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विमर्श

साल-दर-साल बढ़ रहे महिला पत्रकारों पर हमले, इस साल सिर्फ 4 महीन में 57 महिला पत्रकारों को डाला जा चुका जेल-हवालात में

Janjwar Desk
10 May 2024 8:33 AM IST
साल-दर-साल बढ़ रहे महिला पत्रकारों पर हमले, इस साल सिर्फ 4 महीन में 57 महिला पत्रकारों को डाला जा चुका जेल-हवालात में
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भारतीय मीडिया की बात करें तो मेनस्ट्रीम मीडिया पर दिखने वाली ज्यादातर महिला पत्रकार किसी समाचार या पत्रकारिता के लिए नहीं जानी जातीं, बल्कि बेहद भद्दे तरीके से सत्ता के गुणगान के लिए जानी जाती हैं, इनमें से अधिकतर महिला पत्रकारों के सोशल मीडिया पर फैनपेज हैं, जिसमें इनके पत्रकारिता की नहीं, बल्कि सुन्दरता की तारीफ़ की जाती है...

महेंद्र पाण्डेय की टिप्पणी

All over the world, journalism has become a dangerous profession for women. इस वर्ष 3 मई को विश्व प्रेस आजादी दिवस पर कोएलिशन फॉर वीमेन इन जर्नलिज्म ने कहा कि इस दौर में दुनियाभर में प्रेस की आजादी का हनन किया जा रहा है, प्रहार तेज होते जा रहे हैं और इसके केंद्र में महिला पत्रकारों पर हमले और उनपर बढ़ते खतरे हैं।

इस वर्ष अप्रैल तक यानी केवल 4 महीनों के भीतर ही वैश्विक स्तर पर 57 महिला पत्रकारों को हवालात में या फिर जेल में डाला जा चुका है। इससे पहले 92 महिला पत्रकार पहले से ही जेल में हैं। कुछ पत्रकार तो पिछले कई वर्षों से जेल में बंद हैं और कुछ आजीवन कारावास की सजा काट रही हैं।

वीमेन इन जर्नलिज्म के अनुसार महिला पत्रकारों पर लगातार खतरे बढ़ रहे हैं, उनकी हत्या की जा रही है, उन्हें जेल में बंद किया जा रहा है, उन्हें हवालात में बंद किया जा रहा है। निष्पक्ष महिला पत्रकारों का चरित्र हनन किया जा रहा है, उनपर नस्ली और लैंगिक हमले किये जा रहे हैं, उन्हें देश या राज्यों से बाहर किया जा रहा है, महिला पत्रकारों द्वारा लिखे गए समाचारों को सेंसर किये जा रहा है और कई महिला पत्रकारों पर स्थानीय पुलिस के साथ ही भीड़ भी हिंसा करती है।

सबसे अधिक महिला पत्रकार इरान और रूस में कैद हैं। वीमेन इन जर्नलिज्म के अनुसार दुनियाभर में लैंगिक समानता में हम पिछड़ते जा रहे हैं और इसके साथ ही मानवाधिकार और अभिव्यक्ति की आजादी छिनती जा रही है – अब मीडिया संस्थानों और पत्रकारों पर राजनैतिक हमले बढ़ते जा रहे हैं। सोशल मीडिया के जमाने में महिला पत्रकारों पर वास्तविक हमले के साथ ही डिजिटल हमले भी बढ़ रहे हैं।

वाशिंगटन स्थित इन्टरनेशनल सेंटर फॉर जर्नलिस्ट्स की निदेशक प्रोफेसर जुली पोसेटी ने वर्ष 2021 में महिला पत्रकारों पर ऑनलाइन खतरों और हमलों पर एक विस्तृत अध्ययन किया था। उनके अनुसार सोशल मीडिया को ईमानदार और निष्पक्ष महिला पत्रकारों के विरुद्ध एक घातक हथियार की तरह उपयोग किया जाता है। यह हमला वैश्विक स्तर पर इतने बड़े पैमाने पर किया जा रहा है कि अधिकतर महिला पत्रकार टीवी के परदे पर आना नहीं चाहतीं और प्रिंट मीडिया में समाचारों के साथ महिला पत्रकार अपना नाम देने से बच रही हैं। कई महिला पत्रकार तो पूरी तरह से पत्रकारिता को छोड़ने के मन बना चुकी हैं।

