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Up Election 2022

UP Election 2022: जानिए कौन हैं, राजनीतिक दलों के वो रणनीतिकार जो पर्दे के पीछे रहकर बिछाते हैं चुनावी चौसर

Janjwar Desk
19 Jan 2022 5:26 AM GMT
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(पर्दे के पीछे रहने वाले पार्टियों के रणनीतिकार)

UP Election 2022: यह लोग असल मायनों में हर चुनाव पार्टी के लिए चाणक्य की भूमिका अदा करते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि इस चुनावी समर का रिमोट कंट्रोल किसके हाथों में है...

UP Election 2022: तमाम चुनावों में जिनकी भूमिका काफी अहम रहती है। यह चेहरे पार्टियों के असली रणनीतिकार की भूमिका निभाते हैं। यह लोग न सिर्फ हवा के रूख को मोड़ने में माहिर होते हैं बल्कि सलीके से अमलीजामा भी पहनाते हैं। यह लोग असल मायनों में हर चुनाव पार्टी के लिए चाणक्य की भूमिका अदा करते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं कि इस चुनावी समर का रिमोट कंट्रोल किसके हाथों में है।

सबसे पहले सत्ताधारी भाजपा के रणनीतिकारों की बात करते हैं।

धर्मेंद्र प्रधान- केंद्र सरकार में शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को भाजपा ने यूपी चुनाव का प्रभारी नियुक्त किया है। कुर्मी बिरादरी से आने वाले प्रधान का लंबा राजनीतिक अनुभव है। वह महाराष्ट्र और बिहार में भी चुनावी प्रभारी का दायित्व निभा चुके हैं।प्रधान इस बार सरकार व संगठन में सामंजस्य बिठाकर रणनीति बना रहे हैं।

अनुराग ठाकुर- केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को भाजपा ने प्रदेश का सह-चुनाव प्रभारी नियुक्त किया है। हिंमाचल के अनुराग, ठाकुर बिरादरी के हैं। दो बार भाजयुमों के प्रदेश अध्यक्ष रहे अनुराग प्रदेश के युवाओं को लामबंद कर रहे हैं।

सुनील बंसल- साल 2013 में अमित शाह के साथ सह-प्रभारी के रूप में यूपी आए सुनील बंसल बीते सात वर्षों से भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री हैं। 2017 के विधानसभा व 2019 के लोकसभा चुनाव में इनकी अहम भूमिका रही थी। प्रदेश में चुनाव से पहले माहौल बनाने के लिए '100 दिन-100 काम' की योजना को अमलीजामा पहनाया।

अंकित सिंह चंदेल- भाजपा के लिए सोशल मीडिया में चुनाव के प्रचार प्रसार की कमान अंकित सिंह चंदेल निभा रहे हैं। 'फर्क साफ है' और 'सोच इमानदार-काम दमदार' जैसे अभियान भी इनकी ही देन हैं। तीन लाख से अधिक व्हाट्सएप्प ग्रुप पर प्रचार कराने के साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लाइव प्रचार कर पार्टी को मजबूती दे रहे हैं।

कांग्रेस के तारनहार

सचिन नायक- मूलरूप से महाराष्ट्र के रहने वाले सचिन नायक राजीव गांधी पंचायतीराज संगठन के महासचिव रह चुके हैं। यूथ कांग्रेस के आंतरिक चुनाव में अहम भूमिका निभाई। वर्तमान में राष्ट्रीय सचिव हैं। यूपी विधानसभा के 388 क्षेत्रों में 86 हजार कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने की बखूबी जिम्मेदारी निभाई।

धीरज गुर्जर- दो बार राजस्थान में विधायक चुने गये। NSUI राजस्थान के प्रेजिडेंट रहे। वर्तमान में सचिव रहते हुए मेरठ व आसपास जिलों में संगठन का काम देख रहे हैं। भीलवाड़ा के एक मजदूर परिवार से ताल्लुक रखने वाले धीरज सीएए-एनआरसी आंदोलन के दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को मोटरसाइकिल से गंतव्य तक ले जाने के लिए भी चर्चा में रहे थे।

समाजवादी पार्टी के चाणक्य

राजेंद्र चौधरी- गाजियाबाद के रहने वाले एमएलसी राजेंद्र चौधरी पार्टी के पुराने सिपहसलार हैं। वह साये की तरह अखिलेश यादव के साथ रहते हैं। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता हैं। सपा में चौधरी का बेहद अहम रोल रहता है।

उदयवीर सिंह- फिरोजबाद निवासी उदयवीर सिंह एमएलसी हैं। अखिलेश यादव के साथ धौलपुर मिलिट्री स्कूल में पढ़ाई कर चुके हैं। जेएनयू से एमए, एमफिल करने के बाद राजनीति में पदार्पण किया। सियासी गणित बिठाने में माहिर हैं। तमाम दलों के नेताओं को सपा में लाने में बड़ी भूमिका निभाई है।

सुनील सिंह साजन- उन्नाव के रहने वाले सुनील सिंह यादव साजन एमएलसी हैं और युवाओं पर मजबूत पकड़ है। लखनऊ में केकेसी डिग्री कॉलेज के छात्रसंघ से निकलने के बाद सपा छात्रसभा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। 2012 में चुनाव से पहले चली रथयात्रा में अखिलेश यादव के साथ साए की तरह रहे। अब विभिन्न यात्राओं से पहले जिले की रोडमैप तैयार करने सहित तमाम जिम्मेदारियां।

बसपा के अहम किरदार

मेवालाल गौतम- बसपा के राष्ट्रीय महासचिव मेवालाल गौतम पूरी तरह से पर्दे के पीछे रहकर काम करते हैं। मेवालाल के पास सभी को-आर्डिनेटर और जिलाध्यक्षों को संदेश भेजने की जिम्मेदारी है। इसके अलावा किसी के कहीं से आने व जाने की देखरेख भी वही करते हैं। यहां तक की उम्मीदवारों की सूची तक उनके ही हस्ताक्षरों के बाद जारी होती है।कुल मिलाकर उनकी भूमिका अहम है।

आरए मित्तल- प्रदेश कार्यालय प्रभारी आरए मित्तल बैठकों की बैठकों की व्यवस्थाओं का जिम्मा बखूबी निभाते हैं। प्रतिदिन बैठक करने वाले मित्तल की पार्टी के पदाधिकारियों में तालमेल बिठाने की जिम्मेदारी भी है।

कपिल मिश्रा- राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा के सुपुत्र कपिल खास तौर से युवा ब्राह्मणों को बसपा से जोड़ने का अभियान चलाए हुए हैं। प्रतिदिन बैठकों के जरिए कार्यकर्ताओं को भी साधते हैं। तमाम जिलों में उनकी लगातार सक्रियता रहती है। उनके अलावा परेश मिश्रा भी पर्दे के पीछे से ही रणनीतियां बनाते हैं।

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