Pithoragarh News : हरगोविन्द पंत महिला चिकित्सालय में चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था, गर्भवती महिलाएं ठंडे में सोने को मजबूर
Uttarakhand News : उत्तराखंड (Uttarakhand) के पिथौरागढ़ (Pithoragarh) में हरगोविन्द पंथ महिला चिकित्सालय की हालत बद से बदतर होती जा रही है। कुछ दिन पहले खबर आई थी कि यहां चिकित्सा व्यवस्था की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। एक महिला अपने छोटे बच्चे के लिए मोमबत्ती की लौ पर दूध गर्म कर रही थी। इसी बात की पड़ताल करने के लिए जनज्वार की टीम पिथौरागढ़ के हरगोविन्द पंत अस्पताल में पहुंची और वहां की व्यवस्था को जानने की कोशिश की।
गर्भवती महिलाएं ठंड में सोने को मजबूर
पिथौरागढ़ के हरगोविन्द पंत महिला चिकित्सालय में सभी मरीजों को अपने निजी सामानों का प्रयोग करना पड़ रहा है। अस्पताल प्रशासन की तरफ से कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। यहां सभी गर्भवती महिलाएं ठंड में सोने के लिए मजबूर है। मरीजों ने बातचीत में बताया कि उन्होंने अपने खर्चे पर बिजली की व्यवस्था कर अपना निजी हीटर लगवाया है। एक मरीज ने बताया कि वह अपना निजी हीटर लगवाने के लिए 16 से 17 हजार रुपए तक का खर्च कर चुका है। वहीं कुछ ऐसे भी मरीज है, जो गरीब परिवार से आते हैं और उनके पास इतने पैसे नहीं है कि अपना निजी हीटर या अन्य कोई सुविधा का सामान खरीद पाए। इस कारण उन्हें मजबूरी में कड़कती ठंड का सामना करना पड़ रहा है| इस चिकित्सालय में ना ही बिजली की सुविधा है और ना ही कड़कती ठंड से बचाने के लिए कंबल है।
हीटर के ताप पर गर्म करते हैं दूध
कुछ मरीजों ने बताया कि बिजली की सुविधा या अन्य कोई सुविधा ना होने के कारण उन्हें अपने छोटे बच्चों के लिए दूध गर्म करने में परेशानी होती है और इसकी अन्य कोई सुविधा भी नहीं है। इसके चलते ये मरीज अपने निजी हीटर के ताप पर दूध का गिलास पकड़ कर गर्म करते हैं। जिन महिलाओं के पास अपना हीटर नहीं है, ऐसे में या तो वो मोमबत्ती की लौ पर दूध गर्म करती हैं या ठंडे दूध से ही काम चलाती हैं। अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं पूरी तरह से चरमरा गई है।
प्रशासन कर्मचारी नहीं आते हैं हाल पूछने
कुछ मरीजों ने बताया कि किस तरह कठिनाइयों में वह गुजारा कर रहे हैं। इस बिगड़ी स्वास्थ सुविधा व्यवस्था को लेकर यदि कोई मरीज अधिकारी या कर्मचारी से बात करना चाहते है तो कोई हल नहीं निकलता है। प्रशासन का कोई अधिकारी हाल-चाल जानने या व्यवस्था देखने नहीं आता है। हॉस्पिटल का दरवाजा भी पूरी तरह से बंद नहीं होता है। जिस वजह से बाहर की ठंडी हवाएं अंदर आती रहती हैं।
सरकार के अच्छे दिन के दावे हो रहे हैं झूठे
पिथौरागढ़ के चिकित्सालय की यह हालत देखकर साफ जाहिर है कि प्रशासन के बड़े-बड़े दावे धराशाई हो गए हैं। सरकार के अच्छे दिन के दावे झूठे साबित हो गए हैं। अस्पताल की बदतर हालत प्रशासन की पोल खोल रही है। वैसे तो यह एक सरकारी अस्पताल है लेकिन सरकार की तरफ से यहां कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। किसी मरीज को कर्मचारियों और अधिकारियों से बात नहीं करने दिया जाता है।