वर्ष 2023 में वैश्विक स्तर पर किये गए एक अध्ययन से स्पष्ट होता है कि 75 प्रतिशत से अधिक महिला पत्रकारों का सोशल मीडिया पर उत्पीड़न किया जाता है और 25 प्रतिशत महिला पत्रकार यौन उत्पीड़न या शारीरिक हिंसा का शिकार हुई हैं। इन सबका असर महिला पत्रकारों के मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है और 20 प्रतिशत से अधिक महिला पत्रकार अब पत्रकारिता पूरी तरह छोड़ने का मन बना चुकी हैं। महिला पत्रकारों पर सत्ता, शक्तिशाली कंपनियों, उद्योगपतियों और शातिर अपराधियों द्वारा भी अनर्गल कानूनी हमले बढ़ते जा रहे हैं।

रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स द्वारा प्रकाशित ग्लोबल प्रेस फ्रीडम इंडेक्स के अनुसार भी दुनियाभर में पत्रकारों पर सत्ता द्वारा और राजनैतिक हमले बढ़ते जा रहे हैं। दुनियाभर में महिला पत्रकारों को पुरुष पत्रकारों की तुलना में अधिक सख्त सजा दी जा रही है। वैश्विक स्तर पर जितने पत्रकार कैद में हैं, उनमें से महिला पत्रकारों की संख्या लगभग 15 प्रतिशत ही है और पत्रकारों को सबसे लम्बी सजा में 50 प्रतिशत से अधिक महिला पत्रकारों को ही सुनाई गयी है।

इंडिया प्रेस फ्रीडम एनुअल रिपोर्ट 2023 के अनुसार मीडिया अब प्रजातंत्र का चौथा खम्भा नहीं है बल्कि यह प्रजातंत्र हनन का पहला खम्भा साबित हो रहा है। वर्ष 2023 में मोदी जी के भारत में 5 पत्रकारों की हत्या की गयी और 226 पत्रकारों पर सत्ता, पूंजीपतियों या अपराधियों द्वारा हमले किये गए। इन 226 पत्रकारों में 30 महिला पत्रकार हैं, इनमें से 23 पुलिस की ज्यादतियों का शिकार हुईं।

3 पत्रकारों को हवालात में या जेल में कैद किया गया, 9 के विरुद्ध एफ़आईआर दर्ज की गयी और शेष को पूछताछ, तलाशी, और जानकारी लेने के नाम पर प्रताड़ित किया गया। महिला पत्रकारों को प्रताड़ित करने के मामले में सबसे आगे दिल्ली है, जहां 12 पत्रकारों को प्रताड़ित किया गया। इसके बाद केरल और मणिपुर में 5-5, पश्चिम बंगाल में 3, पंजाब में 2 और ओडिशा, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश में 1-1 महिला पत्रकारों को प्रताड़ित किया गया।

भारत में अब मेनस्ट्रीम मीडिया में पत्रकारिता मर चुकी है और अब सभी मेनस्ट्रीम प्रिंट और टेलीविज़न मीडिया बस सत्ता राग अलापती है। यहाँ मेनस्ट्रीम मीडिया पर दिखने वाली महिला पत्रकार किसी समाचार या पत्रकारिता के लिए नहीं जानी जाती, बल्कि बेहद भद्दी तरीके से सत्ता के गुणगान के लिए जानी जाती हैं। इनमें से अधिकतर महिला पत्रकारों के सोशल मीडिया पर फैनपेज हैं, जिसमें इनके पत्रकारिता की नहीं, बल्कि सुन्दरता की तारीफ़ की जाती हैं।

हमारे देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष पत्रकारिता कुछ छोटे समाचार पत्रों, ऑनलाइन समाचारों और सोशल मीडिया पर सिमट गयी है। जिन महिला पत्रकारों को सत्ता या पुलिस द्वारा प्रताड़ित किये जाता है, वे सभी महिला पत्रकार इन्हीं छोटे समाचारपत्रों या ऑनलाइन समाचार पोर्टल से जुडी हैं।

फरवरी 2024 के शुरू में फ्रांस की भारतीय मूल की महिला पत्रकार वनेस्सा दौग्नाए को अपनी पत्रकारिता में मोदी सरकार की आलोचना के कारण भारत छोड़ना पड़ा है। मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना को केंद्र सरकार शुरू से ही देश की संप्रभुता और एकता पर हमला बताती रही है और यही वनेस्सा दौग्नाए के साथ भी किया गया। वनेस्सा दौग्नाए पिछले 25 वर्षों से भारत में रह रही थीं और फ्रांस के दो अखबारों के साथ ही स्विट्ज़रलैंड और बेल्जियम के एक एक अखबार के लिए दक्षिण एशिया प्रमुख थीं।


इसके बाद अप्रैल 2024 में ऑस्ट्रेलियन ब्राडकास्टिंग कारपोरेशन की भारत स्थित दक्षिण एशिया संवाददाता अवनी दिअस को भी भारत छोड़ना पड़ा है। इनकी कनाडा में सिख अलगाववादी नेता की ह्त्या में भारत के हाथ होने से सम्बंधित रिपोर्टिंग से मोदी सरकार नाराज थी। ये दोनों उदाहरण भारत में निष्पक्ष महिला पत्रकारों के प्रति सत्ता की असहिष्णुता का स्पष्ट प्रमाण हैं। हमारे देश में तो मेनस्ट्रीम पत्रकारिता का आलम यह है कि किसी भी समाचार चैनल पर कोई भी खबर पत्रकारों की स्थिति या अभिव्यक्ति की आजादी से सम्बंधित नहीं होती। प्रिंट मीडिया में कभी-कभी कोई छोटी खबर प्रकाशित होती है।

यूरोपियन फेडरेशन ऑफ़ जर्नलिस्ट्स के अनुसार वर्ष 2023 में वैश्विक स्तर पर 120 पत्रकारों या मीडिया से जुड़े लोगों की हत्या की गयी, जिसमें से 11 महिला पत्रकार हैं। रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स द्वारा प्रकाशित 2023 राउंड अप के अनुसार पिछले वर्ष दुनिया में 521 पत्रकारों पर पुलिस ने कार्यवाही की, जिसमें 67 महिला पत्रकार हैं।

दुनियाभर में निष्पक्ष पत्रकार खतरे में हैं, पर महिला पत्रकारों पर हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। हमारे देश में तो मेनस्ट्रीम मीडिया की मोदी चालीसा बांचती महिला पत्रकार और महिला राजनेता भी निष्पक्ष और सत्ता से प्रश्न पूछती महिला पत्रकारों के चरित्र हनन और धार्मिक और लैंगिक हमले में सबसे आगे रहती हैं।

सन्दर्भ:

1. On World Press Freedom Day, Explore the Data of Women Journalists behind Bars – womeninjournalism.org/threats-all/world-press-freedom-day-explore-the-data-of-women-journalists-behind-bars

2. Womeninjournalism.org/threats-all/india-abc-correspondent-avani-dias-compelled-to-leave-india-over-election-reporting-dispute

3. https://cpj.org/2024/02/french-journalist-vanessa-dougnac-leaves-india-after-journalism-permit-revoked/

4. Clarionindia.net/5-journalists-killed-226-targetted-during-2023-says-india-press-freedom-report/

5. Europeanjournalists.org/blog/2024/01/01/120-journalists-and-media-workers-killed-in-2023-says-ifj

6. Rsf.org/sites/default/files/medias/file/2023/12/Bilan_2023_EN_0.pdf

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