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Uttarakhand Election 2022 : तो इस माफीनामे से खुला हरक के लिए 10 जनपथ का दरवाजा
(माफीनामे से खुला हरक के लिए 10 जनपथ का दरवाजा)
Uttarakhand Election 2022 : भाजपा से निष्कासित होकर कांग्रेस (Congress) में शामिल होने से पहले पेंडुलम बने पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत (Harak Singh Rawat) के लिए 10 जनपथ का ताला उन्हीं की एक चिट्ठी से खुला है। रणनीति के तहत अब इस पत्र को भी सोशल मीडिया (Social Media) पर घुमा दिया गया है। इस पत्र की सत्यता का कोई दावा किये बिना बता दे कि हरक ने 2016 की घटना के लिए माफी मांगी है। इससे अब पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat) की वो शर्त भी पूरी हो गई है, जिसके अनुसार कांग्रेस में शामिल होने से पहले 2016 की राजनीतिक घटना के लिए माफी मांगने को कहा था। यह चिट्ठी उनकी ज्वाइनिंग के बाद सामने आई है।
'जनज्वार' को प्राप्त हुए इस पत्र में लिखा है "भाजपा नेताओं ने 2014 लोकसभा चुनावों में जनता से बहुत बड़े-बड़े वादे कर "अच्छे दिनों" के सपने दिखाए थे। जनता से भाजपा ने वादे किए थे कि महंगाई कम होगी। युवाओं को रोजगार मिलेगा, विदेशों से काला धन लाकर हर व्यक्ति को 15-15 लाख देंगे आदि- आदि। भरोसा दिलाया था कि डबल इंजन की सरकार बनने पर ये तमाम किए गए वादों को पूरा जाएगा। इन वादों से मुझे उम्मीद जगी कि उत्तराखंड में पलायन की समस्या, बेरोजगारी व शिक्षा स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी भी दूर करने में केंद्र सरकार से विशेष सहायता मिलेगी।"
"भाजपा नेताओं ने 2016 में भी भरोसा दिलाया कि उत्तराखंड (Uttarakhand) में भाजपा सरकार (BJP Govt) बनने पर तमाम समस्याओं को सुलझाने में केंद्र सरकार से विशेष सहायता मिलेगी। यही वादे दोबारा 2017 के विधानसभा चुनावों में भी दोहराए गए। 2017 के चुनावों में भाजपा सरकार बनने पर मैं इन वादों को पूरा करने के लिए भाजपा के शीर्ष नेताओं से बार-बार आग्रह करता रहा, जिसे हर बार यह कहकर टालते रहे कि विचार-विमर्श चल रहा है। सरकार का कार्यकाल समाप्त होने पर भी ये तमाम वादे पूरे नहीं हुए और ये वादे सिर्फ "जुमले" साबित हुए। भाजपा के मुख्यमंत्री बदलने से उम्मीद जगती थी, जो कुछ समय में धूमिल हो गई। सरकार का कार्यकाल समाप्त होने के समय भी मैंने बार-बार भाजपा नेताओं को आगाह किया कि चुनावी वादों को पूरा करो, लेकिन जब कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं हुई तो अंततः मैंने भाजपा को छोड़ने का फैसला ले लिया।"
पत्र में 2016 की घटना की माफी मांगने के लिए बनाई गई इस भूमिका के बाद हरक सीधे मूल बात पर आते हुए लिखते हैं, "आज मैं जब पूर्व की घटनाओं का अवलोकन कर रहा हूँ और भाजपा व पूर्व कांग्रेस सरकार का तुलनात्मक अध्ययन कर रहा हूँ तो इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि उत्तराखंड की समस्याओं को सुलझाने व उत्तराखंड के चहुंमुखी विकास में कांग्रेस की सरकारों का बेहतरीन योगदान रहा है। पूर्व की इन घटनाओं के अवलोकन से ऐसा महसूस होता है कि कांग्रेस छोड़ने का फैसला मेरे राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी भूल थी, जिसके लिए मैं कांग्रेस के तमाम कार्यकर्ताओं व नेताओं तथा उत्तराखंड की महान जनता से क्षमायाचना करता हूँ। उत्तराखंड के विकास में श्री हरीश रावत के नेतृत्व वाली सरकार के आगे भाजपा सरकार दूर-दूर तक भी कहीं मुकाबला नहीं कर पाई। जनता से झूठे वादे कर ठगने वाली और लोकतंत्र को अपमानित करने वाली भाजपा ने आगामी चुनावों में वोट मांगने का नैतिक अधिकार भी खो दिया है।
आज मुझे अहसास हुआ कि उत्तराखंड का तभी भला होगा जब उत्तराखंड में पूर्ण बहुमत की स्थिर सरकार बनेगी। इसीलिए मैं कांग्रेस सरकार बनाने के लिए पूरी ताकत से प्रयास करूँगा, ताकि जो सपने उत्तराखंड बनाने वाले आंदोलनकारियों ने देखे थे, वह पूरे हो सकें।"
भाजपा ने पार्टी और मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर हरक सिंह रावत को लेकर जो सख्त संदेश दिया तो कांग्रेस ने भी वापसी को लटकाकर उन्हें शर्तों के मामले में घुटने पर आने को मजबूर कर दिया। बड़ी बात यह भी है कि हरीश रावत की आपत्ति के बावजूद उनके खेमे से जुड़े प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल की हरक की वापसी में सहमति रही। हरक मूल रूप से श्रीनगर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत रहते हैं। इस बार गोदियाल को श्रीनगर सीट पर उच्च शिक्षा मंत्री डा धन सिंह रावत से सीधी टक्कर मिल रही है। यह क्षेत्र शिक्षक राजनीति का केंद्र माना जाता है। हरक की शिक्षकों के साथ ही क्षेत्रीय राजनीति को प्रभावित करने की क्षमता को गोदियाल अपने पक्ष में भुनाना चाहते हैं। आखिरी क्षणों में हरक की पैरोकारी में इसीलिए उनकी भूमिका भी रही है।
अब जबकि हरक की विधिवत वापसी हो चुकी है तो बताया जा रहा है कि पार्टी हरक सिंह का रणनीतिक उपयोग भाजपा की किसी सीट पर पेच फंसाने में करेगी। हरक लैंसडौन, डोईवाला, केदारनाथ और चौबट्टाखाल से चुनाव लड़ने की इच्छा पहले भी जता चुके हैं।