नेता को विरोध का सामना करना पड़ा। लेकिन वकीलों को काले कोट वाला गुंडा कहा यह पूरे अधिवक्ता समाज का अपमान है। सुभासपा और सपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा।